दान ..
दान की रसीदे....... ?
कोई गुनाह हो गया क्या...........?
दान करने लगे....?
नहीं.......सहयोग ...
तुम.........
नहीं कर सकता क्या...................?
घर की हालत देखो फिर दान-धर्म के बारे में सोचो...
अपनो के हित की चिंता में सभी बुड्ढ़े हो रहे है . अक्षम विकलांग,दरिद्रनारायण की सेवा करके देखो कैसा अद्भूत सुख मिलाता है ?
वाह रे दानी ....................नन्द लाल भारती
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