Thursday, December 30, 2010

mafinaamaa

माफीनामा .....
कर्मवादी कर्मचारी बॉस के आदेश के परिपालन में ईमानदारी एवंग शालीनता से जुट गया . कर्मवादी कर्मचारी का संस्थाहित में यह कार्य अभिमानी अधिकारी को इतना नागवार गुजरा की वे कर्मवादी के साथ  बदसलूकी करते हुए बॉस से शिकायत तक कर दिए. अधिकारी की शिकायत को अनसुना कर बॉस ने जुआड्बाज  अधिकारी को दायित्वाबोध का ऐसा हैवी डोज दिया की उन्हें कर्मचारी संस्था की रीढ़ है का बोध हो गया और वे भींगी बिल्ली हो गए. आखिरकार अभिमानी अधिकारी, कर्मवादी कर्मचारी से माफ़ी मागने लगे जो  पद की मियादी जहाज पर बैठे  , कर्मचारी को छोटे लोग कहकर दुत्कार चुके थे .. नन्द लाल भारती  ३०.१२.२०१०

eds ki kheti

 एड्स की खेती ..
काले साहब मालामाल हो गए तरक्की पर तरक्की . गोल्ड मेडलिस्ट, हाईली कुवालिफईद    फेल  हो गए है .
काले साहबे की गोरी नीति का बवाल है तरक्की पर तरक्की .
क्या कह रहे हो महोदय गोरी नीति का बवाल.. 
हां .........छल, भेद आखिर में बात नहीं बनी तो दाम यानि गोरी नीति . 
अच्छा समझा , इसी नीति के सहारे गोरो ने देश को गुलाम बनाये रखा था. अब काले साहब लोग युवाओ की नसीब और आम आदमी  के हक़ को गुलाम बना रहे है  .
आतंकवाद,घूसखोरी,भ्रस्ताचार गोरे नासूर की खेती हो गयी है .
नासूर नहीं एड्स. इस एड्स के खिलाफ जंग भविष्य और हक़ सुरक्षित रख सकता है .
नन्द लाल भारती  ३०.१२.२०१०

Wednesday, December 29, 2010

PRATIKRIYA

प्रतिक्रिया ..
अत्यधिक संपन्न  परन्तु आत्मिक विपन्न व्यक्ति की दोगली बात पर प्रतिक्रिया स्वरुप बुजुर्ग विपुल पूछे उपदेश अच्छा था विपिन ...
उपदेश नहीं धोखा ....
सही समझे, साप केचुल  छोड़े तो इसका मतलब ये नहीं की डसना छोड़ दिया .
देख लिया दादा मन में राम और छुरी की धार .
अरे तू तो समझदार हो गया बेटा .
साप तो नहीं ना दादा .
बिल्कुल  नहीं, सच्चे, मन के अच्छे मानवतावादी विषधर नहीं हो सकते बेटा ...
नन्द लाल  भारती   २९.१२.२०१० 

Wednesday, December 22, 2010

Naasoor (short story)

नासूर .....
दुखी हो गए  ?
सुखी कब था ज्वालामुखी की मांद पर ?
सच, हाशिये का आदमी पक्षपात का शिकार और मुश्किलों का पर्याय हो गया है. ना जाने इस नासूर का इलाज कब संभव होगा.
इलाज तो संभव है पर जिम्मेदार होने देना नहीं चाहते. भाई-भतीजावाद ,भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले अंधे-बहरे अपनो  को रेवड़ी  बाँट रहे है. योग्य तिरस्कृत है. पर कतरे जा रहे है .
काश देश और आम आदमी के विकास में बाधा बना नासूर ख़त्म हो जाता . तरक्की से दूर फेंका आदमी रफ़्तार पकड़ लेता .
संभव तो है जिम्मेदार लोग नैतिक ईमानदार बने तब ना. घात   का ज्वालामुखी तो वही से फूटता है ...
नन्दलाल भारती..२२.१२.२०१० 

Thursday, December 16, 2010

intjaar

इन्तजार     ..
कब  तक कामकरना पड़ा .
आठ बजे तक ..
तैयार हो गयी  रिपोर्ट .
रात में ही और बाइंडिंग भी हो गयी ..
रिपोर्ट तो बॉस के टेबल पर पड़ी है .
छाती पर चढ़कर बनवाए . चाहे टेबल पर रखे या टोकरी में . मुझ छोटे कर्मचारी के लिए तो दर्द  पीना तकदीर  है .
जो काम तुम से रात आठ बजे तक करवाया गया वह भी बिना किसी ओवर टाइम के  वह  तो महज इन्तजार करने का बहाना था .
किसका ...........
मैडम का जानते नहीं बॉस अपनी जरुरत अनुसार उपभोग और तुम छोटे कर्मचारी को आंसू देते रहते है .
क्या.............
हा..... नन्द लाल भारती

Saturday, December 11, 2010

vardaan

vardaan.
 bitiya vardaan बन गयी .
वो कैसे ...
जिस दिन पैदा  हुई थे उसी दिन कारोबार की नीव पड़ी थी . बिटिया ज्यो-ज्यो बढ़ रही है  कारोबार भी बढ़ रहा है .बिटिया वरदान   है .
लगती नहीं होती है घर की लक्ष्मी बेटिया .
विश्वास मज़बूत हो गया ..
कैसा  विश्वास ....
बेटिया वरदान है .....नन्द लाल भारती

astha

आस्था  ..
साहब पुष्पगुच्छ स्वीकार कीजिये .
किस ख़ुशी में रोहन .
आपके जन्मदिन की ख़ुशी में .
बेटा शुभकामना के शब्द बोल देता . तुम्हारे अंतर्मन की शुभकामना मुझे मिल जाती. पैसा खर्च करने की क्या जरुरत थी . दैनिक वेतनभोगी  हो,तंगी से गुजर रहे हो... 
जनता हूँ गरीब हूँ पर आस्था से नहीं..स्वीकार कीजिये साहब ..
तुम्हरी आस्था के सामने नतमस्तक हूँ रोहन ,
साहब ये पुष्पगुच्छ स्वीकार कीजिए .
मुझमे अस्वीकार करने का सामर्थ्य कहा ....गले से लग जा बेटा रोहन.......नन्दलाल भारती

Thursday, December 2, 2010

sewa shulk

सेवा    शुल्क ..

जसवंती-क्या जमाना आ ग्ग्गाया है ज्जहा देखो वही रिश्वतखोरी  .
जसोदा-कौन रिश्वात मांग रहा है .
जस्वंती-बिना रिश्वत के कोई काम होता है, चाहे कोई प्रमाण पत्र बनवाना हो या अन्य काम. अस्पताल में चाय-पानी के नाम पर रिश्वतखोरी कई विभाग तो पहले से ही बदनाम है.
जसोदा-रिश्वतखोरी ने ईमान को लहूलुहान कर दिया है, कर्म्पूजा है को लतिया दिया है.
जस्वंती-हां बहन बिना रिश्वत के तो काम नहीं होता होता .सेवा भावना का कटी कर दिया है रिश्वत ने .
जस्वंती-पच्चास साल पहले मुझ से दस रूपया रिश्वत ली थी सरकारी बाबू ना चाय पानी के नाम .मैंने सबके साम्माने दस रूपया का नोट हाथ पर रख दिया था.रिश्वतखोर बाबू हक्का-बक्का रह गया था, माथे से पसीना चुने कागा था . माफ़ी माँगा था.
जसोदा -रिश्वत सेवा शुल्क हो गया है .
जसोदा बहिन रिश्वत ना देने की कसम खानी होगी...नन्दलाल भारती
.

putra moh

पुत्र मोह   

बहू-बेटो ने दुखीबबा का जीवन नरक कर दिया था . दी दिनों से मरन्शैया पर पड़े हुए थे . दुखिबबा कराहते हुए बड़े बेटे गोपाल से विनती भरे स्वर में बोले बेटा जमींदार जगदीश बाबू को बुला देता. मुलाकात की बड़ी इच्छा है .
गोपाल -डपट दिया .
दुखिबबा गाँव के एक लडके जीतेन्द्र को भेजकर जमीदार जगदीश बाबूओ को बुलवाए. दुखिबबा ने जगदीश को पास बैठाने का इशारा किया और उखड़ती सांस में बोले बाबू मै तो जा रहा हूँ. मेरे बच्चो पर दया-दृष्टि बनाये रखना और दुखिबबा की सांस सदा के लिए थम गयी.
गोपाल अवाक था पिता के अंतिम क्षण के पुत्र मोह को देखकर .
नन्द लाल भारती

munh dikhayee

मुंह DIKHAYEE  ..
दीक्षा अपनी जेठानी प्रतीक्षा से -दीदी अशोक की मम्मी कह रही थी  की तुमने तो हमारी बहू को मुंह दिखाई नहीं दी  . मै तुम्हारी बहू को क्या दूँगी.
प्रतीक्षा-तुमने क्या जबाब दिया .
दीक्षा-दीदी ने तो दिया है  .
प्रतीक्षा-तब क्या कहा सुभौता दीदी ने .
दीक्षा-वे बोली तुम्हारी जेठानी ने दिया है, तुमने तो नहीं.
प्रतीक्षा- बाप रे कैसी कैसी साजिशे रचती है सुभौता दीदी, तुमको कहना था दीदी मत बाँटो हमें. मत देना हमारी बहूओ को ... नन्दलाल भारती

Wednesday, December 1, 2010

vidroh

विद्रोह .

