व्याख्यान
आओ तुम्हारे बारे में ही व्याख्यान चल रहा है .कोई काम करो लगन से .
भले ही आँखों को आंसू नसीब कैदी बन जाए ईमानदारी,वफ़ा,समर्पण और त्याग के बदले .साहेब गलत व्याख्यानों और दबंगता ने ही तो मेरा कैरिअर चौपट किया है .
कैसी बात कर रहे हो ....
कितनो कर्मठ.ईमानदार,वफादार छोटा आदमी हो .आँका तो कम ही जाता है .गरीब तेरे तीन नाम झूठा,पाजी और बेईमान .मै अल्मत में हूँ छोटे तबके से भी .पोस्टमार्टम तो होगा पर पद -दौलत से अमीर और उच्च वर्ग को ये भी नहीं भूलना चाहिए की छोटा जीवन आधार होता .
कौन मानता है व्याख्याताओ में से कोई बोला ....
फिर क्या जोर का ठहाका और व्याख्यान का मुद्दा आगे बढ़ गया ........नन्दलाल भारती ..09.०४.2012
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