Wednesday, June 24, 2015

टेढ़े मत चला करो /लघुकथा

टेढ़े मत चला करो /लघुकथा 
मिस्टर कोढ़े अपने घर के सामने  बाइक और एक्टिवा खड़ी देखकर अपने से दस साल बड़े पडोसी मिस्टर सदानंद से रौद्र रूप में पूछे  ये तुम्हारी है क्या ?
कार निकल जाए हटा लेंगे, मिस्टर सदानंद बोले ॥  
मिस्टर कोढ़े का रौद्र रूप और विकराल हो गया,वे गरजते हुए बोले इतना टेढ़े मत चला करो । 
मिस्टर सदानंद इतनी बदतमीजी और बेरुखी क्यूँ भाई  ? बाइक और एक्टिवा सड़क पर खड़ी है ,गैरेज से कार बाहर करने के बाद अंदर करेंगे ,इतनी असभयता का नंगा प्रदर्शन क्यों  ?
हम लोग तुम लोगो से ज्यादा सभ्य है मिस्टर कोढ़े बोले । 
हां वो तो है ,लोग दूर से समझ जा रहे होगे । 
आग में घी मत डालो मिस्टर कोढ़े पुनः बोले । 
आग में घी क्यों  प्रत्यक्ष प्रमाण है । 
कौन सा.…………?
मिस्टर कोढ़े आपका पांच फ़ीट असंवैधानिक बारजा,असंवैधानिक  खिड़की जो मेरी तरफ खुली है ,असंवैधानिक फुटपाथ जिसका निकास हमारी तरफ है ,असंवैधानिक  ट्यूबवेल  जो फूटपाथ के नीचे है ,और तो और हमारे यहाँ सब के पास यूनिवर्सिटी की डिग्री है आपके पास चरवाहा विश्वविद्यालय की और कुछ आपके सभ्य और उच्च श्रेणी के होने का प्रमाण दू क्या  सदानंद बोले ? 
इतना सुनते ही मिस्टर कोढे लजाया हुआ भाल लिए  अपने असंवैधानिक किले में चले गए  और स्वाभिमान से सदानंद दफ्तर। 
डॉ नन्द लाल भारती 24 .06 . 2015  

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