बगावती -काकी सास दमयंती के सामने थाली पटकते हुए बोली भैंस का चारा-पानी मै कर रही हूँ और दूध पुष्पा पी रही है. अम्मा ये बेगानापन क्यों .
दमयंती-बीटिया तू नहीं जानती क्या पुष्पा के पेट में जानलेवा दर्द हो रहा है. डाक्टर ने पंद्रह दिन तक खाना देने को मन किया है. बेटी तू ही बता कैसे रहेगी जिंदा बिना खाए-पीये. कुछ तो चाहिए ना ....
बगावती ..सगी पतोहू को दूध पिला रही हो  मुझे सूखी रोटी ...
दमयंती..बेटी तेरे पति को अपना दूध पिलाकर पला तो क्या तुझे सूखी रोटी दे सकती हूँ. सब तो तेरे हाथ में है ना.  कभी तुमको रोका है क्या. क्यों विद्रोह पर उतर रहो हो.
बगावती विद्रोह के बिना कैसे हक़ मिलेगा इस घर में..
दमयंती.. कैसा हक़ चाहती हो बीटिया..
बगावती.. आधे का ..
दमयंती-- घर में दीवार...
बगावती- हां..
इतना सुनते ही दमयंती गिर पड़ी धडाम से बेसुध... नन्दलाल भारती

Tuesday, November 30, 2010

BHASHADROHI

भाषाद्रोही..
हिंदी गंगा है, वक्तव्य सुनकर एक श्रोता प्रतिक्रिया स्वरुप बोला बकवास  है .
पीछे बैठे व्यक्ति से रहा नहीं गया वह उत्तेजित स्वर  में बोला अरे चुप रह भाषाद्रोही ... नन्दलाल भारती

Monday, November 29, 2010

vansh

वंश ..
मम्मी सुधार भईया के नाना तुम्हारे सामने क्यों रो रहे थे .
वंश के गम में .तीन-तीन बेटिया है बेटा एक भी नहीं .
क्या..............
हां.........
मम्मी तुम्हे  और पापा को चिंता नहीं .
नहीं..................
सुधार भईया के नाना को क्यों.
मर्निकर्निका कौन ले जायेगा .
मम्मी  बेटियाँ भी तो मर्निकर्निका ले जा सकती है ना. 
हां... बेटी क्यों नहीं . बेटियाँ भे तो हमारी वंश है..  
नन्द लाल भारती

Sunday, November 14, 2010

badhaee

बधाई ..
बधाई हो मोची भईया तुम तो बहुत ऊपर उठ गए .
मोची-धन्यवाद् महोदय आप कोई शब्दों के जादूगर लगते है .
हां वही समझ लीजिये . मेरा नाम सेवकदास है .
मोची-महोदय प्रसाद  ग्रहण कीजिये .
सेवकदास -मेरा सौभाग्य है की महावीर जयंती के सुअवसर पर आपके  हाथ से प्रसाद पा रहा हूँ .
मोची- महोदय गरीब के पास सद्भाना की दौलत  के सिवाय और कुछ तो होता नहीं . मौका आने पर पेट काटकर दूसरो की मदद करने से भी गरीब पीछे नहीं हटता .
सेवकदास -आपके सेवा भाव  को नमन करता हूँ.
मोची-महोय मेहनत मज़दूरी की कमाई में बरकत बरसे. दूसरे आपसे सेवाभाव  सीखे. ,महावीर जयंती की बहुत-बहुत बहीया  बधाईया   मोची भईया कहते हुए सेवकदास गंतव्य की और चल पड़ा . उखड़े पाँव मोची भईया नेक मकसद में जुट गया . नन्दलाल भारती 

Wednesday, November 3, 2010

TRAINING

ट्रेनिंग ..
तुम्हारी तीन दिवसीय ट्रेनिंग होने जा रही है देवीप्रसाद कनक साहब पूछे .
देवीप्रसाद हां साहब दुछ देर पहले फैक्स से सूचना आई है .
कनक साहब -बधाई हो तुम्हारी ट्रेनिंग की . अधिकारियो की तो हुई नहीं तुम्हारी हो रही है  कहते हुए कनक साहब अपने माथे पर चिंता के काले बदल लिए अपनी केबिन में चले गए . 
 बब्बन -देवीप्रसाद कनक साहब बधाई दे रहे थे या विरोध कर रहे थे . उखड़े पाँव कर्मचारी के नौकरी के तीसरे दशक की पहली ट्रेनिंग की .
देवीप्रसाद-कनक साहबे बड़े अफसर है . उनका अभिमान बोल रहा था .छोटे कर्मचारियों की ट्रेनिंग कनक साहब जैसे अफसर फिजूलखर्ची और कंपनी के लिए घाटे का सौदा मानते है .उखड़े पाँव छोटे कर्मचारियों की यह ट्रेनिंग छाती में शूल की तरह गड़ने लगी है . 
बब्बन-कनक साहब जैसे लोगो के रहते  उखड़े पाँव कर्मचारियों के पाँव नहीं जम सकते देवीप्रसाद .
नन्दलाल भारती

Saturday, October 30, 2010

DAULAT

 दौलत ....
बाबूजी- आप तो कहते हो की आदमी बड़ा बनता है तो फलदार पेड़ की तरह झुक जाता है .
हां- बेटा रामू मैंने तो गलत नहीं कहा है. बात तो सही है रघुदादा  बेटे से बोले.
रामू- बात पुरानी हो गयी है .
रघुदादा-बेटा ये अमृत वचन है .
रामू-बाबूजी मै बॉस से ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ. दफ्तर के बाहर मान-सम्मान भी है ,इसके बाद भी अपमान.
रघुदादा-ये दुर्जनों के लक्षण है . ये बबूल के पेड़ सरीखे होते है बेटा .
रामू-बाबूजी क्या करू ?
रघुदादा  -कुछ नहीं . कर्म पर विश्वास  रखो बस...
रामू- बाबूजी रोज-रोज अपमान का जहर .
रघुदादा-बेटा हर अच्छे  काम में बाधाये  आती है . घबराओ नहीं. भले ही ऊँचा पद और दौलत का पहाड़ तुम्हारे पास नहीं है परन्तु तुम्हारे पास कद की ऊँची दौलत तो है .कद से आदमी महान बनता है . पद और दौलत से नहीं ...नन्दलाल भारती

Thursday, October 14, 2010

awsarwadi

अवसरवादी ......
जयेश- आदमी कितना अवसरवादी  हो गया है ? मौका पाते ही डंक मार देता है.
रत्नेश- किसने किसको डंक  मार दिया जयेश भाई...
जयेश- अरे मै ही डंक का शिकार हूँ छोटा कर्मचारी जो ठहरा .
रत्नेस-- क्या ?
जयेश- हां ..
रत्नेश- ओ कैसे--?
जयेश- छोटा होना ही गुनाह है. जहा मै काम करता हूँ वहा के लोग अवसरवादी  है . वैसे  तो मै सहयोग  के लिए तैयार रहता हूँ. कुछ अवसरवादी  मुझे काम में व्यस्त देखकर विभागाध्यक्ष से शिकायत भरे लहजे में कहते है साहब जयेश  को बोलिए मेरा काम कर दे . कुछ लोग तो फिल्ड के कार्यकर्त्ता है और सभी कामो  के लिए पैसा भी मिलता है . लेते भी है पर काम मुझे करना होता है. तनिक विलम्ब हुआ  तो ये अवसरवादी विभागाध्यक्ष के पास पहुँच जाते है. विभागाध्यक्ष सब कुछ जानते हुए भी रौब मेरे ऊपर झाड़ते है .
रत्नेश-सच ये अवसरवादी लोग अन्याय कर रहे  है ...नन्दलाल भारती

koyala

कोयला ..
रेखा-लाली क्यों दुखी रहती हो. गोंड में सुन्दर सी बेटी है, हंस बोलकर रहा कर. माँ-बाप की या में कब तक तपती  रहोगी. मायका एक दिन छूट  ही जाता है हर लड़की का..
लाली- आंटी ये बात नहीं है.  
रेखा-क्या बात है ?  
लाली-बाप के जाती के अभिमान ने मुझे तबाह कर दिया. पश्चाताप की आग में जल रही हूँ.चैन की रोटी को तरस रही हूँ आंटी इस बड़े  घर में .
रेखा-क्या कह रही हो लाली ?
आंटी-आंटी बिलकुल सही कह रही हूँ. मेरे दीदी छोटी जाती के लडके से ब्याह कर दुनिया का सुख भोग रही है और मै नरक, जातिपाति ती के ठीहे पर मार्डन युग के पढ़े -लिखे लडके लड़कियों  भविष्य का क़त्ल कहा तक उचित है ? काश मै अपने भविष्य का फैसला खुद ली होती  दीदी की तरह तो अपने पाँव पर कड़ी होती. आंटी अंतरजातीय ब्याह की इजाजत होनी चाहिए आज के आधुनिक युग के लडके -लड़की को एक दुसरे के योग्य और स्वधर्मी होना चाहिए. हां विवाह क़ानूनी तौर पर हो और समाज  को मान्य हो. लाली की छटपटाहट   और पश्चाताप को देखकर रेखा को ऐसे लगा जैसे उसके गले में किसी ने गरम कोयला ड़ाल दिया  हो...
नन्दलाल भारती

Wednesday, October 13, 2010

GAALI

गाली ...
इस देश के लोग तरक्की नहीं कर सकते .स्कूटर  सवार  मालवा मिल, मुक्तिधाम की ओर मुड़ते हुए बोला. पिछली सीट पर बैठी पाश्चात्य रंग-रोगन में नख से शीश तक डूबी महिला ने कहा-एस यूं आर राइट . यह बात साइकिल सवार  के कान में जैसे पिघला शीशा डाल दी हो . वह चिल्लाकर बोला अरे वो बिलायातिबाबू हम तो आदर्श सभ्यता उच्च्संस्कार,मर्यादा  और मान-सम्मान की रोटी  को असली  तरक्की कहते हो . तुम अपनी अर्धनग्नता और फूहड़ता को तरक्की मानता है तो तेरी तरक्की तुझे मुबारक पर अपनी माँ को गाली तो मत दे.....

HOLI

होली ..
कुंदन बाबू   होली मुबारक हो कहते हुए गौतम बाबू  के ऊपर रंग भरी पिचकारी तान लिए .तानी हुई पिचकारी को रोकने का आग्रह करते हुए गौतम बाबू  बोले भईया तनिक रुको तो सही हमें भी तो मौका दो रंग पिचकारी लाने का .
कुंदन बाबू क्यों नहीं . ले आईये बाल्टी भर रंग .
गौतम बाबू झट से घर में से थाली  में फूल लेकर आये और कुंदन बाबू   को फूल देते हुए  बोले होली मुबारक हो कुंदन बाबू .
कुंदन बाबू फूल से होली .....
गौतम बाबू हां पानी बचाना है ना . 
नन्दलाल भारती ..

