Friday, February 25, 2011

NAALE KI BAADH

नाले की बाढ़ ..
देख तेरे पास चाभी होगी .
लेखा विभाग की चाभी मेरे पास ? पहले कई बार अनुरोध कर चूका हूँ की मेरे पास नहीं है . विश्वास नहीं है तो मेरे पास जो चाभिया है देख लीजिये .
बदमिजाज अफसर वफादार कर्मचारी को गाली देते हुए बोला- तेरी औकात क्या है ? अफसर से जबान लड़ता है
कर्मचारी मिस्टर विवेक आपका नाम भर विवेक है बस , वैसे है तो आप बदतमीज़ .
कर्मचारी की विवेकपूर्ण  बात से अफसर की अफसरागिरी पर जैसे वज्रपात हो गया . वह गंदे नाले में आये बाढ़ के पानी की तरह उफन  उठा . खैर नाले का उफान और मेढक की टर्र-टर्र मौसमी बरसात में तो सुनायी ही पड़ जाती है . परन्तु नाले के पाने के बहाव के सामने कोंई  माटी से जुड़ा पेड़ आ जाए तो उसे अपनी औकात का पता लग जाता है, ठीक वैसे अफसर अपनी औकात पर लजा गया था ... नन्द लाल भारती .. २५.०२.२०११ 

upaasanaa

उपासना .
डाक्टर साहेब बहुत दर्द हो रहा है .
जोड़-जोड़ में मवाद भरा है. धीरे-धीरे आराम हो जायेगा. पहले से आराम तो है न. 
जी डाक्टर है तो पर पापा मंदिर नहीं जा पा रहे है .
मंदिर जाने की फिक्र स्वास्थ्य की फ़िक्र नहीं .
मंदिर जाना भी तो जरुरी है .
क्या ख़ास -मंदिर मस्जिद में है ?
भगवान खुदा है .
ये बड़ी-बड़ी ईंट-पत्थरों की इमारते नहीं थी तो क्या भगवान नहीं थे . भगवान तो हर जगह है .भंगवान कौन से मंदिर गए थे. खुदा कौन सी मस्जिद गए थे. ईसा कौन से चर्च गए थे . मंदिर-मस्जिद के नाम पर फंसाद-बंटवारा अच्छ तो नहीं. आस्था खूब प्रज्ज्वलित करो मानवीय हित के लिए धर्मान्धता के लिए नहीं 
समझ गया डाक्टर साहेब .
क्या -----
ऐसी उपासना जो नर को परमार्थी बने थे .....
नन्द लाल भारती ..... २४.०२ २०११

kutto se saawadhaan

कुत्तो से सावधान ..
उधर देखो ज्ञानचंद .
क्या दिखा रहे हो ध्यानचंद .?
अरे उधर तो देखो गेट के सामने हट्ठे-कट्ठे बाडी गाड खड़े है . गेट पर लिखा है कुते से सावधान .
अरे भई, जन प्रतिनिधि या जन सेवक का महल है .विदेशी नस्ल के कुत्ते होगे. 
ठीक कह रहे हो बड़े लोग बड़ी -बड़ी शौके .
तभी तो देश के माथे एक और नया  कलंक मढ़ा जा रहा है . 
पुराना कौन और नया कौन सा है?
जातिवाद और अब भ्रष्टाचार का देश .
हां यार . कुत्तो से नहीं स्वार्थी -भ्रष्ट  जन प्रतिनिधियो  और जन सेवको से सावधान रहने का वक्त आ गया है .
नन्द लाल भारती २५.०२.2011

Saturday, February 19, 2011

DAR

डर
नयन क्यों उदास बैठे हो . किस चिंता में खोये हो .
डर लग रहा है अंकल .
किस बात का डर बेटा .
पापा को लेकर .
क्यों ............
पापा को नशे की आदत थी . दिन में  तीन बार गांजा  पीना तय था , इसके बिना रोटी नहीं खाते थे. जिस दिन गांजा  न मिले रोटी की थाली फेंक देते थे. पापा की लत छुड़ाने के लिए मैंने अपनी कसम दे दी पर नहीं माने. माँ गांजा  छोड़ दो कहते-कहते मर गयी.शरीर सुन्न होता जा रहा है, दीर्घशंका धोती में हो जा रही है उन्हें भान नहीं ही पाता.पापा के कल से मुझे बहुत डर लग रहा है .
बेटा -इलाज कराओ जहा तक हो सके .
अंकल इलाज चल रहा है पर फायदा तो नहीं हो रहा है .
बेटा फ़र्ज़ पूरा करो .माँ -बाप धरती के भगवान है . 
अंकल -है तो पर उनको  भी अपना फ़र्ज़ याद रखना चाहिए. मै देश के सभी बापों का पाँव पकड़ कर भीख मांगता हूँ की नशा से दूर रहे क्योंकि जिस डर में मै जी रहा हूँ उनके बच्चे उस डर के दलदल में न फंसे....
नन्दलाल भारती .. १९.०२.२०११

