अनशन ....
बधाई हो मदनलाल .
जी धन्यवाद पर कैसी बधाई ?
पदोन्नति की यार .
दोयम दर्जे के आदमी की कैसी पदोन्नति ?
क्या .......? बड़ी-बड़ी डिग्रियों का कोइ मोल नहीं .
होता तो मानसिक प्रसव पीड़ा में जीता .
बाप रे इतना अत्याचार ?
सामंतवादी व्यवस्था का चाबुक नीचले दर्जे को क्या देगा ,शोषण उत्पीडन ,दमन और जख्म ना . यहाँ यही मिल रहा है .
आओ चले..
कहाँ ....
अनशन पर.......नन्द लाल भारती ...३१.०८.२०११
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