Saturday, October 9, 2010

PAHUNCH

पहुँच ....
आर्डर तो आ गए होगे ?
नहीं......
अरे यार महीनो हो गए इन्टरवियू हुए .अभी तक आर्डर नहीं आये .
प्रमोशन होगा तब ना आर्डर आएगा ?
क्या...
हां ....
मतलब तुम्हारा प्रमोशन नहीं हुआ .आश्चर्य , तुम जैसे पढ़े-लिखे योग्य प्रसिध्द कर्मचारी का प्रमोशन नहीं हुआ  तो किसका  होगा .
पढ़ा-लिखा योग्य और प्रसिध्द हूँ  पर श्रेष्ठता की योग्यता और पहुँच नहीं है ना ..
ये अन्याय है ,श्रेष्ठता की आड़ में  कमजोर  पढ़े-लिखे योग्य  कर्मचारी के  कल का क़त्ल है . कैसी संस्था है जहा  कम  पढ़े-लिखे ऊँची पहुँच वाले तरक्की के नित नए तारे तोड़ रहे है तुम जैसे पढ़े-लिखे आंसू से भविष्य सींच रहे है . कब तक  भयावह अन्याय होता रहेगा  कमजोर निचले तबके के पढ़े-लिखे  योग्य कर्मचारियों के साथ  समानता और न्याय  का झूठा  ढोल  पीटने वालो  .........नन्दलाल भारती ..१०.१०.२०१० 


 

bijali ka jhataka ....

बिजली का झटका ..
डाक्टर साहेब मेरी माँ को बचा लो...
क्या हुआ.......?
बिजली ऑफिस  गयी थी आपस आने के बाद से ये हाल है .
वहा  किसी ने कुछ कहा क्या ?
बिजली चोरिनी और भी बहुत कुछ . दो लाख का बिजली का बिल तुरंत भरने को कहा गया है . जबकि मेरा घर एक कमरे का मकान  कच्ची बस्ती में है . बिजली बिल की शिकायत माँ करने गयी थी .माँ को बचा लो डाक्टर साहेब ..बाक़ी पूछताछ बाद   में कर लीजियेगा डाक्टर साहेब.......
बहुत देर हो गयी . दिल के दौरे ने जान ले ली है  . अब कुछ नहीं हो सकता .
क्या राजू की माँ की मौत का कारण बिजली के बिल का झटका है ... 
हार्ट अटैक मौन यही कह रहा ....
हे भगवान विभाग की गलतिया आम- गरीब आदमी की कब तक  जान लेती रहेगी....
नन्दलाल भारती .. १०.१०.२०१०



Saturday, October 2, 2010

saeb jhooth mat bolo

साहेब झूठ मत बोलो ...
विकास समझाइस के लहजे में बोले किशन बाबू निर्णय लेने से  पहले बॉस से बात कर लिया करो .
किशन-बॉस से बात करके ही पार्टी को बुलाया हूँ. पार्टी मेरे साथ दुर्व्यवहार कर रही है तो मै कसूरार हो गया .
विकास - पार्टी भ्रष्ट लगती है . काम कराने के लिए दंड,भेद का सहारा  ले रही है . तुम इतनी जिल्लत क्यों झेले हो . बॉस बोले रहे थे की मैंने नहीं बुलाया है बोल देना था  ना बॉस से की आपने ही बुलवाया है .

किशन-दस लोगो के सामने बॉस की क्या इज्जत रहती .
विकास - सुने बॉस एक आप हो दोषी निरापद किशन को ठहरा रहे हो जबकि खुद दोषी हो . ना जाने क्यों  बड़े  बॉस लोग छोटे कर्मचारी के आंसुओ से अपने रुतबे को चमकने में लगे रहते  है .....साहेब झूठ मत बोलो  ...
विकास साहब की बात सुनकर बॉस बगले झांकने  लगे .. नन्दलाल भारती... २९.०९.२०१०

ek aur shikayat

एक और शिकायत ..
मोहन बाबू .....
क्या कह रहे है जनाब बोलिए .
क्यों चिल्ला रहे थे  ?
क्या कह रहे हो .
मै नहीं बिपिन कह रहा था .
जनाब मै अधिकारी तो नहीं की पूरानी कार  की डिलीवरी राकेश राजा को दे देता . मैंने कहा मै नहीं दे सकता बिना कागजी कारवाई पूरी करवाए   . साहब से बात करो . इतना कहते ही वह धमकी देने लगा, साहब को घुसखोर ,भ्रष्ट कहने लगा, सतर्कता विभाग को फोन पर शिकायत करने लगा  .यदि इसका जबाब  अपराध है तो किया हूँ  .
राकेश राजा ने अपराध किया है . बिपिन राकेश राजा का पक्ष्हर कैसे हो गया और तुम्हारी एक और शिकायत कर दी . खैर मतलब के लिए थूक कर चाटना, सिर पर जूता लेकर चलाना बिपिन की आदत है . काम तो करना नहीं है . बिना काम के तनखाह ले रहा है ऊपर से काम करने वालो  की शिकायत पर शिकायत ...... ..
देख लो जनाब..... नन्द लाल भारती.. २८.०९.२०१०

Interview

इंटरव्यू ..
बधाई हो ...
कैसी बधाई ?
इंटरव्यू पास हो जाओगे उसकी बधाई .
कैसे पास हो गया . रिजल्ट तो आने दो .
गिधायन साहेब कमेटी मेंबर है . तुम तो वैसे ही पास हो गए .
वो कैसे.......?
काबिल हो . तुम्हारे एहसान भी तो है गिधायन साहेब पर.
मेरे  कैसे एहसान  वह भी गिधायन साहेब पर..
भूल गए ? तुमने अपने घर का स्टोप उन्हें  दे दिया था  जब वे इलाज करवाने ने आये थे 'शहर में . तुम्हारे  घर में रोटी कैसे बनेगी इसकी  परवाह भी  तुम्हे नहीं थी . यह तो गिधायन साहेब को याद ही होगा .
वो एहसान  नहीं मेरा फ़र्ज़ था .
गिधायन साहब का भी तो कोई फ़र्ज़ है .
यार वो तो कांटा बो दिए . कमेटी के सामने बोले पदोन्नति के बाद हिंसक तो नहीं हो जाओगे .
क्या......
हां.....
मानवता को धर्म मानने वाले को हिंसक बना दिए  . वाह रे पद और दौलत का घमंड .....नन्द लाल भारती २.०९.२०१० 

Tuesday, September 28, 2010

dhunaa

धुँआ ..
रामलाल-भईया कैसे है ? उनके फेफड़े की बीमारी आपरेशन के बाद फिर तो नहीं उभरी ना ?
तन्मय- उभर जायेगी ,फिर भगवान नही नहीं पचा पायेगे. दारु गंजे के जश्न में ऐसे ही डूबे रहे तो . 
रामलाल- अपने बाप के बारे में ऐसा  क्यों कह रहे हो बेटा ?
तन्मय- क्या कहू चाचा ? दो-दो आपरेशन हो गया पेट का , पर गांजा छुटता नहीं .बेटे -बहू पोते-पोती को तो पहले ही चिलम पर रखकर उड़ा चुके है . अब तो बेटी -दमाद ,नाती-नातिन को भी धुएं  में उड़ा रहे है ,गांजे की मस्ती में .
रामलाल-क्या धुएं के सुख में ज़िन्दगी उड़ा  रहे है भईया ?  नन्दलाल भारती.. २८.०९.२०१०

Sunday, September 19, 2010

PARSAAD

परसाद ..
आओ बच्चो आरती कर लो . पूजा हो गयी .
चलो माँ बुला रही है .
आरती का समय हो गया क्या ..?
हां बनती,बबली चलो. माँ बुला रही है ना .
माँ-बाप के साथ बच्चो ने आरती किया. माँ ने बच्चो को चना -चिरौंजी का परसाद दिया. प्रसाद माथे चढ़ाकर मुंह में डालते हुए बनती बोला माँ आरती के बा परसाद जरुरी होता हा क्या..?
हां -पूजा का परसा जीवन के अच्छे संस्कार की तरह है बेटा .
बनती- माँ मै भी बाँटूगा  ....नन्दलाल भारती ... १९.०९.२०१०

MAANG

मांग ..
यतन बाबू  खुद काफी पढ़े लिखे सम्मानित व्यक्ति थे .उनकी बिटिया भी माँ-बाप का नाम रोशन कर रही थी . बेटी के ब्याह की चिंता उन्हें सताने लगी थी. सुयोग वर का पता लगते  ही वे ऊँची उड़ान भरने वाली शिक्षा के साथ सामाजिक संस्कार में महारथ  हासिल करने वाली बेटी की जन्म पत्री वर पक्ष  की ओर भेजकर आश्वस्त हो गए. बेटी के हाथ जल्दी पीले करने के सपने बुनने लगे क्योंकि उनका मानना था की कोई भी सभ्य-संस्कारवान सामाजिक व्यक्ति बिटिया को ख़ुशी-ख़ुशी बहूरानी  बनाने को तैयार हो जायेगा पर क्या भ्रम टूट तीसरे दिन इंकार हो गया.शायद बाप का ओहदा दहेज़ की मांग पूरी करने लायक नहीं था ...
. नन्दलाल भारती... १९.०९.२०१०

DALAAL

दलाल ..
कहा जाना है साहब ? अवंतिका से जा रहे है क्या ? टिकट कन्फर्म है ?
क्यों पूछताछ कर रहे हो भाई ......

