Friday, October 4, 2013

चिंता /लघुकथा

चिंता /लघुकथा
 पापाजी सुने क्या ………….?
  क्या बेटा रंजन ………?
वो दो आदमी के बाते करते हुए गए है।
क्या कह रहे थे बेटा। …?
पापाजी एक आदमी कह रहा था ढोकरा बंटवारा कर देता या  लुढ़क जाता तो बड़ा घर बनवा लेता। ढोकरा  कौन होगा पापा …?
उसका पापा ।
ओ गाड पापा की कमाई के बंटवारे की इतनी चिंता पापा की तनिक भी नहीं। 
  डॉ नन्द लाल भारती  05. 10. 2013

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