Thursday, February 13, 2014

हकभक्षी /लघुकथा

हकभक्षी /लघुकथा
क्यों चिन्ता ग्रस्त हो ?
दो पांव वाले जानवर हकभक्षी हो।
कर्म और भगवान् पर विश्वास रखो
कर्म तो ठीक है। कौन से   भगवान जो हथियारो से लैस है। अपनी रक्षा के लिए भागे भागे फिरते है क्या उनको आंसू पीने वालो का दर्द नहीं दिखाई देता।
क्यों नास्तिक हो रहे हो ?
हक़भक्षी ,कर्मकांडी ,रूढ़िवादी भेदभाव का नस्तर मारने से बढ़िया तो नास्तिक होना ही है।
ईश्वरीय सत्ता को क्यों चुनौती दे रहे हो ?
चुनौती नहीं  आडम्बर का  विरोध,जो आडम्बरो का विरोध किये है वही  नरोत्तम हुए और।
और क्या ?
जो भेदभाव का नस्तर मारे है ,रूढ़िवाद -जातिवाद का पोषण किये है वे हकभक्षी …………
डॉ नन्द लाल भारती

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