मुसीबत में ना फंसो इसलिए .
कैसी मुसीबत ?
देखिये इन साहब को अलाल से टिकट लिए है . ट्रेन आने के समय पता चला है की टिकट इटिंग में है . अपना टिकट देख लो साहब . दो सौ रुपये लगेगे कन्फर्म करवा दूंगा ..

मेरा कन्फर्म है .
कन्फर्म कैसे हो गया चार वेटिंग है . टिकट और दो सौर रूपया दो मै कन्फर्म टिकट लता हूँ.
भाग रहा या पुलिस बुलाऊ . इतना सुनते ही वह ठग भीड़ में गायब हो गया .....नन्दलाल भारती .. १९.०९.२०१० 

BHEEKH

भीख ..
एक रूपया दे दो जोज की भूख लगी है कहते हुए भिखारी ने हाथ फैला दिया .
पराठे खा लो भूख लगी है तो .
पराठे नहीं .
क्यों मै भी तो खा रहा हूँ.
एक रूपया दे दो ..
खुले नहीं है 
कंजूस भीख नहीं दे सकते कहते हुए भिखारी बालक आगे चला गया .... नन्दलाल भारती ...१९.०९.२०१०

FAISALA

फैसला ..
एक दिन श्रेष्ठता और योग्यता में विवाद हो गया . श्रेष्ठता के अभिमान की बिजली योग्यता के ऊपर गिरने लगी . योग्यता ने नम्रता पूर्वक कहा आग मत लगाओ आओ फैसले के लिए पञ्च-परमेश्वर के पास चले. आना-कानी के बाद आखिरकार श्रेष्ठता मान गयी .पंचो ने योग्यता को सर्वश्रेष्ठ माना . अंततः श्रेष्ठता ने योग्यता के महत्व को स्वीकार कर पश्चाताप करने लगी क्योंकि फैसला समझ में आ गया था . श्रेष्ठता को पश्चाताप की अग्नि में जलाते हुए देखकर योग्यता ने गले लगा लिया .....नन्दलाल भारती ..१९.०९.२०१०

Saturday, September 18, 2010

BOOKH

भूख ..
देवकरन नशे  की हालत में ठुसते जा रहे थे जो कुछ खाना था ,यान्ति परस चुकी थी . देवकरन  खाने के बाद थाली चाटने लगा तो दयावंती से नहीं रहा गया वह बोली और रोटी बना दू क्या.....? 
देवकरन -नहीं रे तू ये बर्तन रख और सो जा.......... लड़खड़ाते हुए देवकरन  बोला और चारोखाना चित हो गया. कुछ देर के बाद कराहने लगा . बेचारी दयावंती हाथ पाँव दबाने लगी. हाथ पाँव दबाते ही खरार्ते मरने लगा.   जब दयावंती  के हाथ थम जाते  तो वह कराहने लगता , बेचारी रात भर देवकरन की सेवासुश्र्खा में लगी  रही. भोर हुई  नशा तनिक उतारी तो वह  दयावंती को उंघती देखकर  बोला  राजू की माँ रोटी खा ली .
दयावंती-तुमने खा लिया ना-----
देवकरन -मैंने तो खा लिया ..
दयान्ति-समझो मैंने भी खा लिया ....
देवकरन - मतलब--------
दयावंती - औरत हूँ ना बच गया तो खा लिया नहीं बचा तो नहीं खायी . औरत को भूख नहीं लगती ना...
इतना सुनते ही देवकरन की सारी नशा उतर गयी ..............नन्दलाल भारती....१८.०९.२०१० 


 

Thursday, September 16, 2010

BETI KA SUKH

बेटी का सुख ..
क्या औलाद हो गयी है आज के स्वार्थी  जमाने की , बताओ तीन-तीन हट्टे -कटते बेटे,अच्छी खासी सरकारी नौकरी और बहो की भी सरकारी नौकरी पर तोता काका को समय पर पानी एने अल नहीं . देखो बेचारे अस्सी साल की उम्र में घर छोड़कर जा  रहे थे .
खेलावन काका की बात सुनकर देवकली  काकी बोली  देखो एक  बेटी अपनी भी है चार-चार बच्चो को पाल रही है, दफ्तर जाती है, बिटिया जरा भी तकलीफ नहीं पड़ने  देती . सारी सुख सुविधा का ख्याल रखती है . एक वो है, तोताजी ,बेटा बहू नाती पोतो से भरा पूरा परिवार, अपार धन सम्पदा के बाद भी दाना-पानी को तरस रहे है . एक बेटी के माँ-बाप हम है ..............नन्दलाल भारती ... १६.०९.२०१०

Tuesday, September 14, 2010

PARIVARTAN

परिवर्तन ..
सूरजनाथ - सुदामा  सुना है धर्म बदलने जा रहे हो .
सुदामा-ठीक सुना है बाबू.......
सूरजनाथ- क्यों सुदामा  ?
सुअमा-कब तक जातिया,छुआछूत, उंच-नीच, सामाजिक उत्पीडन का जख्म ढोऊंगा ? मुझे समांनता का हक़ तो भारतीय रुढ़िवादी  समाज में   मिलने से रहा..
सूरजनाथ- ऐसा क्यों सोचते हो ?  धर्म परिवर्तन पाप है .
सुदामा-जहा आदमी को आदमी नहीं समझा जाता हो वहा रहना पाप है न की धर्मपरिवर्तन . मरने से पहले सामाजिक समानता की प्यास  बुझाना चाहता हूँ.
सूरजनाथ-क्या इसके लिए धर्म परिवर्तन जरुरी हो गया  है ?
सुदामा- हां बाबू . क्या उच्च वर्ण  के लोग जातिवाद  की मजबूत दिवार  तोड़ पायेगे ?  बाबू जब तक उच्चवर्ण के लोग जातीय दंभ की दिवार को ढहाकर सामाजिक समानता की पहल नहीं करते है . सामाजिक समानता का जीवंत उदहारण नहीं बनते, तब तक धर्मपरिवर्तन पर रोक संभव नहीं ..
सूरजनाथ- हां सुदामा ठीक कह रहे हो भारतीय समाज की रक्षा के लिए जातिवाद के किले को ढहाना ही पड़ेगा . जातिवाद का किला ढहते ही धर्म परिवर्तन पर विराम लग जायेगा ...नन्द लाल भारती .. १४.०९.२०१० 

Sunday, September 12, 2010

KASAM

कसम ..
रामू पेट में भूख और दिल में अरमान पालकर पक्के इरादे के साथ शिक्षा हासिल किया था . रामू अधिक पढ़ा लिखा होने के साथ ही काम भी इमानदारी और पूरी निष्ठां के साथ करता था . उसे उम्मीद थी की वह कठिन  मेहनत और शिक्षा के बलबूते ऊँची उड़ान भर लेगा   , लेकिन ऐसा नहीं होने दिया कमजोर का हद मारने वालो ने . एक दिन सुहाने मौसम का जश्न मन रहा था कई बोतलों की सीले टूट चुकी थी कई मुर्गे उदरस्थ हो चुके थे. जाम का जश्न सर पर चढ़कर बोल रहा था . अफसर चिकंकुमार अफसरों के सुप्रीमो की गिलास में नई बोतल का दारू उड़ेलते हुए बार सर रामू का पर नहीं कतरे तो बहुत आगे निकल जाएगा .
सुप्रीमो-कभी नहीं--- उखड़े पाँव रामू चौथे दर्जे का है चौथे दर्जे  से आगे नहीं बढ़ पायेगा चिकन कुमार  मै कसम खाता हूँ ....
बस क्या इतने में मजे थपथपा   उठी ....नन्द लाल भारती ...१२.०९.२०१०

Wednesday, September 8, 2010

EEMAAN

ईमान  ..
सुबह गदराई हुई थी लोग खुश थे क्योंकि उनके सूखते धान के खेत लहलहा उठे थे बरसात का पानी पाकर. इसी बीच राजा बदमाश आ धमाका अपने कई साथियो के साथ . राजा बदमाश और उसके साथियों को देखकर ईमानदेव बोले कैसे आना हुआ राजा बाबू.
राजा-नाम तो ईमानदेव है बात बेईमानो जैसी कर रहे हो . गाय तुम्हारे खूंटे पर वापस बाँध गया था भूल गए . पैसा वापस लेने आया हूँ.
ईमानदेव-वचन दिया हूँ  तो पूरा  करूगा थोडा वक्त दो . ऐसे तो तुम नाइंसाफी कर रहे हो. चार माह गाय का दूध खाने के बाद मरणासन्न अवस्था में मेरे दराजे बाँध गए. कोई इज्जतदार और समझदार आदमी तो ऐसा नहीं करता जैसा तुमने किया है राजाबाबू.
राजा-ईमानदेव मुझे लेने आता है कहते हुए ईमांदे का क्साला पकड़ लिया .यह देखकर असामाजिक लोग इकट्ठा होकर ठहाके मारने लगे थे ,राजा मारपीट पर उतर आया . ईमानदेव का दमाद कैलाश लहुलुहान होगया .
राजा के खूनी तांडव को देखकर ईमानदेव  की पतोहू  दुर्गा उठ खड़ी हुई हाथ में चप्पल लेकर इतने में राजा बदमाश और उसके साथी पत्थर फेंकते भागते नज़र आये. कुछ देर में पूरी बस्ती के लोग इकट्ठा हो गए. बस्ती के लोग ईमानदेव को पैसा न देने की सलाह देने लगे परन्तु उखड़े पाँव  ईमानदेव का ईमान मुस्करा रहा था . नन्दलाल भारती ... ०८-०९-२०१० 

