Thursday, December 2, 2010

sewa shulk

सेवा    शुल्क ..

जसवंती-क्या जमाना आ ग्ग्गाया है ज्जहा देखो वही रिश्वतखोरी  .
जसोदा-कौन रिश्वात मांग रहा है .
जस्वंती-बिना रिश्वत के कोई काम होता है, चाहे कोई प्रमाण पत्र बनवाना हो या अन्य काम. अस्पताल में चाय-पानी के नाम पर रिश्वतखोरी कई विभाग तो पहले से ही बदनाम है.
जसोदा-रिश्वतखोरी ने ईमान को लहूलुहान कर दिया है, कर्म्पूजा है को लतिया दिया है.
जस्वंती-हां बहन बिना रिश्वत के तो काम नहीं होता होता .सेवा भावना का कटी कर दिया है रिश्वत ने .
जस्वंती-पच्चास साल पहले मुझ से दस रूपया रिश्वत ली थी सरकारी बाबू ना चाय पानी के नाम .मैंने सबके साम्माने दस रूपया का नोट हाथ पर रख दिया था.रिश्वतखोर बाबू हक्का-बक्का रह गया था, माथे से पसीना चुने कागा था . माफ़ी माँगा था.
जसोदा -रिश्वत सेवा शुल्क हो गया है .
जसोदा बहिन रिश्वत ना देने की कसम खानी होगी...नन्दलाल भारती
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