शेष /लघुकथा
यार तुम ऊपर तक लिखा पढ़ी क्यों नहीं kiye ?
गरीब की कौन सुन रहा है. ऊपर वाले कहते है तुम काबिल नहीं हो .नौकरी चल रही क्या यह कम है ?
अन्धो के हाथ रेवड़ी लग गयी है तो अपने वालो को ही पहचान कर देंगे . काबिल को छिनना आना चाहिए .
कैसे छीन सकता हूँ अदना सिर्फ योग्यता के भरोसे , ना छल है न बल है और नहीं दुसरे साधन .संतोष और विश्वास की दौलत पास है और आज के जमाने में इसकी जरुरत नहीं है .
देखना दमनकारी एक दिन तुम्हारी काबिलियत का लोहा मानेगे .
तब तक बहुत देर हो चुकी होगी , मर रहे सपने शेष न होगे तब दोस्त .....नन्द लाल भारती ०९.१२.2011
यार तुम ऊपर तक लिखा पढ़ी क्यों नहीं kiye ?
गरीब की कौन सुन रहा है. ऊपर वाले कहते है तुम काबिल नहीं हो .नौकरी चल रही क्या यह कम है ?
अन्धो के हाथ रेवड़ी लग गयी है तो अपने वालो को ही पहचान कर देंगे . काबिल को छिनना आना चाहिए .
कैसे छीन सकता हूँ अदना सिर्फ योग्यता के भरोसे , ना छल है न बल है और नहीं दुसरे साधन .संतोष और विश्वास की दौलत पास है और आज के जमाने में इसकी जरुरत नहीं है .
देखना दमनकारी एक दिन तुम्हारी काबिलियत का लोहा मानेगे .
तब तक बहुत देर हो चुकी होगी , मर रहे सपने शेष न होगे तब दोस्त .....नन्द लाल भारती ०९.१२.2011
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