Thursday, December 22, 2011

man parivartan/short story


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uUnyky Hkkjrh 23-12-2011

Thursday, December 8, 2011

अमृतदान /लघुकथा

अमृतदान /लघुकथा
तुम्हारी सफलता का राज क्या है समय्पुत्र ?
कैसी सफलता ? देख रहे हो भेद,अत्याचार कैरियर बर्बाद कर चूका है तुम सफलता का नाम दे रहे हो.
शब्दब्रह्म तो शंखनाद कर रहे है .
कड़वे अनुभव दोस्त.......
क्या ......................?
हां ...कड़वे अनुभव के दर्द . इन्ही अनुभवों से जो सीख मिली है ,कड़वे अनुभवों के दर्द से उभरे शब्दब्रह्म  को शंखनाद का राज  मान सकते हो.
मतलब जहर पीकर अमृतदान ........नन्दलाल भारती ..०९.१२.2011


shesh

 शेष /लघुकथा
 यार तुम ऊपर तक लिखा पढ़ी क्यों नहीं kiye ?
गरीब  की कौन सुन रहा है. ऊपर वाले कहते है तुम काबिल नहीं हो .नौकरी चल रही क्या  यह कम है ?
अन्धो   के हाथ  रेवड़ी लग गयी     है तो  अपने  वालो  को  ही  पहचान  कर  देंगे  . काबिल को छिनना   आना  चाहिए  .
कैसे  छीन  सकता  हूँ अदना सिर्फ  योग्यता   के भरोसे , ना  छल  है न बल  है और नहीं दुसरे  साधन  .संतोष  और विश्वास की दौलत पास है और  आज के जमाने में इसकी जरुरत नहीं है .
देखना दमनकारी एक दिन तुम्हारी काबिलियत का लोहा मानेगे .
तब तक बहुत देर हो चुकी होगी , मर रहे सपने शेष न होगे तब दोस्त .....नन्द लाल भारती ०९.१२.2011