Thursday, January 30, 2014

वृक्षभक्षी /लघुकथा

वृक्षभक्षी /लघुकथा
बहुत उदास हो भौजाई क्या बात हो गयी ,गाव  की याद आ रहे है।
गाव  कैसे भूल सकता है।  जड़े तो वही है।
उदासी का कारण  .......?
देखो।
क्या ....... ?
ये बादाम का पेड़ कटवा दिया।  ठूँठ पर अगरबत्ती लगाकर आंसू बहा रही है।
कटवायी नहीं, बलिदान दिया गया है।
ये कौन सी मन्नत थी।
पडोसी …?
पडोसी को कौन सा नुक्सान हो रहा था ,फायदा ही था शुध्द ताजी हवा मिल रही थी।पेड़ के फायदे का मूल्यांकनकितना भी करो कम होता है ।
 उसकी हवेली ढँक रही थी पेड़ से।  पता उसकी तरफ गिरता था तो लगता था उसकी छाती पर पहाड़ टूट पड़ा हो कलह से बचने के लिए बादाम का  बलिदान दे दिया ।
एक पेड़ सौ पुत्र सामान ,पडोसी नहीं समझा ,पडोसी है  या वृक्षभक्षी।
 डॉ नन्द लाल भारती  12.01.2014


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