Thursday, February 17, 2011

GET SE BANDHA KUTTA

गेट से बंधा कुत्ता ..
साहेब ये मालिक थे क्या.
किसके मालिक .
कंपनी के .
नहीं आठवी पास बिगाड़ा हुआ ड्राइवर है.
 ऑफिस स्टाफ से तू-तू कर भौंक रहा था तो मुझे लगा भौकने वाला व्यक्ति मालिक है.
गाड़ी बंद है. काम कोइ है नहीं .उच्च-पढ़े लिखे स्टाफ से होड़,बदतमीजी और इनकी-उनकी शिकायत बस यही काम बचा है .
बड़ा गाडफादर  है क्या ...
गाडफादर बदतमीजी करने को नहीं बोलेगा . यह तो गाडफादर की तवहिनी है . सहा है तो क्या बदतमीजी करना चाहिए की इज्जत से नौकरी.
लगता है उच्च सर्व श्रेष्ठ  साबित करने का भूत सवार  है.
ठीक कह रहे है ये तो वो हाल हुई जैसे  सेठ के गेट पर बंधा डाबरमैन कुत्ता ...
नन्दलाल भारती.. १७.०२.२०११

Wednesday, February 16, 2011

Daeeja

दईजा.......
जमींदार  के अहाते में शहनाई गूँज रही थी   . दान-दईजा का दौर चल रहा था. लोग आलिशान कुर्सियों  पर विराजे कई तरह की मिठाईया  प्लेट भर-भर खा रहे थे. दईजा डालने के बाद पानी पीने का चलन जो था अ राजू दईजा देकर जाने लगा. पीछे से कहार दादा बोले अरे राजू पानी पीकर तो जा . कहार दादा  की आवाज़ छोटे जमींदार के कानू तक पहुँच गयी वह पूछे कौन राजू है कहार.
सुर्तीलाल का बेटवा और कौन राजू..
मज़दूर सुर्तीलाल के बेटवा को जमींदारी शानो-शौकत . अरे हाथ पर एक मिठाई रख कर भगा देते.
राजू दोनों हाथ पीछे करके कहार दादा से बोला दादा प्यास नहीं लगी है और नौ-दो ग्यारह हो गया... नन्दलाल भारती. १७.०२.2011 

Daulat

दौलत...

मिठाई खाओ हरिबाबू ...
किस ख़ुशी में रमाकांत बाबू .
एक और नया मकान का सौदा कर लिया .
कितने घर बना लिए . क्या करोगे इतने मकान और अथाह दौलत जोड़कर .
जितनी जुड़ जाए कम है आजकल के जमाने में हरिबाबू.
कहा ले जाओगे . अरे ले जा भी तो नहीं सकते .
क्या करू हरिबाबू.
दान-ज्ञान-सत्कर्म .. ऐसी दौलत जन-जन्मान्तर साथ नहीं छोड़ती रमाकांत बाबू.
नन्दलाल भारती १७.०२.2011

Saturday, February 5, 2011

sankalp

संकल्प ..
क्यों आग उगलते रहते हो .कमजोर वंचितों के खिलाफ विपत्ति बाबू . 
होरीलाल  आग उगलना नहीं उपदेश समझो .
नफ़रत को उपदेश कैसे समझू विपत्तिबाबू ...
होरीलाल . हम तो जन्म से उपदेश देने वाले है .
विपत्तिबबू-कर्म योगी की खिलाफत, श्रम का अपमान, नफरत के बीज,जातिवाद का जहर राष्ट्र और मानव दोनों का दुश्मन है . 
होरीलाल आँख खुली तब से यही कर रहा हूँ .
विपत्ति बाबू   स्वार्थ की रोटी सेकने के लिए भेदभाव का जहर बोना देश के विरुध्द साजिश नहीं है क्या .
श्रीपति - है ना . विपत्ति बाबू बहुत बो लिए नफ़रत के बीज . अब संकल्प लेना  होगा .
 कैसा संकल्प श्रीपति .
होरीलाल-स्वधर्मी समानता,नातेदारी,बहु-धर्मी सद्भावना राष्ट्रधर्म धर्म के  लिए संकल्प .
विपत्ति-संकल्प लेता हूँ स्वधर्मी समानता-नातेदारी  बहु-धर्मी सदभावना और राष्ट्र-हित  के लिए जीऊँगा ....
नन्दलाल भारती ०४.०२.२०११