पहचान ..
बधाई हो भाई ...... विश्व हिंदी दिवस के मौके पर फिजी में तुम्हारी कविताएं पढ़ी गयी .
वहा जय-जयकार यहाँ अंधियारे का राज .
अरे यार अँधियारा किया ?
जय जगत जय जगत की हिंदी भाषा का उजियारा तो है .
हां मातृभाषा की छाँव वही पहचान है .
उसी छांव और पहचान की बढ़ाई कबूल करो यार .
धन्यवाद् जनाब ....नन्दलाल भारती
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