Friday, December 27, 2013

रिश्वत /लघुकथा

 रिश्वत /लघुकथा
दादा पांव लांगू 
 तरक्की करो बेटवा . सौतेली माँ सब लूट कर मायका भर दी क़म से माँ अब से भगवान सुन लेते . विदेश कब जा रहे हो बेटा । 
दादा छः महीने के बाद शायद। 
क्यों क्या हुआ बेटा। 
मेडिकल फिर से होगा। 
क्यों … ।
दिल्ली का पानी नहीं पचा ।
मतलब जुकाम हो गया था . डॉ को रिश्वत नहीं दिया ,नरभक्षी ने फेल कर दिया य़े नरभक्षी किस्म के लोग गरीबो का भविष्य कब तक तबाह करते रहेगे। .
हां दादा फेल हो गया .पास  होने की कीमत पंद्रह सौ रूपया थी  बाद में पता चला ।
 बेटवा गरीब की आह बेकार नहीं जायेगी।
डॉ नन्द लाल भारती 28  . 12  . 2013

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