Tuesday, July 9, 2013

आरक्षण /लघुकथा

आरक्षण /लघुकथा
बधाई सुशील ,अब तुम्हारा बीटा डाक्टर बन जायेगा .
पच्चीस-पच्चीस लाख में सीट बिक रही है ,मुन्ना भाई परीक्षा दे रहे है चिन्ता होने लगी है .
सत्य-बेटा  होशियार है निकल ले जायेगा .सरकारी कालेज में फीस कम लगती है .
इतना  सुनते ही अविवेक तनतना कर बोले तुम्हारा तो आरक्षण है .
कम्पटीशन बहुत तगड़ा है ,साढ़े सत्रह प्रतिशत आरक्षण से क्या होने वाला है .ग्यारह सौ से अधिक जातियाँ है जनरल से कम कम्पटीशन  नहीं है अब .
अविवेक-जनरल वालो को जहर देने का इरादा है क्या ...?
सुशील -सदियों से भारतीय सामाजिक आरक्षण प्राप्त समाज  में शोषित वर्ग हक़ से वंचित जहर पी  रहा है .क्या किसी को जहर देगा .शोषित वर्ग को आरक्षण की नहीं सामाजिक  , आर्थिक समानता और निः 'शुल्क शिक्षा की जरुरत है तभी शोषित वर्ग का विकास हो सकेगा . इतना सुनते ही अविवेक को जैसे नाग डंस गया . डॉ नन्द लाल भारती  10.07.2013       


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