Wednesday, February 11, 2015

ओम की मौत /लघुकथा

ओम की मौत /लघुकथा 
ओम नाम था उसका। हां नशे की तनिक लत थी पर गुस्ताख़ बंदा ना था। परायी नारी में उसे अपनी माँ -बहन नज़र आती थी। इसी नज़र की वजह से पड़ोस me रहने वाली युवा कुंवारी कन्याओ के अनैतिकता की और बढ़ाते कदम को रोंकने की गुस्ताखी करवा दी ।इन कुंवारी कन्याओ ने नारी होने का खूब फायदा uthaya। ओम के खिलाफ अनेक धाराओ में पुलिस केस दर्ज़ करवा दिया। ओम और उसका इज्जतदार परिवार खौफ में रहने लगा। इसी खौफ ने एक दिन नन्हे बच्चो के युवा बाप ओम की जान ले ली। ओम की मौत से उठे सवाल नारी अस्मिता को कठघरे में खडे कर रहे थे और साथ ही सभ्य समाज की छाती में ठोंक रहे थे कीलें भी। डॉ नन्द लाल भारती 20.01.2015

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