Tuesday, September 7, 2010

AIDAS

एडस ..
भ्रष्टाचारी,ठग बेईमान ,दगाबाज किस्म के लोग कामयाबी पर जश्न मनाने में लगे रहते है .कर्मठ,परिश्रमी, उखड़े पाँव नेक लोग आंसू से रोटी गीली करते रहते है , जबकि जगजाहिर है की दगाबाजी से खड़ी की गयी दौलत की मीनार ज्वालामुखी है . मेहनत सच्चाई से कमाए गए चाँद सिक्के भी चाँद की शीतलता देते है. सकून की नींद देते है . कहते हुए  बाबा शनिदेव  धम्म से टूटी काठ की कुर्सी में समा गए .
जगदेव-बाबा दगाबाज लोग पूरी कायनात के लिए अपशकुन हो गए है . बाबा ये दगाबाज बेईमान मुखौटाधारी आदमियत के विरोधी लोग समाज और देश की तरक्की की राह में एडस  हो गए है .
शनिदेव -बेटा वक्त गवाह है दगाबाज खुद की जिन्दा लाश ढ़ो-धोकर थके है. खुद के आंसू की दरिया में डूब मरे है . जमाना दगाबाजो के मुंह पर थूका है और थूकेगा भी . नन्द लाल भारती ... ०७.०९.२०१०

 

Saturday, September 4, 2010

VRIDHA AASHRAM

वृद्धा आश्रम ..
बूढ़े माँ बाप वृद्धा आश्रमो  की डगर  पर की खबर पर देवकीनन्दन  की निगाह थम गयी और उनकी आँखों से आंसू लुढ़कने लगे . देवकीनन्दन  की दशा देखकर दमयंती बोली क्यों जी क्या हो गया कोई बुरी खबर अखबार में छपी है क्या ?
देवकिनंदन -बहुत बुरी खबर ...
बूढ़े सास ससुर की बातचीत सुनकर रोशनी आ गयी और बोली बाबूजी क्या हो गया आपकी आँखों में आंसू ?
दमयंती ने बहू के स्समाने अखबार रख इया . इतने में राजनारायन आ गया ग़मगीन माँ बाप को देखकर रोशनी से बोला ये क्या चिराग की मम्मी ----
रोशनी ने अखबार की खबर की ओर इशारा किया .
राजनारायन-पिताजी आँखों में आंसू क्यों ?
देवकीनंदन -बेटा डर गया था कुछ पल के लिए ...
रोशनी बाबू जी मेरे जीते जी तो ऐसा नहीं हो सकता .
राजनारायन-पिताजी रोशनी ठीक कह रही है .
चिराग-मम्मी दाजी दादीजी के नाश्ते का समय हो गया जल्दी   करो ..
रोशनी- हां मुझे याद है .
देवकीनंदन और दमयंती एक सर में बोले सदा खुश रहो मेरे बच्चो....नन्दलाल भारती -- ०४.०९.१०

Thursday, September 2, 2010

chhoori

छूरी ..
अभिमान आदमी को खा जाता है .कंस ,हिरंयाकुश एव अन्य अभिमानियो के अभिमान के नतीजे को जानते हुए भी हलाकू साहब के सर चाहकर बोलता था अभिमान. हलाकू साहब की कीमत ने साथ दिया वे तरक्की करते-करते बड़े जिम्मेदार पड़ पर पहुँच गए पर उन्हें पड़ की गरिमा से तनिक सरोकार न था, हलाकू साहब की तरक्की दूसरो के लिए खजूर की छाव साबित हो रही थे और व्यवहार बबूल की छाव . हलाकू साहब पदोन्नति से ओवर लोड होकर आपा खोने लगे थे जैसे पांच किलो की प्लास्टिक की थैली में पच्चीस किलो का वजन . हलकू साहब की आदत से छोटे-बड़े सभी परिचित थे . एक दिन अक्षरान्शबबू ने महीनो से लंबित अपने भुगतान के लिए अनुरोध क्या कर दिया जैसे कोई भारी अपराध  कर दिए. हलकू साहब अक्षरंश्बाबू के अनुरोध को रौदते हुए बड़ी बदतमीज़ी से बोले तुम्हारा भुगतान अब नहीं हो सकता जो करना चाहो कर लेना .हलकू साहब की अभद्रता एव अमर्यादित धौंस से अक्षरंश्बाबू के माथे से पसीना चूने लगा क्योकि उन्हें अति आवश्यक कार्यवस   रुपये की शख्त जरूरत थी .अक्षरंश्बाबू की रोनी सूरत देखकर सहकर्मी एक स्वर में बोल उठे हलकू साहब की पदोन्नति क्या हुई वे तो कसाई की छुरी हो गए ... नन्दलाल भारती ... ०२.०९.२०१०
 

Wednesday, September 1, 2010

AATM HATYA

आत्मह्त्या ..
परसुदादा आत्महत्या कर लिए , यह खबर बस्ती के किसी व्यक्ति के गले नहीं उतरी . नहीं दोस्तों के नहीं दुश्मनों के  ही . परसुदादा की मौत का रहस्य तब उजागर हुआ जब उनके मझले भाई करजू  के समधि दूधनाथ और दमाद प्रभू ने परसु दादा  और उनके तीनो भाईयो के नाम चौदह साल  पहले खरीदी गयी जमीन पर कब्जा कर लिए . खेती की जमीं पर कब्जा के बाद प्रभू का हौशला और बढ़ गया वह दरसु के घर पर भी कब्जा जमाने के लिए  क़ानूनी दावपेंच  चलने लगा . प्रभू के अन्याय को देखकर बस्ती के कुछ लोग दरसु के साथ खड़े हो हो गए. बस्ती  वालो की वजह से प्रभू दाल गलती ना देखकर  बोला दरसुवा  तुमको तो ज़मीन में गड़वा  दूंगा . तेरे बड़े भाई परसुवा की तरह तुमको पेड़ पर नहीं लटकाऊंगा याद रखना कहते  हुए वह दलबल के साथ चला गया . परसूदादा के मौत की हकीकत से बीस साल बाद रूबरू होकर दरसु और उसके परिवार वाले ही नहीं पूरी बस्ती के लोग रो पड़े ... नन्दलाल भारती -- ०१.०९.२०१०

Tuesday, August 31, 2010

KHALI PARS

खाली पर्स ..
मार्च का दूसरा दिन था पगार मिलाने की उम्मीद थी.गुणानंद सोच रखा था की पगार मिलते ही घरवाली को अस्पताल ले जाएगा जो कई दिनों से दर्द से कराह रही है. कैशियर सुखेश साहब दफ्तर बंद होने के कुछ पहले पगार बाटना शुरू किये. पगार मिलने की उम्मीद में कई घंटो तक गुणानंद काम में लगा रहा. सुखेश साहब खिझ निकालते  हुए गुणानंद को पगार आज न देने की जिद कर बैठे. गरीब गुणानंद को देखते ही आदत मुताविक  सुखेश साहब टालमटोल करने लगे .कमजोर को तंग करने में उन्हें खूब मज़ा आता था. आखिरकार गुणानंद को पगार नहीं दिए, गुणानंद उदास घर की और चल पड़े . कुछ ही देर में आकाश में अवारा बदल छा गए और बरस पड़े. गुणानंद भींगा घर पहुंचा पिचका खाली पर्स निकालकर खटिया पर रखा जिसमे मात्र पच्चास पैसे थे . खाली पर्स रखकर भींगे कपडे उतारने लगा. इतने में गुणानंद की धर्मपत्नी रेखा आयी और बोली आज दर्द कम है अस्पताल बाद में चलेगे वह  दर्द में बोले जा रही थी. गुणानंद कभी खाली पर्स तो कभी  पत्नी को देख रहा था. पत्नी के दर्द के एहसास से उखड़े पाँव  गुणानंद कराहते हुए बोला वाह  रे अमानुष सुखेश साहब ..... नन्दलाल भारती  ३०.०८.२०१०

Sunday, August 29, 2010

CHAAY

चाय ..
अधिकारी-टीचू ये क्या है .
टीचू- सर चाय है .
अधिकारी-कैसी चाय है. वह भी सरकारी.
टीचू-दूध में तनिक पानी डाल दिया हूँ.
अधिकारी- क्यों . खालिस दूध की क्यों नहीं.
टीचू-शिकायती लहजे में बोला -इंचार्ज बाबू ,मना करते है .
अधिकारी-बाबू की इतनी हिम्मत . हमें तो खालिस दूध की ही चलेगी .
टीचू- बावन बीघा की पुदीना की खेती आले है, मन ही मन बुदबुदाया .
अधिकारी-कुछ बोले टीचू .

टीचू- नहीं सर .
अधिकारी-अब तो सरकारी चाय दे दे .
टीचू-सर दूध में चाय पत्ती और शकर डलेगी .
अधिकारी-हां क्यों नहीं पर पानी नहीं... जा की बहस ही करता रहेगा... मूड खराब हो गया चाय देखकर ..
टीचू-दूध में चाय पत्ती और शकर डालकर गरम करने में जुट गया .. नन्दलाल भारती .... २९.०८.२०१०

ASHPRISYATAA

अश्प्रिस्यता //
रघुवर-अरे भाई सेवक जलसे में नहीं गए थे क्या.?
सेवक- किस जलसे की बात कर रहे हो ?
रघुवर -अरे किस  जलसे की ये सुर्खिया है .
सेवक -कंपनी के जलसे की  . ये तुमको कहा मिल गया ?
रघुवर-भाई तुम्हारे विभाग के जलसे  की खबर है . इसलिए अखबार की कतरन साथ लेते आया . ये एखो तुम्हारे दफ्तर के सभी लोग फोटो में है बस तुमको छोड़कर  . अच्छा बताओ तुम शामिल क्यों नहीं हुए .
सेवक-मै छोटा कर्मचारी अश्प्रिस्यता का शिकार हो गया हूँ.
रघुवर- क्या कह रहे हो . तुम जैसे कद वाले सिर्फ पद के कारण अश्प्रिस्यता के शिकार..........
सेवक हां रघुवर .................
रघुवर-धैर्य खोना नहीं. जमाना तुम्हारी जय-जयकार करेगा एक  दिन सेवक ......नन्दलाल भारती .. २९.०८.२०१०

