Friday, October 28, 2011

seekh/short story

सीख / लघुकथा 
राही मनवा दुःख की चिंता क्यों सताए ?
हाँ रघुवर दुःख भी है चिंता भी .
खुद पर क्यों जुक्म कर रहे हो ?
हो जाता है .  रंग बदलती दुनिया में बगुला भगत  कौवा हंस हो रहे है ,सियार शेर की तरह  गरज रहे है तो सत्य परेशान होगा ही .
यही हो रहा है . भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है .वफ़ा,ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठ ,एवाभावी व्यक्ति दण्डित हो रहे है .
देखो ना दस से बीस प्रतिशत की रिश्वत खाने वाला दुखेश, खंजांची ,ईमानदारी की नशीहत दे रहा है. अह भी सच्चे इमानदार सेवक को .अपने गिरेबान  में झाँक नहीं रहा है .
दिन पूरे होने में देर है पर नकाब उतरेगा. अब ठुकेगे मुंह पर दुखेश और इए दुसरे नकाबपोशो पर . 
चैन तो छीन गया है .
पूरी पारदर्शिता और कर्तव्य के प्रति ईमानदार बने रहे और याद रखो सत्य  परेशान हो सकता है  पराजित नहीं.
उसी का दंड भोग रहा हूँ पर  सीख याद रहेगी बॉस . नन्द लाल भारती ..२०.१०.२०११



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