Tuesday, August 31, 2010

KHALI PARS

खाली पर्स ..
मार्च का दूसरा दिन था पगार मिलाने की उम्मीद थी.गुणानंद सोच रखा था की पगार मिलते ही घरवाली को अस्पताल ले जाएगा जो कई दिनों से दर्द से कराह रही है. कैशियर सुखेश साहब दफ्तर बंद होने के कुछ पहले पगार बाटना शुरू किये. पगार मिलने की उम्मीद में कई घंटो तक गुणानंद काम में लगा रहा. सुखेश साहब खिझ निकालते  हुए गुणानंद को पगार आज न देने की जिद कर बैठे. गरीब गुणानंद को देखते ही आदत मुताविक  सुखेश साहब टालमटोल करने लगे .कमजोर को तंग करने में उन्हें खूब मज़ा आता था. आखिरकार गुणानंद को पगार नहीं दिए, गुणानंद उदास घर की और चल पड़े . कुछ ही देर में आकाश में अवारा बदल छा गए और बरस पड़े. गुणानंद भींगा घर पहुंचा पिचका खाली पर्स निकालकर खटिया पर रखा जिसमे मात्र पच्चास पैसे थे . खाली पर्स रखकर भींगे कपडे उतारने लगा. इतने में गुणानंद की धर्मपत्नी रेखा आयी और बोली आज दर्द कम है अस्पताल बाद में चलेगे वह  दर्द में बोले जा रही थी. गुणानंद कभी खाली पर्स तो कभी  पत्नी को देख रहा था. पत्नी के दर्द के एहसास से उखड़े पाँव  गुणानंद कराहते हुए बोला वाह  रे अमानुष सुखेश साहब ..... नन्दलाल भारती  ३०.०८.२०१०

Sunday, August 29, 2010

CHAAY

चाय ..
अधिकारी-टीचू ये क्या है .
टीचू- सर चाय है .
अधिकारी-कैसी चाय है. वह भी सरकारी.
टीचू-दूध में तनिक पानी डाल दिया हूँ.
अधिकारी- क्यों . खालिस दूध की क्यों नहीं.
टीचू-शिकायती लहजे में बोला -इंचार्ज बाबू ,मना करते है .
अधिकारी-बाबू की इतनी हिम्मत . हमें तो खालिस दूध की ही चलेगी .
टीचू- बावन बीघा की पुदीना की खेती आले है, मन ही मन बुदबुदाया .
अधिकारी-कुछ बोले टीचू .

टीचू- नहीं सर .
अधिकारी-अब तो सरकारी चाय दे दे .
टीचू-सर दूध में चाय पत्ती और शकर डलेगी .
अधिकारी-हां क्यों नहीं पर पानी नहीं... जा की बहस ही करता रहेगा... मूड खराब हो गया चाय देखकर ..
टीचू-दूध में चाय पत्ती और शकर डालकर गरम करने में जुट गया .. नन्दलाल भारती .... २९.०८.२०१०

ASHPRISYATAA

अश्प्रिस्यता //
रघुवर-अरे भाई सेवक जलसे में नहीं गए थे क्या.?
सेवक- किस जलसे की बात कर रहे हो ?
रघुवर -अरे किस  जलसे की ये सुर्खिया है .
सेवक -कंपनी के जलसे की  . ये तुमको कहा मिल गया ?
रघुवर-भाई तुम्हारे विभाग के जलसे  की खबर है . इसलिए अखबार की कतरन साथ लेते आया . ये एखो तुम्हारे दफ्तर के सभी लोग फोटो में है बस तुमको छोड़कर  . अच्छा बताओ तुम शामिल क्यों नहीं हुए .
सेवक-मै छोटा कर्मचारी अश्प्रिस्यता का शिकार हो गया हूँ.
रघुवर- क्या कह रहे हो . तुम जैसे कद वाले सिर्फ पद के कारण अश्प्रिस्यता के शिकार..........
सेवक हां रघुवर .................
रघुवर-धैर्य खोना नहीं. जमाना तुम्हारी जय-जयकार करेगा एक  दिन सेवक ......नन्दलाल भारती .. २९.०८.२०१०

