Wednesday, February 11, 2015

बेटी के बाप दर्द /लघुकथा

बेटी के बाप दर्द /लघुकथा 
गौरव तुम भी ब्याह की डोर में बंध गए। वैवाहिक जीवन मुबारक हो यार. 
धन्यवाद दीपचंदभाई। 
ब्याह की ख़ुशी तुम्हारे चहरे पर झलक नहीं रही है। ब्याह से खुश हो ना भाई। दहेज़ में कमी रह गयी क्या ? इंजीनियर पत्नी मिली है। तुम्हारा कुल सुधर जाएगा। 
रंजीत -गौरव बेटी के बाप को निथार लिया होगा,छोड़ा नहीं होगा। 
गौरव-पापा ने लिया है मैंने नहीं। 
कितना ..... ?
दस लाख शायद- गौरव। 
समझ में आया। 
क्या दीपचंद … ?
काश तुम्हारे पापा बेटी के बाप का दर्द समझ पाते।दहेज़ का विरोध करने वाला बातो का जादूगर बिक गया । बालिका भ्रूण हत्या के दोषी तेरे पापा सौदागर है क्या ?
डॉ नन्द लाल भारती 11 .02 .2015

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