Thursday, March 29, 2012

बेनकाब.....

उस्तादों  के उस्ताद माखन चंद अपनी शान में हवाई घोड़े दौडाते हुए बुफे का आनंद ले रहे थे. इसी बीच  नरेन्द्र देव आ गया उच्च शिक्षित और प्रतिष्ठित व्यक्ति था .नरेन्द्र देव को देख कर माखन चंद बोले अरे नरेन्द्र एक गिलास पानी दे देता. नरेन्द्र देव को माखनचंद के मुंह से ऐसा सुनकर अचम्भा तो हुआ क्योंकि माखंन चंद देवजी कहकर बुलाते वही  नरेन्द्रदेव से होटल का बैरा समझ कर पानी मांग रहे थे खैर नरेन्द्र देव पानी का गिलास दिए .माखन चंद गिलास थामते हुए सामने वाले सज्जन के लिए एक गिलास पानी और लाने का आदेश दिए नरेन्द्र देव सम्मान सहित पानी का गिलास ला कर दिया पर क्या माखन चंद ने तो हद कर दी तीसरी बार सामने बैठी महिला के लिए भी पाने लाने का आदेश दे दिया पर नरेन्द्र देव मुस्कराते हुए अभिमानी के आदेश का पालन भी किया बिना किसी संकोच के.नरेन्द्रदेव के इस सेवा भाव को देख कर प्रेम देव से रहा नहीं गया वे बोले क्यों सांप को दूध पिला रहे हो .
नरेन्द्र देव दूध नहीं पानी ........?
क्यों...........?
अभिमानी पाने -पानी हो जाए ....
गलत ये माखन चंद कंस हैं .आपका अपमान कर रहे हैं .
नरेन्द्रदेव जानता हूँ .
फिर भी ...
नरेन्द्रदेव -हाँ .
कब तक नाग को छाती पर बैठाओगे  .
नरेन्द्रदेव उतर जायेंगे जमाने की नज़र से .हमारी छाती पर कहाँ टिकेगे .
सच हुआ माखन चंद शरंड शाम होते होते  बेनकाब हो गए .  नन्दलाल भारती २०.०३.२०१२




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