Friday, August 27, 2010

BYAAH

ब्याह  ..
भईया गजानंद बहुत खुश लग रहे गो, कोई लाटरी तो नहीं लग गयी, रामानंद अपनी बात पूरी कर पाते उससे पहले गजानंद उचक कर बोले हां भईया एस ही कुछ .
रमानंद --मतलब.
गजानंद- ब्याह फ़ाइनल हो गया .
रमानंद- किसका?
गजानंद-बिटिया का और किसका ...
रमानन्द-बढ़िया खबर सुनाये भईया .
गजानंद-बिटिया के ब्याह की चिंता में तो बुह हुए जा रहा था. भागदौड़  सफल हो गयी.  ब्याह  में विलम्ब तो हुआ पर घर आर मनमाफिक मिल गया है.
रमानन्द -लड़का क्या करता है ?
गजानंद-सरकारी नौकरी में ऊँचे पद पर है . उपरी आमनी की भी अच्छी गुंजाईश है. इकलौता लड़का है . माँ-बाप दोने नौकरी में है सर्वसम्पन्न परिवार है .
रमानन्द-दहेज़ भी बहुत देना है . लड़का अकेला संतान हा अपनी माँ-बाप का .पूरी समाती की मालकिन बिटिया होगी.
गजानंद -हा भाई हां.....
रमानन्द-भईया गजानंद मुझे तो पसंद नहीं है ऐसा रिश्ता . यहाँ बिटिया के सुख चैन की उम्मीद तो नहीं लगती .
गजानंद-क्या कह रहे गो रमानन्द .
रमानन्द-जिस घर में लड़की नहीं उस घर में बिटिया का ब्याह कर रहे हो अह भी दहेज़ देकर.
गजानंद-क्या वहा बिटिया का ब्याह नहीं करना चाहिए .
रमानन्द -खुद की बिटिया की हत्या पैदा होने से पहले करने वाले  दूसरे की बिटिया के साथ कैसा सलूक करेगे . मुझे यहाईसा ही लगता है. जिस माँ-बाप ने बेटी का जन्म नहीं होने दिया .वे दूसरे की बेटी की क्या कद्र करेगे ? गजानंद बिटिया का सुख चैन चाहते हो तो बिलकुल नहीं करना ... नन्दलाल भारती  २८.०८.२०१०

KAMAAEE

कमाई ..
गोपाल -भइया चिंतानंद क्यों माथे पर हाथ धरे बैठे हो .
चिंतानंद  - परिश्रम और योग्यता  हार गयी है श्रेष्ठता के आगे .
गोपाल-शोषण के शिकार हो गए है .
चिंतानंद-हां, सामाजिक व्यवस्था और श्रम की मण्डी में भी .
गोपाल-युगों पुराना घाव  है .कारगर इलाज नहीं  हो रहा है सब मतलब के लिए भाग रहे है . कमजोर के हक़  की कमी पर गिध्द नज़र टिकी है. आतंक और शोषण से कराहते  लोगो की कराहे अनसुनी हो रही है .
चिंतानंद - यही दर्द ढ़ो रहा हूँ . 
गोपाल- तुम भी भईया . 
चिंतानंद- हां ..
गोपाल-समझ रहा था की हम अनपढ़ और असंगाथिर मजदूरों का बुरा हाल हा . पढ़े लिखे भी शोषण के शिकार है .
चिंतानंद- हां भईया चौथी श्रेणी का कर्मचारी हूँ. काम भी मुझे से कोल्हू के  बैल सरीखे लिया जाता है . काम हम करते है . हमारी कमी में बरकत नहीं होती उखड़े पाँव आंसू  पीने को बेबस  हो गया हूँ. ओवर टाइम और प्रतिभुतिभत्ता श्रेष्ठ चापलूस और रुतबेदार लौट रहे है . उनकी कमाई में चौगुनी बरकत हो रही है .
गोपाल-हक़ के लिए संगठित  होकर जंग छेडना होगा भईया चाहे सामाजिक हक़ हो या परिश्रम की कमाई का ...नन्दलाल भारती २८.०८.२०१० 




 

