Saturday, May 28, 2016

हेलमेट।लघुकथा/डां नन्दलाल भारती

हेलमेट।लघुकथा/डां नन्दलाल भारती
दीपा के पापा हाथ खून से सने ?
भाग्यवान घबराओ नहीं मैंने ऐसा कोई गैर कानूनी काम नही किया है।
क्या...............हाथ खून से सना है,कमीज पर खून ,रूमाल खाून से सनी है,जूते पर खून के छींटे,आपके साथ कोई हादसा तो नहीं हुआ,कह रहे हो घबराओनही,सच बताओं नहीं तो मेरी जान निकल जायेगी।
हाथ धो लूं । कपड़े बदलने के बाद बात करें तो कैसा रहेगा ?
नहीं पहले सच ।
हाई वे पर एक एक्सीडेण्ट हुआ था,जीवन-मृत्यू से संघर्शरत् इंसान के साथ इंसान होने का फर्ज निभाया हूं बस................
बहुत अच्छा काम किया दीपा के पापा,दुर्घटनाग्रस्त इंसान की हालत कैसी थी ?
सांस चल रही थी,नाक और सिर से खून की धारा बह रही थी,स्कूटर हाईवे के एक तरफ,हेलमेट हाई वे के दूसरी तरफऔर इंसान हाई वे के बीच में पड़ा हुआ था। हे भगवान रक्षा करना ।
हेलमेट एक तरफ पड़ा हुआ था ?
जी...... मोहतरमां .... आप तो जासूस की तरह तहकीकात कर रही है ।
काष हेलमेट का बेल्ट लगा होता तो दिल दहला देने वाला हादसा ना होता ।
जी मोहतरमा..........बिल्कुल सच कह रही हैं,काष लोग हेलमेट अपनी सुरक्षा के लिये पहनते,पुलिस से बचने के लिये नहीं ।

डां नन्दलाल भारती
कवि,कहानीकार,उपन्यासकार
दिनांक 26/05/2016

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