Monday, October 3, 2011

मिशाल/short story

मिशाल /short story
तुमने शिकायती पत्र क्यों लिखा कन्हैयालाल ?
निरापद को सजा  क्यों मिल रही है    पिछले २५ सालों से साहेब  ?
कैसी सजा  ? 
अंजान क्यों बन रहे हो साहेब मेरी  सी आर खराब की गयी कैरियर  को  ढाठी  दी गयी अरमानो की अर्थी धूमधाम से निकाली गयी . कब तक गुंगा बहार बना सजा भोगता   . अछूत के नाम पर इतनी बड़ी सजा क्यों  ?
क्या होगा तुम्हारे पत्र से ?
अपना दर्द एम.डी.साहेब डारेक्टर साहेब तक तो पहुंचा दिया.
 एम.डी.डारेक्टर तुमको जी एम बना देंगे ?
भले ही ऊँचा पद इस संस्थान में जातिवाद की बीमारी के कारण ना मिले पर एक दिन ऊँचा कद जरुर मिलेगा .मुझे पूरा विश्वास है .भगवान के घर में देर हैं अंधेर नहीं .
सालों बाद जातिवाद से उत्प्रेरित प्रबंधन को अपने गुनाह का एह्सास तो  हुआ पर बहुत देर हो चुकी थी .प्रबंहन को सर नोचने के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा था उधर   कन्हैयालाल का  कद मिशाल कायम कर चुका था .
नन्द लाल भारती ...०४.१०.२०११



No comments:

Post a Comment