नोटरी /लघुकथा
बॉस राजानंद तुरंत जाओ नोटरी करवा लाओ जरुरी काम है .
जी जैसा आदेश. राजानंद कागजातों को लेकर तुरंत रवाना हो गे. कचाहरी जाकर कई नोटरी वकीलों से मोल भाव किया पर प्रति नोटरी ४० से १०० रुपये माँगा जा रहा था. राजानंद ने व्यक्तिगत परिचय देकर प्रति नोटरी रूपए ३० में चौदह नोटरी करवा कर आधे घंटे में वापस आ गया .
बॉस धन्यवाद् आपने इतनी जल्दी काम करवा लिया .इतने में छोटे मैनेजर गणछोड़ बोले अरे खर्च कितना हुआ .
राजानंद -चार सौ बीस .
अभिमानी-दो सौ से कम का काम था तुमने अधिक खर्च कर दिया.कागजात हाथ में लेकर लहरा देते. नोटरी करने वाले तुम्हारे पीछे हो लेते. काम कम से कम में हो जाता .
राजानंद मन ही मन बुदबुदाया चहरे बदलने वाले इमान की परिभाषा क्या जाने ?
अभिमानी- कुछ बोले क्या -------?
हां- राजानंद बोला ..
क्या-----------? सुनाने लायक तो बोलो अभिमानी बोले.
अभिमानी जी नोटरी करवाने गया था रेड लाईट एरिया नहीं .इतना सुनते ही अभिमानी की जीभ तालू में सट गयी ..नन्द लाल भारती 2६.०४.२०१२