Saturday, July 20, 2013

तपस्या /लघुकथा

तपस्या /लघुकथा
यार तुम्हारा नाम लेकर तुहारे दफ्तर से कोई कह रहा है ,बाहर  बैठा है  उसे दे देना .तुम चौकीदार तो हो नहीं .अपने विभाग के उच्चशिक्षित हो .कौन है .....?
जिम्मेदार उच्चवर्णिक अफसर .
क्या .............?
ठीक सुने .
मतलब .
अभिमान के प्रति जिम्मेदार .
नौकरी कर रहे है या कंस  के वंश के राजकुमार है .
यही समझो .
यार तुम्हार दफ्तर तो तुम्हारे खिलाफ है .
है ना  तभी तो चौथे दर्जे से तरक्की नहीं हुई हमारी .
वजह .......
जातीय बीमारी .....
क्या .............?
मेरा नौकरी का जीवन वैसे ही कट  रहा है जैसे सर पर तेजाब का जार हो  और पाँव के नीचे दहकती आग .
बहुत दर्द पीकर नौकरी कर रहे हो .
नौकरी नहीं तपस्या परिवार के भविष्य के लिए .
तुम्हारी तपस्या सफल हो .

डॉ नन्द लाल भारती
21.07.2013       


गंवार कौन….?

गंवार कौन….?
मुंह क्यों लटक गया .
वो लोग नुखाताचिनी करने लगे है जिनके हाथ लिखने में कापते है ,माउस पकड़ने का सहूर तक नहीं वही लोग कम्प्ज करना और ई मेल करना सीखा रहे है सिर्फ इसलिए कि वे मुझसे बड़े अफसर  है .
अफसर  जिनको आता जाता नहीं वही रुतबा दिखने के लिए ऐसा करते है ख़ास कर  जब कोइ उच्च अधिकारी आता है .
वही तो हुआ  पहली बार आये नए स्टेट प्रभारी समझेगे मुझे कुछ आता नहीं .
तुम तो विशेषज्ञ हो ,जुआडू कहा लगते है पर गलत हुआ जिसकी तारीफ़ होनी थी अफसरों ने अपरोक्ष रूप से शिकायत कर दिया .
यही तो दुःख है अफसरों ने मुझे गंवार सिध्द कर दिया स्टेट प्रभारी के सामने निम्न वर्णिक योग्यता के कारण।
यार समयानंद माफ़ करना .
कैसी माफ़ी ...?
यार तुमको क्या कोई  गंवार साबित करेगा  स्टेट प्रभारी अक्लमन्द होगे तो खुद  समझ गए होगे असली गंवार कौन……….?
डॉ नन्द लाल भारती
21.07.2013        






Friday, July 12, 2013

शर्म और चिंता /लघुकथा

शर्म और चिंता /लघुकथा 

अरे  भाई सुभाष हो क्या ....? डाक्टर बन गए .
आप कौन ........?
याद  करो तीस साल पहले साथ पढ़ते थे .
कन्हैया मेरे यार .....
हां ......
कहा हो मालवा में .......
नौकरी ठीक ठाक चल रही है .डाक्टर ब्रदर तो मिलता रहता है .सब खबर लग जाती है पर मुलाकात नहीं हो पाती थी .ऐसे गाँव छोड़े जैसे गदहे के सर से सींग.
पापी  पेट का सवाल है .गाँव में क्या करता बैल घुमाने भर की तो जगह नहीं है .तुम तो ऊँची बिरादरी के ठहरे साधन संपन्न कुछ भी करते सफलता तो मिलनी थी .हमारे साथ तो उल्टा है ना .
यार  तुम पुरानी बाते  नहीं भूले .अरे जमाना बदल गया है .जातिपांति ख़त्म हो रहा है .
सब कहने की बाते है .मेरा तो कैरियर ख़त्म कर दिया है जातिपांति ने .
क्या ....संघे शक्ति अंतरराष्ट्रीय संस्था में .
हां ...संघे शक्ति अंतरराष्ट्रीय संस्था तो रुढ़िवादी मानसिकता वालो के कब्जे में .
तुम्हारे  पास तो जी एम् बनने की योग्यता है ,तुम्हारा इतना पढ़ा लिखा तो आस पास के कई गाँव में कोई नहीं है .
हर योग्यता के बाद भी पर रह गया चौथे दर्जे का .प्रमोशन के सारे रस्ते बंद कर दिए है जातिपांति ने यही मलाल है .
मित्र तुम्हारा मलाल जायज है .कर्म की महानता संघे शक्ति अंतरराष्ट्रीय संस्था में मरणासन्न लगती है ,जातीय योग्यता विभाग के निति निर्धारको के लिए शर्म और कर्मयोगी  के लिए चिंता की बात है .

