Wednesday, March 12, 2014

विवाह की शर्त /लघुकथा

विवाह की शर्त /लघुकथा
हेलो …………।
जी नमस्कार। घोटाला दिल्ली से हूँ।
जी प्रणाम,आपका नाम याद है।
गलती के लिए माफी चाहता हूँ ,फोन करने में विलम्व हो गया।
कोइ बात नहीं फोन किये तो सही भले ही देर से किये। बताईये क्या समाचार है घर -परिवार में सब कुशल मंगल।
जी सब ठीक है आपसे जानना था।
क्या जानना चाह रहे है बड़े भाई ?
बिटिया बात हुई ?
देखो साहब मेरी बेटी मर्यादा का पालन करना जानती है। रही बात उसके हाँ ना की वो बाद की बात है।
विवाह के प्रस्ताव पर बिटिया मर्जी जानना चाह रहा था।
देखो साहब विवाह के स्थायित्व् के लिए शर्त नहीं समर्पण की जरुरत होती है। आपके बेटे में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। आपके बेटे ने जो मेरी बेटी के सामने परिवार चलाने ,आर्थिक बोझ उठाने और परिवार की सारी जबाबदारी उठाने की शर्त रखा है तो क्या आप बता सकते है यदि आपकी बेटियों के सामने आपके दामाद ऐसी शर्त रखे होते तो क्या ऐसी शर्ते आपकी बेटिया स्वीकार करती ................?
फिर क्या मोबाइल मौन हो गया।
डॉ नन्द लाल भारती
12 मार्च 2014

No comments:

Post a Comment