Thursday, April 28, 2011

ह्त्या ....

ह्त्या ....
आखिरकार कम उम्र में स्वर्ग सिधार गए,विभागीय मेडिकल सहायता राशी की इन्तजार में।
मेडिकल सहायता की इन्तजार में.................?
हां......... बेचारे गरीब परिवार से थे। ब्लड कैंसर से पीड़ित थे। अस्पताल की पलंग पर मृत्यु से संघर्षरत थे । मेडिकल सहायता की फाइल दिल्ली से गाजियाबाद के जाम में महीनो से फंसी थी । डाक विभाग की यह लापरवाही एक नवजवान कलमकार को लील गयी।
कौन थे ...........?
मानवतावादी रचनाकार स्वर्गीय श्री कालीचरण प्रेमी ।
प्राकृतिक मौत नहीं यह तो असामयिक ह्त्या है ..........नन्द लाल भारती .....२८.०४.२०११

Tuesday, April 26, 2011

takdeer

तकदीर ..
घनश्याम पानी में बदबू आ रही है . 
नहीं.....किसी को नहीं आ रही है तो तुमको की आ रही है .अकुआगार्ड से पानी साफ़ हो  रहा नहीं . पानी में दवाई भी तो डाली जा रही है .
मै कह रहा हूँ तो मानता क्यों नहीं ?
आँख ना दिखाओ भाई . पानी भरना मेरी डयूटी नहीं है .
क्यों नहीं है ?
नहीं है . मै  अटेंडेंट तो नहीं ?
तुम्हारी डयूटी है अटेंडेंट हो या अफसर ?
अगर हमारी है तो तुम्हारी क्यों नहीं?
हमारी क्यों ?
ड्राइवर हो . तुम्हारी डयूटी साधे नौ बजे से शुरू होती है .  आते हो बारह बजे दिन भर फोन का बिल बढाते रहते हो . कम से कम खुद के लिए साफ़ पानी भर लिया करो .
आर्डर फ़ालो करना तुम्हारी मज़बूरी और अघोषित सुविधाओ का उपभोग मेरी तकदीर............................... नन्द लाल भारती

Friday, April 22, 2011

VIKAS

विकास ..
बहुत शोर हो रहा है . कुछ सुनायी नहीं पड़ रहा है .
लोहा काटने की मशीन का शोर लगता है .
हां कही लोहा कट रहा है .
सामने .. कुछ ना कुछ कटता रहता है भाई साहेब ...
क्या कह रहे है ?
ठीक कह रहा हूँ. लोहा है तो चीक सुनायी पड़ रही है वरना चीख तक नहीं निकलती और तुकडे-तुकडे कट भी जाते है .
क्या....?
हां...विकास प्राधिकरण इंजीनियर साहब का बंगला सामने है .
मतलब .....
साफ़ है किसी ना की तरह का विकास कार्य ...नन्द लाल भारती

GHODA

घोडा ....
घोड़े वाली गिफ्ट आफिस वालो को नहीं मिलेगी क्या ?
वो तो अन्तः सेवा प्रशिक्षनार्थियो  के लिए थी ...
क्या  बात कर रहे हो साहेब....?
सच तो कह रहा हूँ .
झूठ कह रहे है .
कैसे ....?
क्या आपको नहीं मिली ...?
मिली ना..
साहब के दूर-दूर के रिश्तेदारों को दी जा रही है हमें क्यों नहीं ? हम तो कंपनी के कर्मचारी है . देर रात-रात तक काम किया उसका क्या ? क्या गिफ्ट के भी हकदार नहीं..? 
इस दफ्तर के कर्मचारियों के लिए अन्तः सेवाप्रशिक्षण  नहीं था .
दूर-दूर दे रिश्तेदारों के लिए था ..
टीवी कार्यकर्म जीजाजी नहीं देखा क्या ...?
मतलब अन्धेरपुर नगरी कनवा राजा.........नन्द लाल भारती ....


DHANYAWAAD

धन्यवाद ..
भाई साहेब बहुत-बहुत धन्यवाद ..
किस बात के लिए ?
रोटी अपने साथ बिठाकर खिलाया    था जो .
कब.....?
पच्चीस साल पहले . जब मुझे नौकरी से निकाल दिया गया था जातीय अयोग्यता बस . दोस्त दूरी बना चुके थे. ऐसे  बुरे वक्त की रोटी का स्वाद की भूल सकता हूँ.
पच्चीस साल से एक शहर से दुसरे शहर तक धन्यवाद का भार धो रहे हो वह भी एक वक्त की रोटी का .
हां भाई साहेब. मेरा धन्यवाद कबूल करो .
यार धन्यवाद के पात्र तप तुम हो एक रोटी खाकर आज तक भूले नहीं..धन्यवाद .... नन्द लाल भारती .
 

