Thursday, December 8, 2011

अमृतदान /लघुकथा

अमृतदान /लघुकथा
तुम्हारी सफलता का राज क्या है समय्पुत्र ?
कैसी सफलता ? देख रहे हो भेद,अत्याचार कैरियर बर्बाद कर चूका है तुम सफलता का नाम दे रहे हो.
शब्दब्रह्म तो शंखनाद कर रहे है .
कड़वे अनुभव दोस्त.......
क्या ......................?
हां ...कड़वे अनुभव के दर्द . इन्ही अनुभवों से जो सीख मिली है ,कड़वे अनुभवों के दर्द से उभरे शब्दब्रह्म  को शंखनाद का राज  मान सकते हो.
मतलब जहर पीकर अमृतदान ........नन्दलाल भारती ..०९.१२.2011


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