Saturday, August 27, 2011

musibato ke samnadar

मुसीबतों के समंदर ... लघु कथा ..
 पहली बार डीपी सी में फेल कर दिया गया . साल भर बाद हुई डीपीसी से बड़ी उम्मीद थी . दूसरी बार डीपीसी देकर घर सुन्दरलाल पहुंचा तो ख़ुशी का बसंत परिवार के हर सदस्य के चहरे पर झलक रहा थी. तीसरे दिन दफ्तर से देर रात घर पहुँचते ही पत्नी और बच्चो के चहरे पर मातम पसर गया .
 पत्नी से पूछा उदासी क्यों .....?
 पत्नी बोली आप खुश हो .
 सुन्दरलाल हां में उत्तर दिया पर झूठ  कहा सच साबित हुआ है .
 वह बोली झूठी दिलासा दे रहे हैं ?
 अरे प्रमोशन नहीं हुआ तो क्या भविष्य की मौत हो गयी ? भागवान प्रमोशन अब संस्था हित में हाडफोड़ काम 
 समर्पण ,कर्तव्यनिष्ठा ,ऊंची योग्यता ,जग के मान-सम्मान को देख कर नहीं होता .
 तब कैसे  होता है ?
 बड़ी पंहुच ,ऊंची कीमत जरुरी हो योग्यता हो  गयी है. हम छोटे लोगो की ऐसी औकात कहाँ  ?
 बेटी-बेटा एक स्वर में बोले पापा चिंता ना करो .आप कैरियर के शुरुआती दिनों से मुसीबतों के समंदर में डूबते-उतिरियाते  आ रहे हैं. प्रमोशन नहीं हो रहा तो क्या . आपकी योग्यता और काम को जग सम्मान दे रहा है ना. बौद्धिक विक्षिप्त प्रमोशन नहीं दे रहे  है तो मत दे. आप चिंता मत  करो पापा.....हमें आपके स्वास्थ की चिंता हो रही है.
इतना सुनते ही  सुन्दर लाल की आँखों का  बांध टूट पड़ा और वे हिचकिया लेकर रो पड़े  ......
 नन्द लाल भारती......२८.०८.२०११

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