Sunday, August 23, 2015

आधुनिक भिखारी/लघुकथा

आधुनिक भिखारी/लघुकथा 
हेलो अंकल ....... अंकल …हेलो आंटी … हेलो आंटी … बार की आवाज़ सुनकर बबलू सिर खुजलाते हुए बाहरी गेट की ओर बढ़ा। 
बबलू को देखकर आगंतुक नवयुवक बोला हेलो ब्रदर। 
बबलू-बोलिये क्या काम है? मम्मी यज्ञ-हवन कर रही है ,पापा ध्यान । 
नवयुवक-घर क्या ये तो मंदिर हो गया ?
बबलू-पापा छत्तीस करोड़ देवी- देवता में विश्वास नहीं करते,मम्मी कर लेती है । आपको पापा से काम है या मम्मी से ?
अब तो आपसे ही है ब्रदर ।
क्या मतलब बबलू चमक कर बोला ?
अरे ब्रदर घबरा क्यों रहे हो आज नागपंचमी है ।
तो मै करुँ ?
कुछ दान कर दो नवयुवक बोला ।
पढ़े लिखे होकर भीख मांग रहे हो,कुछ तो शर्म करो ?
ब्रदर -पूजा पाठ करना, दान लेना पुश्तैनी काम है नवयुवक बोला ।
अपात्र भिखारी को दान देना पाप है और कानूनी जुर्म भी ।
इतने में नयन बाबू बोले कौन है बबलू बेटा ?
बबलू गेट बंद करते हुए बोला आधुनिक भिखारी ।
डॉ नन्द लाल भारती 20 .08 .2015