श्रद्धांजलि
प्रस्थान कर गए .
कहाँ ......?
गोलोक की ओर .
क्या......?
कौन थे देवात्मा ?
आवाज़ के जादूगर कलम के सिपाही ,देश और मानव समाज के प्रहरी .
ये लोग मरते कहाँ है ?
हां ...ऐसे लोग समय के पुत्र होते है . मर कर भी नहीं मरते .
शब्द ब्रह्म और खुद समय के पुत्र तो कैसे मर सकते है ?
हमारा फ़र्ज़ भी तो बनता है उनके प्रति .
क्या करे दो मिनट माँ मौन रखकरश्रद्धांजलि अर्पित करे .
कलम के सिपाही को कलम से श्रद्धांजलि सच्ची श्रद्धांजलि होगी .
कैसे...............?
दो शब्द लिखकर .
समय के पुत्र स्वर्गीय विनोद तिवारी को श्रद्धांजलि . कुछ देर के लिए कलमे थम गयी .ब्रहम शब्द ओमशांति का शंखनाद हुआ और तनिक देर में चल पड़ी बसंत बयार . चलती भी क्यों ना कलम के सिपाही स्वर्गीय विनोद तिवारी के लिए कलम के सिपाहियों द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा जो थी . नन्द लाल भारती ..१७.०५.2011
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