Friday, August 20, 2010

DUAA

दुआ ..
तीरथ के बाबू बहू रानी का बुखार तो उतरने का नाम नहीं ले रहा है. आँखों से बेचारी के झरझर आंसू झर रहे है. शरीर तप रहा है बुखार से.
अरे बाप रे दवाई  असर नहीं कर रही है क्या ?  
सुना नहीं डाक्टर क्या बोले ?
क्या बोले ?
बुखार उतरने में समय लगेगा .
तू बेबी को चुप करा मै  ठन्डे पानी की पट्टी रखता हूँ. बुखार जल्दी उतर जायेगा .
ठीक है .
बिटिया सर सीधा कर मै पट्टी रखता हूँ.
नहीं बाबू जी मै ठीक हूँ.
बिटिया तू तप रही है  बुखार से मुझे पट्टी रखने दो . बहुरानी तुम्हारा दुःख समझता हूँ. तुमे बहू ही नहीं बेटी भी हो हमारी .
बाबू जी देखो बुखार कम हो गया .
ये कैसा चमत्कार  ?
बाबूजी आपकी दुआ . आप और सासू माँ हमारे लिए धरती के भगवान है.. नन्दलाल भारती .. २०.०८.२०१०

 

Thursday, August 19, 2010

COACHING

कोचिंग ....
बहुत जल्दी में हो.. कहा से आ रही हो..

कोचिंग से..
कोचिंग पढ़ाने लगी क्या ?
अरे नहीं रे मै क्या पढ़ऊगी .
बेटा को छोड़कर आ रही हूँ.
कौन सी कोचिंग बेटा को दे रही हो ?
इंग्लिश की ..
इंग्लिश की ही क्यों..?
इंग्लिश जानने से कैरियर  बढ़िया बनता है  न तुम भी बच्चो को कोचिंग दो ..
पैसा कहा है इतना ? मै तो घर में ही देती हूँ संस्कार की कोचिंग ... नन्दलाल भारती... १९.०८.२०१०

JHALAK

झलक ..
कोई दरवाजे पर खड़ा है ?
अन्दर बुलाओ .
बुला रहे है ,जाइए .
आप है , अन्दर आइये , बाहर क्यों खड़े है ?
जल्दी में हूँ.
ऐसी क्या जल्दी है . रिटायर्मेंट के बाद भी जल्दी . बैठिये .
वक्त  नहीं है. मुझे तीन सौ रूपया दे सकते है ? १० तारीख को बेटा की तनख्वाह मिलेगी दे जाउगा .
तीन सौ ...
हां बस तीन सौ अधिक नहीं .
लीजिये ...
धन्यवाद.. चलता हूँ ...
आगंतुक के पग बढाते ही झलक पड़ा तंगी का दर्द.. नन्दलाल भारती.. १९.०८.२०१०
 

Wednesday, August 18, 2010

INTJAAR

इन्तजार ...
कब तक काम करना पड़ा ?
आठ बजे तक ...
तैयार हो गयी रिपोर्ट ...?
रात में ही और बाइंडिंग भी हो गयी .
रिपोर्ट तो बॉस के टेबल पर पड़ी है ..
छाती पर चढ़कर बनवाए . चाहे टेबल पर रखे या टोकरी में . मुझ छोटे कर्मचारी के लिए रो दर्द पीना तकदीर है .
जो काम तुमसे आठ बजे तक कराया गया वह भी बिना किसी ओवर टाइम के वह  तो   महज़ इन्तजार करने का बहाना था.. 
किसका .?
मैडम का , जानते नहीं बाण अपनी जरुरत अनुसार उपभोग और तुम  जैसे छोटे कर्मचारी को 
आंसू देते रहते है ...
क्या  ......?
हां .... नन्दलाल भारती  १८.०८.२०१०
 

ANTAR

अंतर ..
अधिकारी और कर्मचारी में क्या अंतर महसूस करते हो ?
अधिकारी के पास अधिकार होता है कर्मचारी के पास नहीं .
और 
जब चाहे काम पर आ सकता है जब चाहे जा सकता है . कर्मचारी को समय से पहले आना होता हा और देर से जाना .
और...
अधिकारी कर्मचारी के हक़ को छिन सकता है कर्मचारी नहीं.
और .....
कर्मचारी अच्छे कापे पहन लिया तो अधिकारी को खुजली होने लगती है . 
और भी अंतर.........
सरकारी परिसम्पतियो का मनमाना उपभोग और भी बहुत कुछ ....
समझ गया लोभ की जड़ बहुत गहरे तक पंहुच चुकी है ......नानलाल भारती ... १८.०८.२०१०