Friday, August 27, 2010

BYAAH

ब्याह  ..
भईया गजानंद बहुत खुश लग रहे गो, कोई लाटरी तो नहीं लग गयी, रामानंद अपनी बात पूरी कर पाते उससे पहले गजानंद उचक कर बोले हां भईया एस ही कुछ .
रमानंद --मतलब.
गजानंद- ब्याह फ़ाइनल हो गया .
रमानंद- किसका?
गजानंद-बिटिया का और किसका ...
रमानन्द-बढ़िया खबर सुनाये भईया .
गजानंद-बिटिया के ब्याह की चिंता में तो बुह हुए जा रहा था. भागदौड़  सफल हो गयी.  ब्याह  में विलम्ब तो हुआ पर घर आर मनमाफिक मिल गया है.
रमानन्द -लड़का क्या करता है ?
गजानंद-सरकारी नौकरी में ऊँचे पद पर है . उपरी आमनी की भी अच्छी गुंजाईश है. इकलौता लड़का है . माँ-बाप दोने नौकरी में है सर्वसम्पन्न परिवार है .
रमानन्द-दहेज़ भी बहुत देना है . लड़का अकेला संतान हा अपनी माँ-बाप का .पूरी समाती की मालकिन बिटिया होगी.
गजानंद -हा भाई हां.....
रमानन्द-भईया गजानंद मुझे तो पसंद नहीं है ऐसा रिश्ता . यहाँ बिटिया के सुख चैन की उम्मीद तो नहीं लगती .
गजानंद-क्या कह रहे गो रमानन्द .
रमानन्द-जिस घर में लड़की नहीं उस घर में बिटिया का ब्याह कर रहे हो अह भी दहेज़ देकर.
गजानंद-क्या वहा बिटिया का ब्याह नहीं करना चाहिए .
रमानन्द -खुद की बिटिया की हत्या पैदा होने से पहले करने वाले  दूसरे की बिटिया के साथ कैसा सलूक करेगे . मुझे यहाईसा ही लगता है. जिस माँ-बाप ने बेटी का जन्म नहीं होने दिया .वे दूसरे की बेटी की क्या कद्र करेगे ? गजानंद बिटिया का सुख चैन चाहते हो तो बिलकुल नहीं करना ... नन्दलाल भारती  २८.०८.२०१०

KAMAAEE

कमाई ..
गोपाल -भइया चिंतानंद क्यों माथे पर हाथ धरे बैठे हो .
चिंतानंद  - परिश्रम और योग्यता  हार गयी है श्रेष्ठता के आगे .
गोपाल-शोषण के शिकार हो गए है .
चिंतानंद-हां, सामाजिक व्यवस्था और श्रम की मण्डी में भी .
गोपाल-युगों पुराना घाव  है .कारगर इलाज नहीं  हो रहा है सब मतलब के लिए भाग रहे है . कमजोर के हक़  की कमी पर गिध्द नज़र टिकी है. आतंक और शोषण से कराहते  लोगो की कराहे अनसुनी हो रही है .
चिंतानंद - यही दर्द ढ़ो रहा हूँ . 
गोपाल- तुम भी भईया . 
चिंतानंद- हां ..
गोपाल-समझ रहा था की हम अनपढ़ और असंगाथिर मजदूरों का बुरा हाल हा . पढ़े लिखे भी शोषण के शिकार है .
चिंतानंद- हां भईया चौथी श्रेणी का कर्मचारी हूँ. काम भी मुझे से कोल्हू के  बैल सरीखे लिया जाता है . काम हम करते है . हमारी कमी में बरकत नहीं होती उखड़े पाँव आंसू  पीने को बेबस  हो गया हूँ. ओवर टाइम और प्रतिभुतिभत्ता श्रेष्ठ चापलूस और रुतबेदार लौट रहे है . उनकी कमाई में चौगुनी बरकत हो रही है .
गोपाल-हक़ के लिए संगठित  होकर जंग छेडना होगा भईया चाहे सामाजिक हक़ हो या परिश्रम की कमाई का ...नन्दलाल भारती २८.०८.२०१० 




 

Friday, August 20, 2010

DUAA

दुआ ..
तीरथ के बाबू बहू रानी का बुखार तो उतरने का नाम नहीं ले रहा है. आँखों से बेचारी के झरझर आंसू झर रहे है. शरीर तप रहा है बुखार से.
अरे बाप रे दवाई  असर नहीं कर रही है क्या ?  
सुना नहीं डाक्टर क्या बोले ?
क्या बोले ?
बुखार उतरने में समय लगेगा .
तू बेबी को चुप करा मै  ठन्डे पानी की पट्टी रखता हूँ. बुखार जल्दी उतर जायेगा .
ठीक है .
बिटिया सर सीधा कर मै पट्टी रखता हूँ.
नहीं बाबू जी मै ठीक हूँ.
बिटिया तू तप रही है  बुखार से मुझे पट्टी रखने दो . बहुरानी तुम्हारा दुःख समझता हूँ. तुमे बहू ही नहीं बेटी भी हो हमारी .
बाबू जी देखो बुखार कम हो गया .
ये कैसा चमत्कार  ?
बाबूजी आपकी दुआ . आप और सासू माँ हमारे लिए धरती के भगवान है.. नन्दलाल भारती .. २०.०८.२०१०

 

Thursday, August 19, 2010

COACHING

कोचिंग ....
बहुत जल्दी में हो.. कहा से आ रही हो..

कोचिंग से..
कोचिंग पढ़ाने लगी क्या ?
अरे नहीं रे मै क्या पढ़ऊगी .
बेटा को छोड़कर आ रही हूँ.
कौन सी कोचिंग बेटा को दे रही हो ?
इंग्लिश की ..
इंग्लिश की ही क्यों..?
इंग्लिश जानने से कैरियर  बढ़िया बनता है  न तुम भी बच्चो को कोचिंग दो ..
पैसा कहा है इतना ? मै तो घर में ही देती हूँ संस्कार की कोचिंग ... नन्दलाल भारती... १९.०८.२०१०

JHALAK

झलक ..
कोई दरवाजे पर खड़ा है ?
अन्दर बुलाओ .
बुला रहे है ,जाइए .
आप है , अन्दर आइये , बाहर क्यों खड़े है ?
जल्दी में हूँ.
ऐसी क्या जल्दी है . रिटायर्मेंट के बाद भी जल्दी . बैठिये .
वक्त  नहीं है. मुझे तीन सौ रूपया दे सकते है ? १० तारीख को बेटा की तनख्वाह मिलेगी दे जाउगा .
तीन सौ ...
हां बस तीन सौ अधिक नहीं .
लीजिये ...
धन्यवाद.. चलता हूँ ...
आगंतुक के पग बढाते ही झलक पड़ा तंगी का दर्द.. नन्दलाल भारती.. १९.०८.२०१०
 

Wednesday, August 18, 2010

INTJAAR

इन्तजार ...
कब तक काम करना पड़ा ?
आठ बजे तक ...
तैयार हो गयी रिपोर्ट ...?
रात में ही और बाइंडिंग भी हो गयी .
रिपोर्ट तो बॉस के टेबल पर पड़ी है ..
छाती पर चढ़कर बनवाए . चाहे टेबल पर रखे या टोकरी में . मुझ छोटे कर्मचारी के लिए रो दर्द पीना तकदीर है .
जो काम तुमसे आठ बजे तक कराया गया वह भी बिना किसी ओवर टाइम के वह  तो   महज़ इन्तजार करने का बहाना था.. 
किसका .?
मैडम का , जानते नहीं बाण अपनी जरुरत अनुसार उपभोग और तुम  जैसे छोटे कर्मचारी को 
आंसू देते रहते है ...
क्या  ......?
हां .... नन्दलाल भारती  १८.०८.२०१०
 

ANTAR

अंतर ..
अधिकारी और कर्मचारी में क्या अंतर महसूस करते हो ?
अधिकारी के पास अधिकार होता है कर्मचारी के पास नहीं .
और 
जब चाहे काम पर आ सकता है जब चाहे जा सकता है . कर्मचारी को समय से पहले आना होता हा और देर से जाना .
और...
अधिकारी कर्मचारी के हक़ को छिन सकता है कर्मचारी नहीं.
और .....
कर्मचारी अच्छे कापे पहन लिया तो अधिकारी को खुजली होने लगती है . 
और भी अंतर.........
सरकारी परिसम्पतियो का मनमाना उपभोग और भी बहुत कुछ ....
समझ गया लोभ की जड़ बहुत गहरे तक पंहुच चुकी है ......नानलाल भारती ... १८.०८.२०१०

Tuesday, August 17, 2010

FARZ AUR EEMAAN

फ़र्ज़ और ईमान ..
मेरी मदद कर दो.
क्या मदद चाहिए ?
रेट बता दीजिये .मेरा कोटेशन पास हो जाए .
गैर कानूनी काम .....
हां......
कभी नहीं.....
कीमत दूंगा ..
बिकाऊ नहीं... 
हर चीज बिकाऊ है और आज आदमी भी कीमत देने वाला चाहिए .
ईमान नहीं बिक सकता .
किस ईमान की बात कर रहे है  ?
कवि के..........
लिखित शिकायत ऊपर तक करूगा .
शौक  से किशोर राजा पर मै फ़र्ज़ और ईमान बेईमान के हाथ नीलाम नहीं होने दूगा ....
नन्दलाल भारती  १७.०८.२०१०
 

BAKAR KASAAEE

बकर कसाई ..
डाक्टर रोहित मेरा पेट क्यो फाड़ दिया ?
आपरेशन करना पडा  गनेरियाजी .
पथरी के आपरेशन के लिए पूरा पेट फाड़ दिया ?
तुम्हारी आंत में मांस का लोथड़ा  था, तुम्हारी जान बचाने के लिए करना पड़ा.
मै मांस खाता ही नहीं तो मांस का लोथड़ा कहा से आया ? दर्द है की कम होने का नाम नहीं ले रही है  सप्ताह भर बाद भी .
गनेरियाजी फिर से पेट खोलना पड़ेगा .
क्या कह रहे हो डाक्टर ?
ठीक कह रहा हूँ अक्तरडाक्टर  मै हूँ या तुम ?
रोहित डाक्टर होतो पैसे के लिए जान ले लोगे ?
जीने के लिए आपरेशन तो करवाना पडेगा .
डाक्टर तुमने ऐसा क्यो कर दिया ?
किया तो नहीं हो रहा है .
क्या ...
आंत बाहर आ रही है .जान बचानी है तो आपेरशन कराओ. पच्चास हजार और जमा करवाकर .
गनेरिया जी ने  डाक्टर के मुंह पर थूकते हुए  कहा तू डाक्टर नहीं बकर कसाई है . तुम्हारे अस्पताल में इलाज करवाना जान जोखिम में डालना है ,वाक्य पूरा नहीं हुआ इतने में गश खाकर गिर पड़े. नाजुक  हालत देखकर गनेरियाजी के परिजन जान बचाने के लिए सरकारी अस्पताल की ओर भागे.. नन्दलाल भारती १७.०८.२०१०

