आशीर्वाद /लघुकथा
पापा नेताजी जीताओ मित्र मंडल के सदस्य आये थे।
क्या फरमान लाये थे।
नेताजी अपने घर आने वाले है आज।
कोई लालच देने क्या ? पांच साल तक तो दूर -दूर तक नहीं दिखाई पड़े अब घर। वाह रे वोट की लीला नेताजी घर आ रहे गरीब के।
पापा नेताजी जीताओ मित्र मंडल के सदस्य फूलमाला दे गए है।
वाह क्या खूब …? नेताजी खुद के अभिनन्दन के लिए फूलमाला तक का बंदोबस्त एडवांस में करवा दिए है
शहीदो
की आत्माएं विलाप कर रही होगी ऐसे लोकतंत्र की सिपाहियो को देखकर। देश
और जन हित का क्या काम करेगे ऐसे आशीर्वाद लेने वाले स्वार्थी नेता।
डॉ नन्द लाल भारती 29 . 11. 2013
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