Thursday, April 26, 2012

Notary/short story

नोटरी /लघुकथा 
बॉस राजानंद तुरंत जाओ नोटरी करवा लाओ जरुरी काम है .
जी जैसा आदेश. राजानंद कागजातों को लेकर तुरंत रवाना हो गे. कचाहरी जाकर कई नोटरी वकीलों से मोल भाव किया पर प्रति नोटरी ४० से १०० रुपये माँगा जा रहा था. राजानंद ने व्यक्तिगत परिचय देकर प्रति नोटरी रूपए ३० में चौदह नोटरी करवा कर आधे घंटे में वापस आ गया .
बॉस धन्यवाद् आपने इतनी जल्दी काम करवा लिया   .इतने में छोटे मैनेजर गणछोड़   बोले अरे खर्च कितना हुआ .
राजानंद -चार सौ बीस .
अभिमानी-दो सौ से कम का काम था तुमने अधिक खर्च कर दिया.कागजात  हाथ में लेकर लहरा  देते.   नोटरी करने वाले तुम्हारे पीछे हो लेते. काम कम से कम में हो जाता .
राजानंद मन ही मन बुदबुदाया चहरे बदलने वाले इमान की परिभाषा क्या जाने ?
अभिमानी- कुछ बोले क्या -------?
हां- राजानंद बोला ..
क्या-----------? सुनाने लायक तो बोलो  अभिमानी बोले.
अभिमानी जी नोटरी करवाने गया था रेड लाईट  एरिया नहीं .इतना सुनते ही अभिमानी की जीभ तालू में सट गयी ..नन्द लाल भारती 2६.०४.२०१२ 
 
 

Tuesday, April 10, 2012

व्याख्यान

व्याख्यान 
आओ तुम्हारे बारे में ही व्याख्यान चल रहा है .कोई काम करो लगन से .
भले ही आँखों को आंसू नसीब कैदी बन जाए ईमानदारी,वफ़ा,समर्पण और त्याग के बदले .साहेब गलत व्याख्यानों और दबंगता ने ही तो मेरा  कैरिअर चौपट किया है .
कैसी बात कर रहे हो ....
कितनो कर्मठ.ईमानदार,वफादार छोटा आदमी हो .आँका तो कम ही जाता है .गरीब तेरे तीन नाम झूठा,पाजी और बेईमान .मै अल्मत में हूँ छोटे तबके से भी .पोस्टमार्टम तो होगा पर पद -दौलत से अमीर और उच्च  वर्ग को ये भी नहीं भूलना चाहिए की छोटा जीवन आधार होता .
कौन मानता है व्याख्याताओ में से कोई बोला  ....
फिर क्या जोर का ठहाका और व्याख्यान का मुद्दा आगे बढ़ गया ........नन्दलाल भारती ..09.०४.2012