Friday, August 13, 2010

MUSIBAT

मुसीबत...
छोटे कर्मचारी संतलाल को निशाना साधते हुए दो अधिकारी उपहास किये जा रहे थे .वे अपने पद ,दौलत और ऊँची पहचान का बखान कर थक नहीं रहे थे. गरीब कर्मचारी  चुपचाप सब सुन रहा था  . इसी बीच कर्मचारी का दोस्त रामलाल आ गया .संतलाल से पूछा माँ कैसी है ?
संतलाल बीमार तो है पर पोते-पोती के साथ खुश है .
रामलाल माँ बाप ही भगवान् है .सेवा सुस्रुखा करते रहना .
संतलाल -हां ..
रामलाल की बात कुछ दिन पहले अपनी मुसीबत बेरोजगार भाई के सर पर डालकर आये बड़े पद और बेशुमार दौलत के मालिक के  कान में गर्म शीशा जैसे डाला दी हो . वे बौखलाकर संतलाल इ बोले काम भी करोगे या बाते काटे रहोगे..? 
नन्दलाल भारती १४.०८.२०१०

BETI

बेटी ....
किसकी बेटी है ?
श्री नयन की .
क्या कर रही हो शहर में ?
पढ़ रही हूँ.
माँ-बाप का नाम रोशन करोगी.?
अवश्य ...
माँ -बाप को बेटे का सुख दे पाओगी ? 
नही ..
क्यों ..
बेटी हूँ. बेटा नहीं बनना है . बेटी बने रहकर माँ-बाप को हर सुख देना मेरा सपना है .
ठीक कह रही हो मेरे भी दो बेटे है ,रोवन रोटी हो गयी है . काश तुम्हारी जैसी मेरी भी एक बेटी होती ........
नन्दलाल भारती १4.०८.२०१०
 

PROTSAHAN

प्रोत्साहन ...
मुंशीजी कविता छब्बीस जनवरी के लिए ठीक रहेगी .
हरिलाल मुंशी- बहुत बढ़िया कविता है .
प्रकाश -मै लिखा हूँ.
मुंशीजी-तुम कविता भी लिखते हो .
प्रकाश -पहली बार लिखा हूँ छब्बीस जाणारी के जलसे के लिए .
मुंशीजी-तुम्हारी कवित नाटक में गीत कीतरह गयी जाएगी तो बहुत अच्छी लगेगी .प्रकाश लिखते रहना .कलम रोकना नहीं.
प्रकाश-जी मुंशीजी और प्रकाश एक मजदूर लेखक बन गया मुंशीजी के प्रोत्साहन से ..नन्दलाल भारती .. १४.०८.०१०

CHORI

चोरी..
बाई  दी फ्रिज पर  पच्चास रूपया पड़ा था . चोरी चला गया .

चोरी मैंने की है .
क्यों...
बच्चे की दवाई के लिए .
चोरी दाई के लिए .कोइ उपाय नहीं सुझा .
चोरी एकमात्र उपाय नहीं .विशस तोड़ने वाले नजरो से गिर जाते है .
पाँव पकड़ती हूँ नहीं होगी ऐसी गलती.
थामो पच्चास रुपये बच्चे की दाई ले लेना ...
चोरी का ईनाम है .
नहीं दंड ......नन्दलाल भारती.. १4.०8.२०१०

SAMAY KI BARBADI

समय की बर्बादी ...
कवी महोदय ने मासिक संगोष्ठी के अंतर्गत आयोजित काव्यपाठ में ज्ञान-ध्यान,राष्ट्र एव मनाता को समर्पित रचनाओ का सस्वर पाठ श्रोताओ का मन मोह लिया . कर्यदार्म के अंत में राजभोग और चाय का बंदोबस्त था . राजभोग के साद में उपस्थिर जन दुबे हुए थे . इसी बिच एक वृध्द साहित्यकार आपसी मनमुटाव बस नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष एव सचिव से बोले भविष्य में नए विचारो को संगोष्ठी में शामिल करे. काव्यपाठ के नाम पर पुरानी बातो पर समय की बर्बादी ठीक नहीं. रचनाओ में नए विचार होने चाहिए . साहित्यकार महोय के सुझाव से राजभोग का SWAD   खारा  HO GAYA   और LOG THOO -THOO KARANE LAGE .
  NAND LAL BHARATI ..14.08.2010   
 

PANI ROKO

पानी रोको ..
रिचार्गिंग करा लिया .
तुमने ..
हां..
आप भी करवा लो .
नहीं करवाना..
क्यों...
कोंई गारंटी तो नहीं की पानी हमें मिलेगा ..
समस्या की नाक में नकेल तो लगेगी .
नहीं लगाना ऐसी नकेल .
समस्या का समाधान  है , पानी रोको.. नन्द लाल भारती  १३.०८.२०१०

NIGAAH

निगाह ..
कौन थी वो .....
सामने मेनगेट के बिच कड़ी मोती औरत की बहू .
बहु तो नहीं नौकरानी लगती है .
वैसे ही रखते है .
विधाता ने कैसा घर बेचारी की तकदीर में लिख दिया है .
पढ़ी लिखी नौकरानी होकर रह गयी है .
क्या मांग रही थी ?
पानी---
बोरिंग चालू हो गयी  पहली बरसात से ही .
नहीं..
कहा से पानी दोगी ?
ख़रीदा हुआ टैंकर का पानी .
तुम कहा से लाओगी ?
हम तो हर हफ्ते खरीदते है .
तो दान क्यों..?
पत्थर  पसिजाने के लिए ..
क्या...?
हां ..पत्थर दिल है पूरा परिअर पर बहू को छोड़कर .
वो कैसे...?
पूरे साल बोरिंग चली है , एक गिलास पानी किसी को नहीं दिए है . पानी का अकाल पड़ा हुआ है पुरे शहर में . रोज़ कहते थे बोरिंग पानी नहीं दे रही है . कल चालू नहीं हुई तो आज बहो को पानी मागने के लिए भेज दी .जानती है हम मन नहीं करेगे. पानी के लिए दर -दर भटकने के बाद भी  .
कैसा गिध्द परिवार र है जिनकी निगाहें बस मतलब साधने  लगी रहती है ...नन्दलाल भारती ..१३.०८.२०१०




 

AASHIRWAD

आशीर्वाद ..
बढ़िया मिठाई मिलाती है यहा .
कुछ ले लो .
क्या लू ?
काजू,अजवाइन, पिस्ता और भी ढेरो स्वाद में तो मिठईया   है .
भैया अजवाइन के सड़ वाली दे दो. 
लीजिये 
कितना हुआ .
पच्चीस रूपये .
लीजिये हम दोने का काट लीजिये .
नहीं पैसा मै दूगा .
आप बुजुर्ग और  रिटायर  है .
तो क्या हुआ मै दूगा . ऊपर अल देता है चिंता की जरुरत नहीं .बिल तो मै ही दूगा . 
मिठाई नहीं आशीर्वाद समझो .
निरुत्तर इनकार ना कर सका. आशीर्वाद को माथे चढ़ा लिया ... नन्दलाल भारती.. १३.०८.२०१०

Thursday, August 12, 2010

VIRAASAT

विरासत ..
क्यों अन्याय कर रहे हो ?
घर बनाना अन्याय है ?
दूसरे के पुरखो की विरासत पर उन्ही का बॉस काठ छिनकर अन्याय नहीं तो और क्या है ?
अन्याय कहते हो ?
मान जाओ ना हड़पो किसी के पुरखो की निशानी .
हड़प लिया तो ?
विलास नहीं कर पाओगे .
देखता हूँ कौन विलास से रोकता है ?
आह.....
हो गया कब्ज़ा . बुझ गया दिया .खिलखिलाती रही जमीं ....नन्दलाल भारती .. १२.०८.२०१०

ROTI

रोटी ..
आजी रोटी खा रही है .
हां बीत्य .
दोपहर की है या रात की ?
जो मान लो . बहु-बेटो का राज है .
बस रोटी दाल सब्जी कुछ नहीं ?
है ना---
क्या ?
थोडा नमक और पानी...
खाने में ?
हां और आंसू के आचार भी.
बाप रे ऐसा अन्याय बूढी माँ के साथ .
कहा  ले जा रही हो?
जमाने को दिखाना है. नकाब हटाना है , भलमानुष का मुखौटा लगाये चेहरों से . माँ बाप धरती के भगवान् है. बहु-बेटो को बताना है ताकि मिले सकूँ की रोटी बढ़े माँ-बाप को ..नन्द लाल भारती .. १२.०८.२०१० 
 

VISHWAS

विश्वास..
तोता पाल लिया ?
आ गया है अतिथि की तरह . 
पिजरे में तो रखा है ? पंक्षी को कैद करना अन्याय है आज़ादी के प्रति .
डरा-सहमा दरवाजे पर दो दिन बैठा रहा. बिल्ली खा जाती इसलिए नया पिजरा मंगवा कर  उसके सामने रख दिया .खुद जाकर बैठा है . खुला चुद देने पर भी नहीं जाता. देखो पिजरे का दरवाजा खुला है ना . सिटी मारता है ,नाचता है, गाता है ,धर्मपत्नी कहाथ से दाल चावल खता है . जब घर के लोग नहीं दिखाते तो मिठू-मिठू बुलाता है. अन्याय है या न्याय ,छल या कोई मेर स्वार्थ .
विश्वास .........नन्दलाल भारती १२.०८.२०१० 


 

Tuesday, August 10, 2010

PHONE

फोन ..
भईया फोन आया क्या ?
किसका........?
राज का...
हां मिसकाल....फिर  लगाकर बात किया था . रात में फोन आया पर फोन ने झटका  दे दिया .
वो कैसे ?
बिल ने जोर का झटका धीरे से मार दिया .

