Friday, February 25, 2011

upaasanaa

उपासना .
डाक्टर साहेब बहुत दर्द हो रहा है .
जोड़-जोड़ में मवाद भरा है. धीरे-धीरे आराम हो जायेगा. पहले से आराम तो है न. 
जी डाक्टर है तो पर पापा मंदिर नहीं जा पा रहे है .
मंदिर जाने की फिक्र स्वास्थ्य की फ़िक्र नहीं .
मंदिर जाना भी तो जरुरी है .
क्या ख़ास -मंदिर मस्जिद में है ?
भगवान खुदा है .
ये बड़ी-बड़ी ईंट-पत्थरों की इमारते नहीं थी तो क्या भगवान नहीं थे . भगवान तो हर जगह है .भंगवान कौन से मंदिर गए थे. खुदा कौन सी मस्जिद गए थे. ईसा कौन से चर्च गए थे . मंदिर-मस्जिद के नाम पर फंसाद-बंटवारा अच्छ तो नहीं. आस्था खूब प्रज्ज्वलित करो मानवीय हित के लिए धर्मान्धता के लिए नहीं 
समझ गया डाक्टर साहेब .
क्या -----
ऐसी उपासना जो नर को परमार्थी बने थे .....
नन्द लाल भारती ..... २४.०२ २०११

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