Thursday, October 17, 2013

चोरनाथ /लघुकथा

चोरनाथ /लघुकथा
क्या कर रहे हो मोटू … ?
कार से डीजल निकल रहा हूँ।
क्या …….दिन दहाड़े चोरी ?
जी…. समरथ नहीं दोष गोसाईं।
क्या कह रहे हो मोटू ?
चोरी तो कर रहा हूँ पर अपने लिए नहीं।
चोरी में ईमानदारी। …?
जी ऐसा ही समझिये।
मोटू बुझनी क्यों ?
बुझनी नहीं सही है ?
क्या सही क्या गलत चोरी तो चोरी है।
चोरी तो है पर अपने लिए नहीं।
फिर चोरी क्यों ?
फर्जी कमाई के बादशाह चोर नाथ साहेब के लिए बांस के इशारे पर ,वह भी स्व-जातीय अफसर के लिए
बाप रे कैसे -कैसे भ्रष्टाचार ?
मोटू ऐसे ही जातिवाद भ्रष्टाचार को पोस रहा है।
सच भ्रष्टाचार की जडे बहुत गहरे  तक फ़ैल चुकी है।
मोटू रक्षक ही भक्षक बन रहे है तो खोदेगा कौन  ? कहते हुए  वह डीजल से भरा ड्रम लेकर दफ्तर के गोडाउन की और ले चला।
डॉ नन्द लाल भारती  18  . 10. 2013

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