Wednesday, July 6, 2011

सच्चा इंसान

 सच्चा इंसान...

कौन आया है  .....?
वही जिसे बच्चो का निवाला सालों तक घर में बिठाकर खिलाया  नौकरी लगवाया .....जो किसी रिश्ते से अपना ना था और ना है  .
अच्छा सुनील .............? इंसानियत के रिश्ते से तो है   .
हां ..वही है .
सुनील मुझे नहीं पहचाना .इतना बड़ा आदमी हो गया .पद और दौलत का इतना घमंड . ना दुआ ना सलाम .जैसे धक्का मार कर गेट से  अन्दर आया  है .मै गेट पर खड़े पांच -छः लोगो से बात कर रहा था .
कैसे आया है ?
बिना किसी काम के तो आ नहीं सकता .
बचत की रकम का मामला है  .
मेरा पैसा ...?
आपका पैसा, पैसा नहीं परोपकार था .भूल जाईये .लोमड़ी खाल बदलती है आदत नहीं वैसा ही है सुनील और उसके घरवाले भी .
ठीक कह रही हो  ऐसे स्वार्थियो की वजह से परोपकारी भाव पर ग्रहण लग रहा है . मै परोपकार के भाव से मुंह नहीं मोडूंगा.
मोड़ना भी नहीं चाहिए क्योंकि परोपकारी भाव शैतान में नहीं होते .  सच्चे  इंसान में होता है जो   नर से नारायण बनाता है .
भागवान मान गया .
किसे .........?
देवीजी आपकी दयालुता को ....नन्द लाल भारती .. ०६.०७.2011



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