Wednesday, February 16, 2011

Daeeja

दईजा.......
जमींदार  के अहाते में शहनाई गूँज रही थी   . दान-दईजा का दौर चल रहा था. लोग आलिशान कुर्सियों  पर विराजे कई तरह की मिठाईया  प्लेट भर-भर खा रहे थे. दईजा डालने के बाद पानी पीने का चलन जो था अ राजू दईजा देकर जाने लगा. पीछे से कहार दादा बोले अरे राजू पानी पीकर तो जा . कहार दादा  की आवाज़ छोटे जमींदार के कानू तक पहुँच गयी वह पूछे कौन राजू है कहार.
सुर्तीलाल का बेटवा और कौन राजू..
मज़दूर सुर्तीलाल के बेटवा को जमींदारी शानो-शौकत . अरे हाथ पर एक मिठाई रख कर भगा देते.
राजू दोनों हाथ पीछे करके कहार दादा से बोला दादा प्यास नहीं लगी है और नौ-दो ग्यारह हो गया... नन्दलाल भारती. १७.०२.2011 

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