Monday, October 15, 2012

अपमान और धोखा /लघुकथा

अपमान और  धोखा /लघुकथा 
बिग बॉस -तुमको मालूम है सब दफ्तर का सब काम आन लाइन हो गया है .
मोहन-जी .
बिग बॉस-सब काम तुम्हे ही करना है .
मोहन-नौकरी करना है तो काम तो करना ही होगा पर प्राधिकृत ड्यूटी के दायरे में।
बिग बॉस -दायरे तोड़ना होगा .
मोहन-गरीब को लाभ क्या .....?
बिग बॉस -तनख्वाह तो मिल रही है .
मोहन-तनख्वाह तो उनको भी मिल रही है तो करह बजे के बाद आते है हो हल्ला करते है चले जाते है .
बिग बॉस-काम मुझे करना है किससे कौन काम लेना है मुझे तय करना  है  तुमको नहीं .
मोहन-कैडर बदल दीजिये  ड्यूटी चार्ट बदल जायेगा ....
बिग बॉस -ये तो नहीं हो सकता ..
मोहन-आँख में धुल झोंक कर काम करवाया जा सकता है बिना किसी लाभ के .
बिग बॉस- नौकरी करना है तो सब करना होगा .दूसरे के काम भी .
मोहन-ये तो कमजोर का शोषण है.कमजोर को आंसू देकर अपनी सीट के काम के साथ दूसरे की सीट का कम करवाना स्व-जातीय को मनचाही छूट भरपूर आर्थिक लाभ पहुचना श्रम का अपमान है और संस्था के साथ धोखा ....नन्द लाल भारती ..16.10.2012

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