भईया का बर्थडे/लघुकथा
दिनेश हांफते हुए अरे अंकल... ?
क्या हुआ बेटा ... ?
आपके पडोसी गोभल .......
क्या हुआ मिलावटखोर,बेईमान,भ्रष्ट्राचारी गोभल को,कही वो भी तो आत्महत्या नहीं कर लिया अपने दूसरे परिजनों की तरह ,दिनेश की हड़बड़ाहट देखकर नरेंद्र बाबू के माथे की लकीरे तन गयी । वह बुत से खड़े रह गए।
अंकल क्या सोच रहे हो बाहर निकालो ,आपके घर तक तांता लगा हुआ है दिनेश एक सांस में बोल गया ।
नरेंद्र बाबू बाहर निकले ,भीड़ से एक लडके को इशारे से बुलाये । माथे से पसीना पोंछते हुए पूछे बेटा इतनी भीड़ क्यूँ सुबह सुबह ।
अंकल आप नहीं जानते ?
क्या नहीं जानता बताओ तो सही बेटा ।
भईया का बर्थडे है ।
कौन से भईया ....... ?
भोलू………………।
तीन दिन पहले बाप बेटे की महाभारत हो रही थी,आज बर्थडे मनाने के लिए इतनी भीड़ । कहा खो गए अंकल ?भोलू भईया पार्टी के जुझारू नेता है ,शहर के हर वार्ड के बड़े नेता आये है भईया का बर्थडे मनाने के लिए ।
ये वही भोलू है जो मिडिल की परीक्षा नहीं पास कर पाया ,पिछले साल लड़की भगा कर ले गया था ,गली गली मारा मारा फिरता था । हाय रे राजनीति की तरक्की । इतने में भोलू भईया ज़िंदाबाद के नारे गूँजने लगे। नरेंद्र बाबू दोनों हाथॉ से कान दबाये अंदर चले गए और दिनेश अपने घर की ओर ।
डॉ नन्द लाल भारती 26 .06 . 2015