क्या ....पैसे आपके कट गए ?
हां.... राज ना जाने कौन सा प्लान ले रखा है फोन सुनने पर झटका लग जाता है .
राज को को रिश्ते से अधिक मोह पैसे से है . हाल चाल पूछने की जो कीमत वसूले ऐसे रिश्तेदार की क्या जरुरत ?  नन्दलाल भारती  ०९-०८-२०१०

Papin

पापिन ..
डाक्टर पेट में बहुत दर्द है .
गठान है आपरेशन करना होगा .
आराम हो जाए ऐसी कोई दवाई दीजिये . घर जाकर बुढिया से राय्मशविरा कर पैसे का इंतजाम कर आपरेशन करवाऊंगा  .
बेटा नहीं है क्या ?
दो है डाक्टर साहेब कमा खा रहे है . हम बूढ़ा-बूढी बहिष्कृत जी रहे है .
लोग बेटो के लिए क्या -क्या करते है और बेटे नरक का दुःख भोगवा रहे है .
अक्तर साहेब नसीब अपना-अपना .
दवाई इंजेक्शन दे देता हूँ. आराम तो हो जायेगा. जानकी बाबा आपरेशन के बिना कोइ इलाज नहीं है .
जानकी बाबा घर गए बुढिया से राय्मशविरा  किये गहना  -गुरिया बेचकर रुपये का इंतजाम कर आपरेशन के लिए दोनों पति-पत्नी निकले ही थे की छोटी बहू बोली आपरेशन करवाने जा रहे हो लौटकर नहीं आओगे बुढाऊ तुमको कीड़े पड़ेगे .
बूढ़ा-बूढी उन्सुना कर चल दिए . आपरेशन सफल रहा पर खून की कमी डाक्टरी इलाज में लापरही के कारण घाव सड़ गया . कुछ ही दिन में कीड़े पड़ गए और जानकी बाबा एक दिन तड़प-तड़प कर मर गए तब से छोटी बहू इसराजी देवी गाव  वालो के लिए पापिन  हो गयी .नन्दलाल भारती --०८.०८.२०१०
 

Ganga-jamuna

गंगा-जमुना ..
सर पत्र तैयार है देखकर दस्तखत कर दीजिये .
आप से अच्छा तो मै नहीं लिख सकता और आप तो बेहतर कर्मचारी है .
सुना साहब क्या बोल रहे है .
हां...........
पहले आले साहेब तोहर काम में कमी निकलते थे चराहे जैसा व्याहार करते थे .
आदमी पद  और दौलत से बड़ा नहीं होता .
ठीक कह रहे है सर . ये तो विदात्जन अच्छी तरह से समझते है . आप उनमे से एक है .
बड़े बाबू उच्च शिक्षित है ,प्रतिष्ठित है ,इनका सम्मान हमारा सम्मान है .
उच्च शिक्षित विद्वत बॉस से सम्मान पाकर बे बाबू की आँखों में गंगा-जमुना उमड़ पड़ी .
नन्दलाल भारती ०५.०८.२०१०

Vansh

वंश ..
बधाई हो सुर्तीलाल ..
क्या हुआ काकी ?
बिटिया ...
बिटिया के जन्म की बधाई . अरे काकी तालू में कागज चिपका  देना था .
पाप कर्म क्यों ?
वंश का क्या होगा ?
बिटिया भी वंश है . पढ़ाना लिखाना एक दिन तुम्हारी लाठी बनेगी .
बिटिया और लाठी ...
हां सुर्तीलाल बिटिया ..
सच हुआ बिटिया सुर्तीलाल की लाठी बनी. सुर्तीलाल  उसी सलोनी की बडाई  करते और बेटो में कमिया निकलते नहीं थकते थे जिस बेटी के जन्म पर तालू में कागज चिपका कर मार देना चाहते थे .. नन्दलाल भारती ०५.०८.२०१० 

Monday, August 9, 2010

Banjar Aurat

बंज़र औरत ..
बिटिया कब आयी शहर से ?
काकी तीन दिन हो गए .
यहाँ कब आयी ?
दो घंटे हो गए काकी .
भाई-भौजाई भतीजी-भतीजे सब घेरे गये है ,नई  माताजी नहीं दिख रही है?
फुर्सत नहीं होगी उन्हें .
देखो तक़रीर कर रही है मक्के के खेत में . है  तो सौतेली माँ ना . वह भी बंजर जमीन जैसी.ना जाने कौन सा षड्यंत्र रची की तुम्हारा बाप उम्र के आखिरी पडाव पर ब्याह कर चल बसा . धन दौलत का मज़ा इतरिया के मायके वाले उठा रहे है . हरिहर की औलादे पोते-पोतिया आंसू पी रहे है .
काकी सभी सौतेली माँ ऐसी होती है क्या ?
नहीं ........... इतिहास सौतेली माताओं के त्याग से भरा है पर इतवारिया खून पी रही है ..
नन्दलाल भारती ---- ०4.०८.010





vidaee

विदाई ..
दमाद जी तुम्हारी सासू माँ ने विदाई में क्या दिया ?
हमें क्यों देगी ?
भाई भतीजो को लाखो में नगद , गाड़ी, भैंस ,अनाज,कपड़ा लता सबकुछ दे  रही है ,तुमको कुछ नही दी ?
हमें कुछ नहीं चाहिए भगवान का दिया सब कुछ है मेरे पास.
बिटिया दामाद जी सच कह रहे है ?
हां काकी हमारे हाथ पर   रखने के लिए  एक पैसा था ही नहीं तो विपुलजी को क्या देगी मनहूस  ?
हां काकी सास सौतेली है ना . नन्दलाल भारती..... ०4.०८.२०१०


 

Sunday, August 8, 2010

samajhdari

समझदारी .
अशोक-चंद्रेश बाबू कैसे आये हो ?
चंद्रेश- स्कूटर से और कैसे ?
 अशोक- बाहर तुम्हारी गाड़ी तो है ही नहीं.
चंद्रेश- नहीं है ना .
अशोक- कोई मंगनी ले गया क्या ? बहुत महंगा पेट्रोल है . मत दिया करोकिसी को. हमें महंगा पड़ रहा गाड़ी से चलाना . तुमसे तीन गुना अधिक पगार मिलती है. कौन ले गया है ?
चंद्रेश- बॉस .....
अशोक-बहुत ले जाते है और किसी की नहीं मिलती क्या ?
चंद्रेश- मै मेरा हक़ और मेरे सामन की तो वही  दशा है जैसे कमजोर आदमी की दूध देने वाली भैंस .
अशोक- समझ में नहीं आयी तुम्हारी बात .
चंद्रेश- सर जी कमजोर आदमी की भैंस जन्न गयी है . खबर तेजी से फ़ैलती है उतनी ही तेजी से दबंग लोगो के बर्तन भी निर्बल के घर की और दौड़ पाते है फ़ोकट में दूध  लेने के लिए  .
अशोक-- ओ आई सी .... बॉस है . अपने सामान को हाथ नहीं लगते . सरकारी परिसम्पतियो का उपभोग खुद का हक़ मान कर करते है . नीचे वालो का हक़ चाट करने में तनिक भी कोताही नहीं  बरतते . चौबीस सरकारी गाड़ी का उपभोग . सरकारी गाड़ी में दिक्कत आ जाए तो तुम जैसे भैस वाले का उपभोग.सरकारी उपभोग की असतो को इतना दूर करके रखते है जैसे तुम हो  अछूत .
चंद्रेश -मुझ अआने की क्या औकात आप तो अधिक समझते है सर जी .....नन्द लाल भारती ... १७.०७.२००९

Bhoot

भूत .
पच्चीस तारीख की संगोष्ठी का मुख्य वक्ता  आपको संस्था बनाने के इच्छुक है . आप सहमति प्रदान  कर दे तो सदस्यों  को सूचित कर दू .
डायरी देखर बताऊंगा .
क्या ?
हां . आजकल बहुत व्यस्त चल रहा हूँ साहित्यिक कार्यकर्मो की  वजह से . कल बता दूंगा .
ठीक है डायरी देखकर बता  दीजियेगा .
मन ना मान रहा था जनाब की व्यस्थता सुनकर. शहर में रोज साहित्यिक महफिले सजाती है पर दीदार नहीं होते. ऐसे कौन से साहित्यिक जलसे में व्यस्त रहते है .
जनाब का  फोन  एक तारीख के बाद रख लीजिये .
क्या  ?
हां .........
क्यों..?
डायरी खाली नहीं है .
डायरी खाली  है या नहीं पर श्रेष्ठता का भूत खाली नहीं है जनाब ......नन्द लाल भारती १८.०७.2009

ममता

ममता
 माँ से मुलाकात हुई
नहीं ... बहुत कोशिश के बाद भी .दो दिन की यात्रा जो थी .
याद है ?
क्या ?
जब पहली बार रोजगार की तलाश में घर छोड़ा तब माँ कई हफ्ते रोई थी . मै शहर आकर मन ही मन कसम खा लिया की पक्की नौकरी पा जाने के बाद घर जाऊँगा . नहीं मिली . चार साल  के बाद गांव गया . माँ मुझे पकड़ कर इतना रोई की मेरी अंतरात्मा नहा उठी. वही  माँ आँखों में सपने लिए आँखे मूंद ली हमेशा के लिए . मै अभागा माँ के आंसू का भार कम नहीं कर पाया.
माँ का क़र्ज़ कोई नहीं उतार पाया है आज तक ......... नन्दलाल भारती १८.०७.2009