Friday, October 28, 2011

seekh/short story

सीख / लघुकथा 
राही मनवा दुःख की चिंता क्यों सताए ?
हाँ रघुवर दुःख भी है चिंता भी .
खुद पर क्यों जुक्म कर रहे हो ?
हो जाता है .  रंग बदलती दुनिया में बगुला भगत  कौवा हंस हो रहे है ,सियार शेर की तरह  गरज रहे है तो सत्य परेशान होगा ही .
यही हो रहा है . भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है .वफ़ा,ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठ ,एवाभावी व्यक्ति दण्डित हो रहे है .
देखो ना दस से बीस प्रतिशत की रिश्वत खाने वाला दुखेश, खंजांची ,ईमानदारी की नशीहत दे रहा है. अह भी सच्चे इमानदार सेवक को .अपने गिरेबान  में झाँक नहीं रहा है .
दिन पूरे होने में देर है पर नकाब उतरेगा. अब ठुकेगे मुंह पर दुखेश और इए दुसरे नकाबपोशो पर . 
चैन तो छीन गया है .
पूरी पारदर्शिता और कर्तव्य के प्रति ईमानदार बने रहे और याद रखो सत्य  परेशान हो सकता है  पराजित नहीं.
उसी का दंड भोग रहा हूँ पर  सीख याद रहेगी बॉस . नन्द लाल भारती ..२०.१०.२०११



Thursday, October 27, 2011

हजयात्रा

हज  यात्रा

हेल्लो -खान बोल रहा हूँ .
सलामवालेकुम सर वापस आ गए  ?
असलाम्वालेकुम ...वापसी  तो पांच नवम्बर को होगी .
कैसे याद किये सर .
तुम्हारी याद हमेशा रहेगी . मक्का में आला-ताला से तुम्हारे लिए दुआ कर रहा हूँ .
धन्यवाद् सर ............आप और आपके परिवार की हर मुराद पूरी हो,हमारी और हमारे घर-मंदिर  की यही दुआ है.
हज से लौटकर बात करूंगा.
जी शुक्रिया .....फोन बंद हो गया .
किससे इतनी आत्मीय बात हो रही थी लाल .
एक्स-बॉस हज पर गए है ना .
मक्का से फ़ोन कर रहे थे दफ्तर में  दस साल के रिटायर्मेंट के बाद . वह भी तुमसे बात करने के लिए  . इतना पक्का रिश्ता .
साहेब- सम्बन्ध पद और दौलत से नहीं इंसानियत से बनते  है.
मुबारक हो .....
क्या...................?
हज यात्रा.............नन्द लाल भारती ..२७.१०.२०११(२.४५ अपरान्ह ) 

Monday, October 17, 2011

विरोध/लघु कथा

विरोध/लघु कथा
जगत बाबू आपकी किताब का कुछ विक्रय हुआ क्या.......?
नहीं ---नरायन बाबू । ग्राहक ढूढ़ना तो अपने बूते की बात नहीं । प्रकाशक दूरी बना रहे । बुक सेलर घास नहीं दाल रहे ।
जगत -यार हम तो लकी रहे ।
नारायण- कैसे.....................?
विभाग हमारी किताबे खरीदेगा। लेखन के लिए पुरस्कार भी घोषित हो चुका है विभाग द्वारा कहते हुए नरायन ने संतोष की सांस भरी ।
नारायण- बधाई हो.....
जगत-आपका विभाग कुछ नहीं कर रहा है ।
नारायन -कर रहा है न आपका उल्टा और तरक्की से बेदखल भी ।
जगत-बाप रे , मान-सम्मान,तालीम, योग्यता, प्रतिभा का विरोध ....? क्या यह छोटा होने का दंड तो नहीं ?
नरायन-जगत बाबू यही नसीब बन गया है .....नन्द लाल Bharati   ....१६.१०.२०११

Monday, October 3, 2011

मिशाल/short story

मिशाल /short story
तुमने शिकायती पत्र क्यों लिखा कन्हैयालाल ?
निरापद को सजा  क्यों मिल रही है    पिछले २५ सालों से साहेब  ?
कैसी सजा  ? 
अंजान क्यों बन रहे हो साहेब मेरी  सी आर खराब की गयी कैरियर  को  ढाठी  दी गयी अरमानो की अर्थी धूमधाम से निकाली गयी . कब तक गुंगा बहार बना सजा भोगता   . अछूत के नाम पर इतनी बड़ी सजा क्यों  ?
क्या होगा तुम्हारे पत्र से ?
अपना दर्द एम.डी.साहेब डारेक्टर साहेब तक तो पहुंचा दिया.
 एम.डी.डारेक्टर तुमको जी एम बना देंगे ?
भले ही ऊँचा पद इस संस्थान में जातिवाद की बीमारी के कारण ना मिले पर एक दिन ऊँचा कद जरुर मिलेगा .मुझे पूरा विश्वास है .भगवान के घर में देर हैं अंधेर नहीं .
सालों बाद जातिवाद से उत्प्रेरित प्रबंधन को अपने गुनाह का एह्सास तो  हुआ पर बहुत देर हो चुकी थी .प्रबंहन को सर नोचने के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा था उधर   कन्हैयालाल का  कद मिशाल कायम कर चुका था .
नन्द लाल भारती ...०४.१०.२०११



Sunday, October 2, 2011

Two Short stories...


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uUnyky Hkkjrh 02-10-2011
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