Tuesday, September 17, 2013

तुगलकी फरमान/लघुकथा

तुगलकी फरमान/लघुकथा 
मोहन के बापू  चिंता में क्यों ? अरे श्रीनाथजी से सम्मानित होकर आये हो। जश्न का वक्त है। आप चिंता में।
भागवान-कल आया था आज इंतनी रात में दफ्तर से आ रहा हूँ।
क्या कोई और साजिश …?
हां जब से विभाग में ज्वाइन किया हूँ तब से साजिशो का तो शिकार हूँ। कैरिअर ख़त्म कर दिया उम्मीदों के क़त्ल की भी साजिश कर रहा है मुर्दाखोर सामंतवादी प्रबंधन।
नया क्या कर दिया मुर्दाखोर सामंतवादी प्रबंधन ने।
तुगलकी फरमान …….
ये कौन सी बला है …।
ये गाज ड्राइवर ,चपरासी, टाइपिस्ट ,सेक्रेटरी डाटा आपरेटर पर गिर रही है।
क्यों ……….?
मुर्दाखोर सामंतवादी प्रबंधन कह रहा है इनकी संख्या अधिक है और अब बदलते समय में ये लोग विभाग के काम के नहीं रहे . इनको बाहर निकलने, साठ से पहले रिटायर करने और काले पानी की सजा सुनिश्चित करने के लिए अंडरटेकिंग प्रपत्र जरी कर दिया गया है।
यह तो छोटे कर्मचारियों को मौत के मुंह में ढकलने की कोशिश है। कर्मचारियों को कोर्ट में मुर्दाखोर सामंतवादी प्रबंधन के तुगलकी फरमान के खिलाफ चुनौती देनी चाहिए .
हां तभी सामंतवादी प्रबंधन का असली चेहरा सामने आ पायेगा। कर्मचारियो का  भविष्य सुरक्षित रह पायेगा, बच सकेगा उनका अस्तित्व और जीवन भी। …   डॉ नन्द लाल भारती 18 . 09 2013

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