Tuesday, August 17, 2010

FARZ AUR EEMAAN

फ़र्ज़ और ईमान ..
मेरी मदद कर दो.
क्या मदद चाहिए ?
रेट बता दीजिये .मेरा कोटेशन पास हो जाए .
गैर कानूनी काम .....
हां......
कभी नहीं.....
कीमत दूंगा ..
बिकाऊ नहीं... 
हर चीज बिकाऊ है और आज आदमी भी कीमत देने वाला चाहिए .
ईमान नहीं बिक सकता .
किस ईमान की बात कर रहे है  ?
कवि के..........
लिखित शिकायत ऊपर तक करूगा .
शौक  से किशोर राजा पर मै फ़र्ज़ और ईमान बेईमान के हाथ नीलाम नहीं होने दूगा ....
नन्दलाल भारती  १७.०८.२०१०
 

BAKAR KASAAEE

बकर कसाई ..
डाक्टर रोहित मेरा पेट क्यो फाड़ दिया ?
आपरेशन करना पडा  गनेरियाजी .
पथरी के आपरेशन के लिए पूरा पेट फाड़ दिया ?
तुम्हारी आंत में मांस का लोथड़ा  था, तुम्हारी जान बचाने के लिए करना पड़ा.
मै मांस खाता ही नहीं तो मांस का लोथड़ा कहा से आया ? दर्द है की कम होने का नाम नहीं ले रही है  सप्ताह भर बाद भी .
गनेरियाजी फिर से पेट खोलना पड़ेगा .
क्या कह रहे हो डाक्टर ?
ठीक कह रहा हूँ अक्तरडाक्टर  मै हूँ या तुम ?
रोहित डाक्टर होतो पैसे के लिए जान ले लोगे ?
जीने के लिए आपरेशन तो करवाना पडेगा .
डाक्टर तुमने ऐसा क्यो कर दिया ?
किया तो नहीं हो रहा है .
क्या ...
आंत बाहर आ रही है .जान बचानी है तो आपेरशन कराओ. पच्चास हजार और जमा करवाकर .
गनेरिया जी ने  डाक्टर के मुंह पर थूकते हुए  कहा तू डाक्टर नहीं बकर कसाई है . तुम्हारे अस्पताल में इलाज करवाना जान जोखिम में डालना है ,वाक्य पूरा नहीं हुआ इतने में गश खाकर गिर पड़े. नाजुक  हालत देखकर गनेरियाजी के परिजन जान बचाने के लिए सरकारी अस्पताल की ओर भागे.. नन्दलाल भारती १७.०८.२०१०

Friday, August 13, 2010

MUSIBAT

मुसीबत...
छोटे कर्मचारी संतलाल को निशाना साधते हुए दो अधिकारी उपहास किये जा रहे थे .वे अपने पद ,दौलत और ऊँची पहचान का बखान कर थक नहीं रहे थे. गरीब कर्मचारी  चुपचाप सब सुन रहा था  . इसी बीच कर्मचारी का दोस्त रामलाल आ गया .संतलाल से पूछा माँ कैसी है ?
संतलाल बीमार तो है पर पोते-पोती के साथ खुश है .
रामलाल माँ बाप ही भगवान् है .सेवा सुस्रुखा करते रहना .
संतलाल -हां ..
रामलाल की बात कुछ दिन पहले अपनी मुसीबत बेरोजगार भाई के सर पर डालकर आये बड़े पद और बेशुमार दौलत के मालिक के  कान में गर्म शीशा जैसे डाला दी हो . वे बौखलाकर संतलाल इ बोले काम भी करोगे या बाते काटे रहोगे..? 
नन्दलाल भारती १४.०८.२०१०

BETI

बेटी ....
किसकी बेटी है ?
श्री नयन की .
क्या कर रही हो शहर में ?
पढ़ रही हूँ.
माँ-बाप का नाम रोशन करोगी.?
अवश्य ...
माँ -बाप को बेटे का सुख दे पाओगी ? 
नही ..
क्यों ..
बेटी हूँ. बेटा नहीं बनना है . बेटी बने रहकर माँ-बाप को हर सुख देना मेरा सपना है .
ठीक कह रही हो मेरे भी दो बेटे है ,रोवन रोटी हो गयी है . काश तुम्हारी जैसी मेरी भी एक बेटी होती ........
नन्दलाल भारती १4.०८.२०१०
 

