संस्कार /लघुकथा
गोधूलि बेला में एकदम उठे और कहाँ चले गए थे ?
घूमने चला गया था।
कहाँ ?
एम आर टेन।
घूमने गए थे चिंता लेकर आये हो ।
चिंता की बात ही है। दो बूढ़ी औरते चर्चारत थी,एक बोली बहन बेटा कह रहा की वह अब अपने हिसाब से रहेगा ।
दूसरी बोली बहन तुम्हारे ऊपर मुसीबत मंडरा रही है।
पहली बोली हां बहन। वृध्दा आश्रम की ओर प्रस्थान करना होगा ।यही चिंता खाए जा रही है ।
आपको कैसी चिंता ।
यदि हमारे साथ ऐसा हो गया तो ?
हमारे साथ ऐसा हो ही नहीं सकता ।
क्यों ?
क्योंकि आपने अपने बच्चो को शिक्षा ,नैतिक शिक्षा और संस्कार दिए है। संस्कारवान बच्चे के लिए माँ-बाप धरती के भगवान होते है ।
सच बच्चो को भले ही विरासत में धन न मिले पर शिक्षा ,नैतिक शिक्षा और संस्कार तो मिलनी ही चाहिए यही संस्कार वृध्दा आश्रम की राह रोक सकता है।
डॉ नन्द लाल भारती 30 .07.2014
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