Friday, November 29, 2013

श्रध्दांजलि /लघुकथा

श्रध्दांजलि /लघुकथा
अरे सुनती हो भागवान।
क्या सुना रहे हो। तुम्हारी सुन-सुन कर अब तो कान सवाल-जबाब करने लगे है.,सुनाओ सुन रही हूँ।
भागवान ललित  गुप्ताजी चल बसे।
क्या,कब कैसे ………?बेचारे जवान बेटे कि मौत का गम ढोते-ढोते  लगता है थक गए थे। बेटी केरलवासी हो गए। गुप्ता आंटी का क्या होगा ?
 भगवान  जो चाहे। अफ़सोस मुट्ठी भर माटी नहीं दे पाये।  बेचारे अपनी मुसीबत में कितने काम आये थे।
याद है ,भगवान् भले मानुष की आत्मा को शांति बख्शना और गुप्ता आंटी को आत्मबल।
हमारे पूरे परिवार कि ओर  से  भईया ललित गुप्ता को श्रध्दांजलि कहते हुए श्याम बाबू और उनका पूरा परिवार दो मिनट के लिएय मौन साध गया। डॉ नन्द लाल भारती   29 . 11. 2013

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