Wednesday, March 28, 2012

कंस की जेल...

सरदार दर्शन सिंह सेमीनार के आयोजको को गालियाँ दे-दे कर थक गए तो रूम पार्टनर साहित्यकार  को उग्रवादी करार दिए. होटल के स्वागत कक्ष को फोन लगाकर बोले मेरे कमरे में उग्रवादी घुस गया है बाहर निकाल फेंको.
होटल कर्मचारी साहेब जी रात अधिक हो गयी है सो जाईये .साथी साहित्यकार समर्थ प्रसाद जी को भी सोने दीजिये .
 सरदार दर्शन सिंह ताव में आ गए और बोले वकील हूँ सुप्रीम कोर्ट हिला दूंगा ..
होटल कर्मचारी अभी तो खुद हिले हुए है .
सरदार दर्शन सिंह बेवकूफ समझते ही नहीं फोन  एक तरफ फेंक कर साहित्यकार समर्थ प्रसाद को गालियाँ देते हुए बोले अभी कमरा खाली कर दो वरना मार पीट पर उतर जाऊँगा .
सारथी बोले आधी रात में तो कमरे से बाहर नहीं जाऊँगा पर हाँ आप  जैसे सुविधा भोगी अमानुष के साथ रहकर क्या दूंगा साहित्य और समाज को .पञ्च सितारा होटल का रूम समर्थ प्रसाद के लिए कंस की जेल हो गया .समर्थ प्रसाद सुबह चार बजे कमरे से बाहर चला गया कई सारे सुलगते सवाल उठाकर .. नन्द लाल भारती २०.०३.२०१२

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