पर्दाफाश /लघुकथा
देहात
की प्रसूता की जान को बचाने के लिए ए पॉजिटिव खून की तुरंत जरुरत है की
उड़ती खबर सुनकर अमन प्रदेश के सबसे बड़े निजी अस्पताल, जो शहर से २५ किमी
दूर था,जिसके मालिक चिकित्सा शिक्षा के फर्जीवाड़ा के केस में कई महीनो से
जेल में है की और भागा। अमन को प्रसूता के सगे सम्बन्धी मुख्य द्वार पर मिल
गए,जबकि अमन से किसी प्रकार की कोई जान -पहचान ना थी । वे लोग अमन को पलको पर बिठा कर अस्पताल के लैब में ले गए ।अमन को देखते ही डॉ बोला जाओ कैंटीन से कुछ खा कर आओ ।
अमन - डॉ साहेब मैं घर से खाकर आ रहा हूँ आप तो तुरंत खून लेकर प्रसूता की जान बचाईये ।
डॉ -वह हो जायेगा पर कैंटीन से कुछ खा कर आओ।आखिरकार अमन को जबरदस्ती अस्पताल की कैंटीन में भेज दिया गया ,जहां उससे फूल डिनर का भुगतान भी लिया गया ।डिनर का बिल चुकाने के बाद अमन का खून लिया गया । ब्लड डोनेट कर देने दे बाद अमन को बीस रुपये का कूपन दिया गया और कहा गया जाओ कैंटीन में कुछ पी लो ।
अमन बोला -डॉ यही कूपन पहले दे देते । डिनर का रूपया तो मेरा बच जाता । कैसा रॉकेट चल रहा है डॉ ………?
प्रसूता का पति गिड़गिड़ाते हए बोला मेरी पत्नी और बच्चे को बचा लो डॉ साहेब ।
डॉ-कैश काउंटर से रसीद लेकर आओ ।प्रसूता का पति रसीद दिखाते हुए बोला रसीद है मेरे पास साहेब।
डॉ -सचमुच गावड़े हो। अरे खून के कीमत की रसीद।
प्रसूता का पति का बाप बोला डॉ साहेब ये दान का खून है इसकी कीमत।
डॉ-यहां कुछ मुफ्त का नहीं है।
आखिरकार
प्रसूता के सगे सम्बन्धियों ने मिलकर अपने अपने पॉकेट की निङ्गा झोरी कर
रूपये जमा करवाये तब जाकर खून चढ़ाने की प्रक्रिया पूरी हुई।प्रसूता
के बाप अमन के सिर पर हाथ रखा कर बोले बेटा युग-युग जीओ]खूब तरक्की करो
,परमार्थ का काम तो कर ही रहे हो। मेरी बेटी और उसके बच्चे का जान बचाने
के लिए हमारा परिवार तुम्हारा कर्जदार रहेगा बेटा ।
अमन-बाबा मुझे बहुत दुःख है। प्रसूता के बाप कैसा दुःख बेटा ?
अमन -डोनेशन के खून की मुंह माँगी कीमत गरीब से वसूली जा रही है इसका दुःख है बाबा। इस रॉकेट का पर्दाफाश कैसे और कब होगा ?
डॉ नन्द लाल भारती 13 .07.2014