Wednesday, February 11, 2015

दूषित आँख /लघुकथा

दूषित आँख /लघुकथा 
हवलदार  आवेदन के साथ लगी नवयौवना के  फोटो को दूषित  आँखों से निहारते हुए बोला हेडसाहेब गुमशुदा का एक नया केस आ गया क्या ....... ?
आ तो गया है। 
जनाब जांच कहा तक पहुंची ....... ?
जांच क्या ....... ?
क्यों नहीं .... ?
क्या जांच। जाड़े  का मौसम शबाब पर है ,उतरते ही वापस आ जायेगी। 
देश की  रक्षा और  समाज की सुरक्षा की कसमे खाकर  दौलत और  अस्मिता पर अश्लील नजरे रखने वाले, देश और समाजद्रोहियो की बात सुनकर सच नारायण का कलेजा मुंह में आ गया वह छाती पर हाथ रखकर थाने से  बाहर चला गया। पुलिस वाले दूषित आँखों से निहारते रह गए। 
 डॉ नन्द लाल भारती
 23 दिसम्बर 2014 

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