Friday, July 12, 2013

पडोसी नंबर सोलह /लघुकथा

पडोसी नंबर सोलह /लघुकथा
क्या हाल चाल है ........?
सब कुशल मंगल है .
पडोसी नंबर सोलह  के यहाँ तो अशांति और हवस पसरी है .
क्या बात कर रहे हो ..........? तीन माले का मकान बारजा  सड़क  पर, पडोसी के एरिया में खिड़की  और तो और फूटपाथ पर भी कब्ज़ा  करने लगा है .तुम चुपचाप बैठे हो .
चौदह नंबर डेढ़ इंच  की दीवाल पर खड़ा है ,कलेक्टर ,कमिश्नर को लिखित में शिकायत किया कोई नहीं सुना।
अपने  हक़ के लिए तो खड़ा होना था .खैर  सरीफो को लोग चैन से जीने कहा दे रहे है .
समय बदलेगा कहते हुए सोहन सांस लिया .
मतलब  जड़ में घुन .
यही समझ लो मंगल दादा .
बड़ी दूर दृष्टि रखते हो बरखुर्दार .
हाँ दादा भविष्य में जब प्रशासन की नींद टूटेगी पडोसी नंबर सोलह की लंका भरभरा पड़ेगी  .
चलो इतना यकीन तो है प्रशासन पर ...डॉ नन्द लाल भारती  13.07.2013    







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