PROTSAHAN

प्रोत्साहन ...
मुंशीजी कविता छब्बीस जनवरी के लिए ठीक रहेगी .
हरिलाल मुंशी- बहुत बढ़िया कविता है .
प्रकाश -मै लिखा हूँ.
मुंशीजी-तुम कविता भी लिखते हो .
प्रकाश -पहली बार लिखा हूँ छब्बीस जाणारी के जलसे के लिए .
मुंशीजी-तुम्हारी कवित नाटक में गीत कीतरह गयी जाएगी तो बहुत अच्छी लगेगी .प्रकाश लिखते रहना .कलम रोकना नहीं.
प्रकाश-जी मुंशीजी और प्रकाश एक मजदूर लेखक बन गया मुंशीजी के प्रोत्साहन से ..नन्दलाल भारती .. १४.०८.०१०

CHORI

चोरी..
बाई  दी फ्रिज पर  पच्चास रूपया पड़ा था . चोरी चला गया .

चोरी मैंने की है .
क्यों...
बच्चे की दवाई के लिए .
चोरी दाई के लिए .कोइ उपाय नहीं सुझा .
चोरी एकमात्र उपाय नहीं .विशस तोड़ने वाले नजरो से गिर जाते है .
पाँव पकड़ती हूँ नहीं होगी ऐसी गलती.
थामो पच्चास रुपये बच्चे की दाई ले लेना ...
चोरी का ईनाम है .
नहीं दंड ......नन्दलाल भारती.. १4.०8.२०१०

SAMAY KI BARBADI

समय की बर्बादी ...
कवी महोदय ने मासिक संगोष्ठी के अंतर्गत आयोजित काव्यपाठ में ज्ञान-ध्यान,राष्ट्र एव मनाता को समर्पित रचनाओ का सस्वर पाठ श्रोताओ का मन मोह लिया . कर्यदार्म के अंत में राजभोग और चाय का बंदोबस्त था . राजभोग के साद में उपस्थिर जन दुबे हुए थे . इसी बिच एक वृध्द साहित्यकार आपसी मनमुटाव बस नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष एव सचिव से बोले भविष्य में नए विचारो को संगोष्ठी में शामिल करे. काव्यपाठ के नाम पर पुरानी बातो पर समय की बर्बादी ठीक नहीं. रचनाओ में नए विचार होने चाहिए . साहित्यकार महोय के सुझाव से राजभोग का SWAD   खारा  HO GAYA   और LOG THOO -THOO KARANE LAGE .
  NAND LAL BHARATI ..14.08.2010   
 

PANI ROKO

पानी रोको ..
रिचार्गिंग करा लिया .
तुमने ..
हां..
आप भी करवा लो .
नहीं करवाना..
क्यों...
कोंई गारंटी तो नहीं की पानी हमें मिलेगा ..
समस्या की नाक में नकेल तो लगेगी .
नहीं लगाना ऐसी नकेल .
समस्या का समाधान  है , पानी रोको.. नन्द लाल भारती  १३.०८.२०१०

NIGAAH

निगाह ..
कौन थी वो .....
सामने मेनगेट के बिच कड़ी मोती औरत की बहू .
बहु तो नहीं नौकरानी लगती है .
वैसे ही रखते है .
विधाता ने कैसा घर बेचारी की तकदीर में लिख दिया है .
पढ़ी लिखी नौकरानी होकर रह गयी है .
क्या मांग रही थी ?
पानी---
बोरिंग चालू हो गयी  पहली बरसात से ही .
नहीं..
कहा से पानी दोगी ?
ख़रीदा हुआ टैंकर का पानी .
तुम कहा से लाओगी ?
हम तो हर हफ्ते खरीदते है .
तो दान क्यों..?
पत्थर  पसिजाने के लिए ..
क्या...?
हां ..पत्थर दिल है पूरा परिअर पर बहू को छोड़कर .
वो कैसे...?
पूरे साल बोरिंग चली है , एक गिलास पानी किसी को नहीं दिए है . पानी का अकाल पड़ा हुआ है पुरे शहर में . रोज़ कहते थे बोरिंग पानी नहीं दे रही है . कल चालू नहीं हुई तो आज बहो को पानी मागने के लिए भेज दी .जानती है हम मन नहीं करेगे. पानी के लिए दर -दर भटकने के बाद भी  .
कैसा गिध्द परिवार र है जिनकी निगाहें बस मतलब साधने  लगी रहती है ...नन्दलाल भारती ..१३.०८.२०१०




 

