डर
नयन क्यों उदास बैठे हो . किस चिंता में खोये हो .
डर लग रहा है अंकल .
किस बात का डर बेटा .
पापा को लेकर .
क्यों ............
पापा को नशे की आदत थी . दिन में तीन बार गांजा पीना तय था , इसके बिना रोटी नहीं खाते थे. जिस दिन गांजा न मिले रोटी की थाली फेंक देते थे. पापा की लत छुड़ाने के लिए मैंने अपनी कसम दे दी पर नहीं माने. माँ गांजा छोड़ दो कहते-कहते मर गयी.शरीर सुन्न होता जा रहा है, दीर्घशंका धोती में हो जा रही है उन्हें भान नहीं ही पाता.पापा के कल से मुझे बहुत डर लग रहा है .
बेटा -इलाज कराओ जहा तक हो सके .
अंकल इलाज चल रहा है पर फायदा तो नहीं हो रहा है .
बेटा फ़र्ज़ पूरा करो .माँ -बाप धरती के भगवान है .
अंकल -है तो पर उनको भी अपना फ़र्ज़ याद रखना चाहिए. मै देश के सभी बापों का पाँव पकड़ कर भीख मांगता हूँ की नशा से दूर रहे क्योंकि जिस डर में मै जी रहा हूँ उनके बच्चे उस डर के दलदल में न फंसे....
नन्दलाल भारती .. १९.०२.२०११
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