Thursday, January 27, 2011

kharch

खर्च...
टेलीफोन की घनघनाहट सुनकर जतिन लपका .
हेलो जतिन .
हां बड़े पापा .
तुम्हारे पापा खड़क चंद  को मरे साल भर हो गए है पहला श्राध्द है .
हां पापा .. कुछ करना है क्या....
क्यों नहीं. श्राध्द में पितरो की मुक्ति के लिए जो पूजा-पाठ आदि कार्यकर्म होता है ,विधि विधान से करवा देना. मेरी तो इच्छा थी की सब कुछ सामने करवाता पर स्वस्थ इजाजत नहीं दे रहा है .
जतिन करावा दूगा .
श्रीमती खड़क चंद -कौन था जतिन .
जतिन -बड़े पापा मम्मी ..
 श्रीमती खड़क चंद -क्या कह रहे थे .
जतिन-पापा का श्राध्द विधि विधान से करवाने को कह रहे थे .
श्रीमती खड़क चंद-नहीं करना है फालतू का खर्च................नन्दलाल भारती
 

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