Tuesday, April 19, 2011

taarif

तारीफ़  .. 
३२ साल के बाद्शिश्य को पाकर स्कूल के प्रिंसिपल साहेब शिक्षकगन और स्टाफ जैसे फुले नहीं समां रहे थे.शिष्य के कार्यो की तारीफों के पुल बंधे गए. प्रिंसिपल साहब ने नाश्ते का प्रबंध करवाया, गुरुजनों  के साथ शिष्य ने हंशी-ख़ुशी नाश्ता किया. परिचर परम्परागत गिलास में पानी भरने लगा तो गुरुजन ने इशारा किया वह गिलास वही रखकर डिस्पोजल गिलास  में तुरंत-फुरंत में पानी लाया.शिष्य प्रिंसिपल साहब,शिक्षको और अन्य वारिष्ट्जनो का चरण  -स्पर्श कर ज्योहि विदा लिया उसके में  विचार कौंध गया क्या सचमुच बूढी  व्यवस्था गुरु और शिष्य के बीच खाई खोदने में सक्षम है. अंतर्मन ने कहा नहीं... ये तो बस जातीय श्रेष्ठता का स्वांग है पर छोटी जाति का बड़ी-बड़ी उपलब्धिया हाशिल करने वाला शिष्य असमंजस में था की जातीय श्रेष्ठता के लिबास में ३२ साल बाद स्कूल में हुई तारीफ को क्या नाम दे. .. अपमान का या सम्मान का ...
नन्दलाल भारती ..१७.०४.२०११

encounter


  एनकाउन्टर..
डाकू-डाकू देखो साले भागने ना पाए. मार दो गोली की ललकार सुनकर विजय और रोहित पश्चिम दिशा की और बढ़ने लगे पर आवाज़ तो बिलकुल निर्जन जगह से आ रही थी. दोनों ठिठक गए और असमंजस की स्थिति  में एक दूसरे को देखने लगे. रोहित बोला विजय कही हम मुश्किल में ना पड़ जाए. पुलिस हमें ही ना डाकू घोषित कर दे, इतने में दरोगा सुखसागर गरज पड़े. दरोगाजी की गडगडाहट  सुनकर विजय बोले किसके घर डकैती पड़ गयी दरोगा जी .
दरोगाजी बोले विजय १०-१२ थे साले एक तो जरुर मरा है. साले भाग कर जायेगे कहा.
इतने में मिठाई चिल्ला पड़ा अरे साहब ये देखो एक ससुरा  यहाँ मरा पड़ा है. डाकू मरा पड़ा है सभी दौड़ पड़े पर क्या वहा तो डाकू के नाम पर एक लाश सजाकर रखा गया था. उत्तर दिशा में सिर था औ कुछ ही दूरी पर देसी कट्टा जिससे चिड़िया भी ना मरे. मिठाई पुलिस का दलाल था डाकू की शिनाख्त कर दिया. दरोगाजी  को तमंगा मिल गया परंतू रहस्य से पर्दा हटा तो पता चला की जिस आदमी का एनकाउन्टर  हुआ था  वह बस में सपत्नी यात्रा कर रहा था. उसे पुलिस  ने जबरदस्ती उतारकर साजिश के तहत क़त्ल कर एनकाउन्टर  का नाम दे दिया था . नन्दलाल भारती १७.०४.2011

Wednesday, April 6, 2011

nigaaho e gir gaye

निगाहों से गिर गए जनाब ..
गुलशन तबियत ठीक नहीं है क्या ?
जी हां .
क्या हुआ ? डायबिटीज बढ़ तो नहीं गयी ?
चक्कर सा लग रहा है .थकावट भी बहुत है .शरीर टूट रहा है .
डाक्टर को दिखाया ?
हां .. कई टेस्ट लिखे है .बेड रेस्ट की सलाह दे रहे थे .
बेड रेस्ट करना था .दफ्तर क्यों आ गए ?
आने के बाद इल्जाम ना आता तो क्या होता ?
किसने इल्जाम लगा दिया  ?
बड़े साहब .
क्या .?
काम देख लिया तो तबियत खराब हो गयी . बाईस साल की नौकरी में पहला इल्जाम ....?
सच  घोड़े की अगाडी गदहे की पिछाड़ी घातक होती है वैसे  ही है ये मतलबी साहब . लोग दुःख-दर्द में काम आते है और ये आग बो रहे है .
जी ..मेरी निगाह से तो गिर गए जनाब.....नन्दलाल भारती.. ०६.०४-२०११



Tuesday, April 5, 2011

kasam

कसम ..
कहा जा रही हो बहू.......?
अस्पताल......
कल पैथोलोजी  गयी थी ना ?
हां....
आज अस्पताल क्यों......?
apointment  है आज का .
क्यों खून करवाने के लिए ..? बहू मेरे जीते जी ऐसा नहीं हो एकता . बेटी  दो खानदानो की चिराग होती है,नया उजास आने दो. मेरी कसम है  बहू चौखट के  बाहर  पाँव ना रखना  ....नन्दलाल भारती





naak ki unchaaee

नाक की ऊँचाई..
 जिद ना करो .
जिद नहीं कैरियर और कल के प्रति सजगता है .
क्या नाक कटवाकर ?
नहीं नाक ऊँची कर.
छोटी जाति के वर के साथ फेरे लेकर.
हां.... जातीय श्रेष्ठता देखने का नहीं याग्यता देखने का समय है .
तेरी जिद जरूर कुल की नाक  ऊँची करेगी बेटी ........? नन्दलाल भारती