सच्चा इंसान...
कौन आया है .....?
वही जिसे बच्चो का निवाला सालों तक घर में बिठाकर खिलाया नौकरी लगवाया .....जो किसी रिश्ते से अपना ना था और ना है .
अच्छा सुनील .............? इंसानियत के रिश्ते से तो है .
हां ..वही है .
सुनील मुझे नहीं पहचाना .इतना बड़ा आदमी हो गया .पद और दौलत का इतना घमंड . ना दुआ ना सलाम .जैसे धक्का मार कर गेट से अन्दर आया है .मै गेट पर खड़े पांच -छः लोगो से बात कर रहा था .
कैसे आया है ?
बिना किसी काम के तो आ नहीं सकता .
बचत की रकम का मामला है .
मेरा पैसा ...?
आपका पैसा, पैसा नहीं परोपकार था .भूल जाईये .लोमड़ी खाल बदलती है आदत नहीं वैसा ही है सुनील और उसके घरवाले भी .
ठीक कह रही हो ऐसे स्वार्थियो की वजह से परोपकारी भाव पर ग्रहण लग रहा है . मै परोपकार के भाव से मुंह नहीं मोडूंगा.
मोड़ना भी नहीं चाहिए क्योंकि परोपकारी भाव शैतान में नहीं होते . सच्चे इंसान में होता है जो नर से नारायण बनाता है .
भागवान मान गया .
किसे .........?
देवीजी आपकी दयालुता को ....नन्द लाल भारती .. ०६.०७.2011