AASHIRWAD

आशीर्वाद ..
बढ़िया मिठाई मिलाती है यहा .
कुछ ले लो .
क्या लू ?
काजू,अजवाइन, पिस्ता और भी ढेरो स्वाद में तो मिठईया   है .
भैया अजवाइन के सड़ वाली दे दो. 
लीजिये 
कितना हुआ .
पच्चीस रूपये .
लीजिये हम दोने का काट लीजिये .
नहीं पैसा मै दूगा .
आप बुजुर्ग और  रिटायर  है .
तो क्या हुआ मै दूगा . ऊपर अल देता है चिंता की जरुरत नहीं .बिल तो मै ही दूगा . 
मिठाई नहीं आशीर्वाद समझो .
निरुत्तर इनकार ना कर सका. आशीर्वाद को माथे चढ़ा लिया ... नन्दलाल भारती.. १३.०८.२०१०

Thursday, August 12, 2010

VIRAASAT

विरासत ..
क्यों अन्याय कर रहे हो ?
घर बनाना अन्याय है ?
दूसरे के पुरखो की विरासत पर उन्ही का बॉस काठ छिनकर अन्याय नहीं तो और क्या है ?
अन्याय कहते हो ?
मान जाओ ना हड़पो किसी के पुरखो की निशानी .
हड़प लिया तो ?
विलास नहीं कर पाओगे .
देखता हूँ कौन विलास से रोकता है ?
आह.....
हो गया कब्ज़ा . बुझ गया दिया .खिलखिलाती रही जमीं ....नन्दलाल भारती .. १२.०८.२०१०

ROTI

रोटी ..
आजी रोटी खा रही है .
हां बीत्य .
दोपहर की है या रात की ?
जो मान लो . बहु-बेटो का राज है .
बस रोटी दाल सब्जी कुछ नहीं ?
है ना---
क्या ?
थोडा नमक और पानी...
खाने में ?
हां और आंसू के आचार भी.
बाप रे ऐसा अन्याय बूढी माँ के साथ .
कहा  ले जा रही हो?
जमाने को दिखाना है. नकाब हटाना है , भलमानुष का मुखौटा लगाये चेहरों से . माँ बाप धरती के भगवान् है. बहु-बेटो को बताना है ताकि मिले सकूँ की रोटी बढ़े माँ-बाप को ..नन्द लाल भारती .. १२.०८.२०१० 
 

VISHWAS

विश्वास..
तोता पाल लिया ?
आ गया है अतिथि की तरह . 
पिजरे में तो रखा है ? पंक्षी को कैद करना अन्याय है आज़ादी के प्रति .
डरा-सहमा दरवाजे पर दो दिन बैठा रहा. बिल्ली खा जाती इसलिए नया पिजरा मंगवा कर  उसके सामने रख दिया .खुद जाकर बैठा है . खुला चुद देने पर भी नहीं जाता. देखो पिजरे का दरवाजा खुला है ना . सिटी मारता है ,नाचता है, गाता है ,धर्मपत्नी कहाथ से दाल चावल खता है . जब घर के लोग नहीं दिखाते तो मिठू-मिठू बुलाता है. अन्याय है या न्याय ,छल या कोई मेर स्वार्थ .
विश्वास .........नन्दलाल भारती १२.०८.२०१० 


 

Tuesday, August 10, 2010

PHONE

फोन ..
भईया फोन आया क्या ?
किसका........?
राज का...
हां मिसकाल....फिर  लगाकर बात किया था . रात में फोन आया पर फोन ने झटका  दे दिया .
वो कैसे ?
बिल ने जोर का झटका धीरे से मार दिया .

क्या ....पैसे आपके कट गए ?
हां.... राज ना जाने कौन सा प्लान ले रखा है फोन सुनने पर झटका लग जाता है .
राज को को रिश्ते से अधिक मोह पैसे से है . हाल चाल पूछने की जो कीमत वसूले ऐसे रिश्तेदार की क्या जरुरत ?  नन्दलाल भारती  ०९-०८-२०१०