डॉ नन्द लाल भारती  13.07.2013      

पडोसी नंबर सोलह /लघुकथा

पडोसी नंबर सोलह /लघुकथा
क्या हाल चाल है ........?
सब कुशल मंगल है .
पडोसी नंबर सोलह  के यहाँ तो अशांति और हवस पसरी है .
क्या बात कर रहे हो ..........? तीन माले का मकान बारजा  सड़क  पर, पडोसी के एरिया में खिड़की  और तो और फूटपाथ पर भी कब्ज़ा  करने लगा है .तुम चुपचाप बैठे हो .
चौदह नंबर डेढ़ इंच  की दीवाल पर खड़ा है ,कलेक्टर ,कमिश्नर को लिखित में शिकायत किया कोई नहीं सुना।
अपने  हक़ के लिए तो खड़ा होना था .खैर  सरीफो को लोग चैन से जीने कहा दे रहे है .
समय बदलेगा कहते हुए सोहन सांस लिया .
मतलब  जड़ में घुन .
यही समझ लो मंगल दादा .
बड़ी दूर दृष्टि रखते हो बरखुर्दार .
हाँ दादा भविष्य में जब प्रशासन की नींद टूटेगी पडोसी नंबर सोलह की लंका भरभरा पड़ेगी  .
चलो इतना यकीन तो है प्रशासन पर ...डॉ नन्द लाल भारती  13.07.2013    







Tuesday, July 9, 2013

आरक्षण /लघुकथा

आरक्षण /लघुकथा
बधाई सुशील ,अब तुम्हारा बीटा डाक्टर बन जायेगा .
पच्चीस-पच्चीस लाख में सीट बिक रही है ,मुन्ना भाई परीक्षा दे रहे है चिन्ता होने लगी है .
सत्य-बेटा  होशियार है निकल ले जायेगा .सरकारी कालेज में फीस कम लगती है .
इतना  सुनते ही अविवेक तनतना कर बोले तुम्हारा तो आरक्षण है .
कम्पटीशन बहुत तगड़ा है ,साढ़े सत्रह प्रतिशत आरक्षण से क्या होने वाला है .ग्यारह सौ से अधिक जातियाँ है जनरल से कम कम्पटीशन  नहीं है अब .
अविवेक-जनरल वालो को जहर देने का इरादा है क्या ...?
सुशील -सदियों से भारतीय सामाजिक आरक्षण प्राप्त समाज  में शोषित वर्ग हक़ से वंचित जहर पी  रहा है .क्या किसी को जहर देगा .शोषित वर्ग को आरक्षण की नहीं सामाजिक  , आर्थिक समानता और निः 'शुल्क शिक्षा की जरुरत है तभी शोषित वर्ग का विकास हो सकेगा . इतना सुनते ही अविवेक को जैसे नाग डंस गया . डॉ नन्द लाल भारती  10.07.2013       


कुव्यवस्था /लघुकथा

कुव्यवस्था /लघुकथा 
क्या यार राहुल देखो एक बार फिर टाइपिस्ट बाजी मार कर हेड ऑफिस पहुँच गया और तू जहाँ से चले थे वही रह गए  .
राहुल -बॉस मेरे पास योग्यता नहीं है ना ?
क्या तुम्हारे इतनी योग्यता विभाग में किसके पास है .
राहुल-हम अछूत जैसे की  शैक्षणिक योग्यता को इस विभाग में कौन पूछता है .अगरमेरी  शैक्षणिक योग्यता को को तवज्जो मिली होती तो मै  भी बड़ा मैनेजर होता पर अयोग्य हो गया हूँ ना छोटी जाती के कारण .
कौन सी योग्यता की बात कर रहे हो राहुल .
राहुल-जातीय योग्यता .
क्या ...................?
राहुल- हाँ ...इतने भौचक्के क्यों हो रहे है ?
सच ...................?
राहुल- मेरी उच्च शैक्षणिक योग्यता को इस संस्था में मान्यता मिली होती तो चौथे दर्जे का कर्मचारी नहीं होता पर अफ़सोस यहाँ तो जातीय योग्यता  सब कुछ है .
काश भारतीय समाज वार्णिक कुव्यवस्था का शिकार न होता ...................................?
डॉ नन्द लाल भारती 09.07.2013