Friday, April 22, 2011

DHANYAWAAD

धन्यवाद ..
भाई साहेब बहुत-बहुत धन्यवाद ..
किस बात के लिए ?
रोटी अपने साथ बिठाकर खिलाया    था जो .
कब.....?
पच्चीस साल पहले . जब मुझे नौकरी से निकाल दिया गया था जातीय अयोग्यता बस . दोस्त दूरी बना चुके थे. ऐसे  बुरे वक्त की रोटी का स्वाद की भूल सकता हूँ.
पच्चीस साल से एक शहर से दुसरे शहर तक धन्यवाद का भार धो रहे हो वह भी एक वक्त की रोटी का .
हां भाई साहेब. मेरा धन्यवाद कबूल करो .
यार धन्यवाद के पात्र तप तुम हो एक रोटी खाकर आज तक भूले नहीं..धन्यवाद .... नन्द लाल भारती .
 

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