Papin

पापिन ..
डाक्टर पेट में बहुत दर्द है .
गठान है आपरेशन करना होगा .
आराम हो जाए ऐसी कोई दवाई दीजिये . घर जाकर बुढिया से राय्मशविरा कर पैसे का इंतजाम कर आपरेशन करवाऊंगा  .
बेटा नहीं है क्या ?
दो है डाक्टर साहेब कमा खा रहे है . हम बूढ़ा-बूढी बहिष्कृत जी रहे है .
लोग बेटो के लिए क्या -क्या करते है और बेटे नरक का दुःख भोगवा रहे है .
अक्तर साहेब नसीब अपना-अपना .
दवाई इंजेक्शन दे देता हूँ. आराम तो हो जायेगा. जानकी बाबा आपरेशन के बिना कोइ इलाज नहीं है .
जानकी बाबा घर गए बुढिया से राय्मशविरा  किये गहना  -गुरिया बेचकर रुपये का इंतजाम कर आपरेशन के लिए दोनों पति-पत्नी निकले ही थे की छोटी बहू बोली आपरेशन करवाने जा रहे हो लौटकर नहीं आओगे बुढाऊ तुमको कीड़े पड़ेगे .
बूढ़ा-बूढी उन्सुना कर चल दिए . आपरेशन सफल रहा पर खून की कमी डाक्टरी इलाज में लापरही के कारण घाव सड़ गया . कुछ ही दिन में कीड़े पड़ गए और जानकी बाबा एक दिन तड़प-तड़प कर मर गए तब से छोटी बहू इसराजी देवी गाव  वालो के लिए पापिन  हो गयी .नन्दलाल भारती --०८.०८.२०१०
 

Ganga-jamuna

गंगा-जमुना ..
सर पत्र तैयार है देखकर दस्तखत कर दीजिये .
आप से अच्छा तो मै नहीं लिख सकता और आप तो बेहतर कर्मचारी है .
सुना साहब क्या बोल रहे है .
हां...........
पहले आले साहेब तोहर काम में कमी निकलते थे चराहे जैसा व्याहार करते थे .
आदमी पद  और दौलत से बड़ा नहीं होता .
ठीक कह रहे है सर . ये तो विदात्जन अच्छी तरह से समझते है . आप उनमे से एक है .
बड़े बाबू उच्च शिक्षित है ,प्रतिष्ठित है ,इनका सम्मान हमारा सम्मान है .
उच्च शिक्षित विद्वत बॉस से सम्मान पाकर बे बाबू की आँखों में गंगा-जमुना उमड़ पड़ी .
नन्दलाल भारती ०५.०८.२०१०

Vansh

वंश ..
बधाई हो सुर्तीलाल ..
क्या हुआ काकी ?
बिटिया ...
बिटिया के जन्म की बधाई . अरे काकी तालू में कागज चिपका  देना था .
पाप कर्म क्यों ?
वंश का क्या होगा ?
बिटिया भी वंश है . पढ़ाना लिखाना एक दिन तुम्हारी लाठी बनेगी .
बिटिया और लाठी ...
हां सुर्तीलाल बिटिया ..
सच हुआ बिटिया सुर्तीलाल की लाठी बनी. सुर्तीलाल  उसी सलोनी की बडाई  करते और बेटो में कमिया निकलते नहीं थकते थे जिस बेटी के जन्म पर तालू में कागज चिपका कर मार देना चाहते थे .. नन्दलाल भारती ०५.०८.२०१० 

Monday, August 9, 2010

Banjar Aurat

बंज़र औरत ..
बिटिया कब आयी शहर से ?
काकी तीन दिन हो गए .
यहाँ कब आयी ?
दो घंटे हो गए काकी .
भाई-भौजाई भतीजी-भतीजे सब घेरे गये है ,नई  माताजी नहीं दिख रही है?
फुर्सत नहीं होगी उन्हें .
देखो तक़रीर कर रही है मक्के के खेत में . है  तो सौतेली माँ ना . वह भी बंजर जमीन जैसी.ना जाने कौन सा षड्यंत्र रची की तुम्हारा बाप उम्र के आखिरी पडाव पर ब्याह कर चल बसा . धन दौलत का मज़ा इतरिया के मायके वाले उठा रहे है . हरिहर की औलादे पोते-पोतिया आंसू पी रहे है .
काकी सभी सौतेली माँ ऐसी होती है क्या ?
नहीं ........... इतिहास सौतेली माताओं के त्याग से भरा है पर इतवारिया खून पी रही है ..
नन्दलाल भारती ---- ०4.०८.010





vidaee

विदाई ..
दमाद जी तुम्हारी सासू माँ ने विदाई में क्या दिया ?
हमें क्यों देगी ?
भाई भतीजो को लाखो में नगद , गाड़ी, भैंस ,अनाज,कपड़ा लता सबकुछ दे  रही है ,तुमको कुछ नही दी ?
हमें कुछ नहीं चाहिए भगवान का दिया सब कुछ है मेरे पास.
बिटिया दामाद जी सच कह रहे है ?
हां काकी हमारे हाथ पर   रखने के लिए  एक पैसा था ही नहीं तो विपुलजी को क्या देगी मनहूस  ?
हां काकी सास सौतेली है ना . नन्दलाल भारती..... ०4.०८.२०१०


 

Sunday, August 8, 2010

samajhdari

समझदारी .
अशोक-चंद्रेश बाबू कैसे आये हो ?
चंद्रेश- स्कूटर से और कैसे ?
 अशोक- बाहर तुम्हारी गाड़ी तो है ही नहीं.
चंद्रेश- नहीं है ना .
अशोक- कोई मंगनी ले गया क्या ? बहुत महंगा पेट्रोल है . मत दिया करोकिसी को. हमें महंगा पड़ रहा गाड़ी से चलाना . तुमसे तीन गुना अधिक पगार मिलती है. कौन ले गया है ?
चंद्रेश- बॉस .....
अशोक-बहुत ले जाते है और किसी की नहीं मिलती क्या ?
चंद्रेश- मै मेरा हक़ और मेरे सामन की तो वही  दशा है जैसे कमजोर आदमी की दूध देने वाली भैंस .
अशोक- समझ में नहीं आयी तुम्हारी बात .
चंद्रेश- सर जी कमजोर आदमी की भैंस जन्न गयी है . खबर तेजी से फ़ैलती है उतनी ही तेजी से दबंग लोगो के बर्तन भी निर्बल के घर की और दौड़ पाते है फ़ोकट में दूध  लेने के लिए  .
अशोक-- ओ आई सी .... बॉस है . अपने सामान को हाथ नहीं लगते . सरकारी परिसम्पतियो का उपभोग खुद का हक़ मान कर करते है . नीचे वालो का हक़ चाट करने में तनिक भी कोताही नहीं  बरतते . चौबीस सरकारी गाड़ी का उपभोग . सरकारी गाड़ी में दिक्कत आ जाए तो तुम जैसे भैस वाले का उपभोग.सरकारी उपभोग की असतो को इतना दूर करके रखते है जैसे तुम हो  अछूत .
चंद्रेश -मुझ अआने की क्या औकात आप तो अधिक समझते है सर जी .....नन्द लाल भारती ... १७.०७.२००९

Bhoot

भूत .
पच्चीस तारीख की संगोष्ठी का मुख्य वक्ता  आपको संस्था बनाने के इच्छुक है . आप सहमति प्रदान  कर दे तो सदस्यों  को सूचित कर दू .
डायरी देखर बताऊंगा .
क्या ?
हां . आजकल बहुत व्यस्त चल रहा हूँ साहित्यिक कार्यकर्मो की  वजह से . कल बता दूंगा .
ठीक है डायरी देखकर बता  दीजियेगा .
मन ना मान रहा था जनाब की व्यस्थता सुनकर. शहर में रोज साहित्यिक महफिले सजाती है पर दीदार नहीं होते. ऐसे कौन से साहित्यिक जलसे में व्यस्त रहते है .
जनाब का  फोन  एक तारीख के बाद रख लीजिये .
क्या  ?
हां .........
क्यों..?
डायरी खाली नहीं है .
डायरी खाली  है या नहीं पर श्रेष्ठता का भूत खाली नहीं है जनाब ......नन्द लाल भारती १८.०७.2009

ममता

ममता
 माँ से मुलाकात हुई
नहीं ... बहुत कोशिश के बाद भी .दो दिन की यात्रा जो थी .
याद है ?
क्या ?
जब पहली बार रोजगार की तलाश में घर छोड़ा तब माँ कई हफ्ते रोई थी . मै शहर आकर मन ही मन कसम खा लिया की पक्की नौकरी पा जाने के बाद घर जाऊँगा . नहीं मिली . चार साल  के बाद गांव गया . माँ मुझे पकड़ कर इतना रोई की मेरी अंतरात्मा नहा उठी. वही  माँ आँखों में सपने लिए आँखे मूंद ली हमेशा के लिए . मै अभागा माँ के आंसू का भार कम नहीं कर पाया.
माँ का क़र्ज़ कोई नहीं उतार पाया है आज तक ......... नन्दलाल भारती १८.०७.2009